पुरी के विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर की संपत्ति में शामिल 35,000 एकड़ जमीन बेचने की प्रक्रिया पर रोक लगाने की गुहार लेकर एक सार्वजनिक संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई है. याचिका में ओडिशा सरकार पर जमीन बेचने की योजना बनाने का आरोप लगाया गया है.
जन स्वाभिमान वेलफेयर सोसायटी नाम की संस्था की ओर से वकील शशांक शेखर झा ने याचिका दाखिल की है. शशांक शेखर झा के मुताबिक गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि सरकारी मैनेजमेंट की जगह सुप्रीम कोर्ट के द्वारा नियुक्ति समिति इस अकूत संपदा वाले मंदिर का प्रबंधन देखे.
न्यायिक निरीक्षण समिति नियुक्त करने की मांग
साथ ही याचिका में मंदिर के मौजूदा प्रबंधन बोर्ड की जगह न्यायिक निरीक्षण समिति नियुक्त करने की गुहार भी लगाई गई है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सदियों से निर्बाध रूप से चली आ रही धार्मिक परंपराओं का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है. इसके अलावा इस याचिका में हर धर्म से जुड़ी जगह के लिए मैनेजमेंट की एक समान नीति बनाई जाने की भी मांग की गई है.
संपत्ति बेचना अमानत में खयानत
याचिका के मुताबिक ओडिशा सरकार ने सरकारी नियंत्रण वाले मंदिर प्रबंधन बोर्ड से साठगांठ कर ये जमीन बेचने की योजना बनाई है. सदियों से ये भूखंड राजाओं, जमींदारों, भक्तों ने भगवान जगन्नाथ स्वामी के नाम रजिस्ट्री कराई हुई है. अब इनको बेचना अमानत में खयानत है, क्योंकि प्रबंधन बोर्ड ही मंदिर और मंदिर से जुड़ी चल अचल संपदा का कस्टोडियन यानी संरक्षक है. लिहाजा सरकार और बोर्ड की इस दुरभिसंधि पर कोर्ट रोक लगाए.
बता दें ओडिशा सरकार द्वारा भगवान जगन्नाथ के नाम पर मौजूद 35,000 एकड़ जमीन को बेचने की खबर सामने आने के बाद मंदिर प्रशासन (SJTA) ने इस मसले पर ट्वीट भी किया था. SJTA ने कहा कि जगन्नाथ महाप्रभु की 35,000 एकड़ जमीन को बेचने की रिपोर्टिंग पूरी तरह से गलत और प्रेरित है.
संजय शर्मा