लैंड फॉर जॉब स्कैम: दिल्ली HC से लालू यादव को झटका, ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की याचिका खारिज

दिल्ली हाई कोर्ट ने RJD चीफ लालू प्रसाद यादव की उस याचिका पर स्वीकार करने से इंकार कर दिया, जिसमें उन्होंने सीबीआई मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी. कोर्ट ने नोट किया कि मामला विशेष न्यायाधीश के समक्ष आरोपों पर बहस के लिए सूचीबद्ध है. यह याचिकाकर्ता के लिए अपनी बात रखने और उस पर निर्णय हासिल करने का एक अतिरिक्त अवसर होगा.

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पूर्व रेल मंत्री और RJD चीफ लालू यादव. (फाइल फोटो) पूर्व रेल मंत्री और RJD चीफ लालू यादव. (फाइल फोटो)

सृष्टि ओझा

  • नई दिल्ली,
  • 31 मई 2025,
  • अपडेटेड 3:36 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को लैंड फॉर जॉब घोटाले में पूर्व रेल मंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव को बड़ा झटका दिया है और उनकी उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने सीबीआई केस की ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की थी.

कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि याचिका लंबित होने के बावजूद याचिकाकर्ता को सभी तर्क ट्रायल कोर्ट के समक्ष चार्ज फ्रेमिंग की सुनवाई के दौरान रखने की पूरी आजादी होगी.

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कोर्ट ने कहा, यह याचिकाकर्ता के लिए एक अतिरिक्त अवसर होगा, जिसमें वो अपने पक्ष को पूरी तरह से रख सकता है और उस पर निर्णय प्राप्त कर सकता है.

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट में इस मामले को विशेष न्यायाधीश के समक्ष बहस के लिए सूचीबद्ध किया गया है और कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए कोई 'मजबूत कारण' नजर नहीं आते.

गौरतलब है कि यह मामला रेलवे में नौकरी दिलाने के बदले जमीन लेने के कथित घोटाले से जुड़ा है, जिसमें सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव और उनके परिजनों को आरोपी बनाया है.

लालू प्रसाद ने गुरुवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी. लालू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अदालत में पेश हुए थे. उन्होंने दलील दी थी कि निचली अदालत में आरोपों पर 2 जून को बहस होनी है. सिब्बल ने अदालत से इसे स्थगित करने का निर्देश देने का आग्रह किया था.

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सीबीआई की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता डी.पी. सिंह ने याचिका का विरोध किया और कहा, भ्रष्टाचार विरोधी कानून की धारा 19 के तहत जरूरी मंजूरी प्राप्त कर ली गई है. सिंह ने कहा, यह ऐसा मामला है, जिसमें मंत्री के करीबी लोगों ने लोक सेवकों को ये चयन करने के लिए कहा और बदले में जमीन दी गई. इसलिए इसे नौकरी के लिए जमीन का मामला कहा जाता है. 

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