प्रेगनेंसी के 20-24 हफ़्ते के भीतर होने वाली डिलीवरी को लेकर LNJP अस्पताल ने गठित किया पैनल

गायनी डिपार्टमेंट की हेड, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, और नियो नैटोलौजिस्ट का एक पैनल बनाया गया है, जो इंटरनेशनल गाइडलाइन्स और केस स्टडी के आधार पर गाइडलाइन बनाएगा. 20 फ़रवरी को LNJP में एक ऐसा ही मामला सामने आया था. 20-24 हफ़्ते के भीतर होने वाली डिलीवरी के मामलों में बच्चों को एक्स्ट्रा केयर और लाइफ़ सपोर्ट की ज़रूरत होती है, लेकिन इसे लेकर अभी कोई भी गाइडलाइन नहीं है.

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पंकज जैन

  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 8:10 PM IST

प्रेगनेंसी के 20-24 हफ़्ते के भीतर होने वाली डिलीवरी को लेकर गाइडलाइन बनाने के लिए एलएनजेपी अस्पताल ने तीन डॉक्टर्स का पैनल गठित किया है. प्रेगनेंसी के 20-24 हफ़्ते के भीतर होने वाली डिलीवरी के मामलों में बच्चों को एक्स्ट्रा केयर और लाइफ़ सपोर्ट की ज़रूरत होती है, लेकिन इसे लेकर अभी कोई भी गाइडलाइन नहीं है.

गायनी डिपार्टमेंट की हेड, चाइल्ड स्पेशलिस्ट, और नियो नैटोलौजिस्ट का एक पैनल बनाया गया है, जो इंटरनेशनल गाइडलाइन्स और केस स्टडी के आधार पर गाइडलाइन बनाएगा. 20 फ़रवरी को LNJP में एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जब 23 हफ़्ते की एक डिलीवरी के बाद नवजात बच्चे में कोई मूवमेंट नहीं था, फिर उसे वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया था.

इलाज के दौरान नवजात बच्ची की हुई थी मौत
मालूम हो कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित एलएनजेपी अस्पताल में जन्म के तुरंत बाद मृत घोषित नवजात बच्ची की बुधवार को अस्पताल में मौत हो गई थी. दरअसल, बच्ची समय से पहले पैदा हो गई थी और उसका वजन केवल 490 ग्राम था. रविवार को वह उस समय जीवित पाई गई जब परिवार उसे दफनाने के लिए जा रहा था. इसके बाद उसे वापस अस्पताल लाया गया और तब से वह वेंटिलेटर सपोर्ट पर थी. 

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न्यूज एजेंसी के मुताबिक डॉक्टरों ने पहले ही कहा था कि चिकित्सा की दृष्टि से माना जाता है कि ऐसे बच्चे बच नहीं सकते. बच्चे के परिवार ने कहा कि उन्हें शाम करीब चार बजे बताया गया कि बच्ची नहीं रही.

बता दें कि बच्ची की 35 वर्षीय मां की तीन साल की एक और बेटी है. परिवार ने कहा कि उनके पति साधारण टूलमेकिंग के व्यवसाय में काम करते हैं. परिवार ने बताया कि बच्ची को हमें एक बॉक्स में सौंप दिया गया था और हम उसे रविवार को न्यू मुस्तफाबाद में अपने घर ले गए. हमने उसे दफनाने की तैयारी शुरू कर दी थी, लेकिन शाम साढ़े सात बजे के करीब जब हमने बॉक्स खोला, तो हमने देखा कि बच्ची अपने पैर और हाथ हिला रही है. हम तुरंत उसे वापस अस्पताल ले गए.

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