दिल्ली में लाल किले के पास आतंकी हमले के बाद से ही फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी विवादों में है. बताया जा रहा है कि पूरी साजिश इसी यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में बनी. यहीं से डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया था. जांच एजेंसियों ने जब इस यूनिवर्सिटी की कुंडली खंगाली तो और चौंकाने वाली बात सामने आई. इस यूनिवर्सिटी के साथ जुड़े एक लंबे और चिंताजनक इतिहास खुल गया. 2008 में दिल्ली और अहमदाबाद में सीरियल धमाकों में बम बनाने की साजिशों, आईईडी प्लांटिंग और मॉड्यूल के संचालन में फ्रंटलाइन भूमिका में रहा मिर्जा शादाब बेग उस समय फरीदाबाद की इसी अल फलाह यूनिवर्सिटी में B.Tech का छात्र था.
दिल्ली पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों की कई फाइलें इस बात की गवाही देती हैं कि अल फलाह यूनिवर्सिटी के कुछ छात्र पिछले डेढ़ दशक में कई बार आतंकी गतिविधियों से जुड़े रहे. 2008 के दिल्ली धमाकों में शामिल इंडियन मुजाहिद्दीन के टॉप ऑपरेटिव मिर्जा शादाब बेग की मौजूदगी ने उस दौर में सुरक्षा एजेंसियों के भी कान खड़े कर दिए थे. और अब, लाल किले के पास ब्लास्ट में, एक बार फिर यही यूनिवर्सिटी एजेंसियों के शिकंजे में है.
अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम कैसे आया?
2008 में दिल्ली में सिलसिलेवार धमाकों के बाद जब जांच एजेंसियाँ संदिग्धों के नंबर्स, मेल और मॉड्यूल नेटवर्क खंगाल रही थीं, उसी दौरान अल फलाह यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट मिर्जा शादाब बेग का नाम सामने आया था. कई एजेंसी अफसर आज भी बताते हैं कि यही वह बिंदु था जहां पहली बार यह साफ हुआ कि आधुनिक शिक्षा संस्थानों में बैठकर भी आतंकी मॉड्यूल पनप रहे हैं. बाद में पता चला कि शादाब बेग यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के बहाने दिल्ली-एनसीआर में अपने नेटवर्क को मजबूत कर रहा था. धमाकों के बाद वह देश से भाग निकला. पहले पाकिस्तान, फिर खबरें आईं कि वह ISIS के साथ जुड़ गया.
पुराने जख्म अभी भरे भी नहीं थे कि अब फिर अल फलाह यूनिवर्सिटी का नाम गंभीर आतंकी गतिविधियों के संदिग्ध कनेक्शन में उछला है. दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच ने UGC की शिकायत के आधार पर यूनिवर्सिटी के खिलाफ दो अलग-अलग FIR दर्ज कर ली हैं. एक चीटिंग में दूसरी जालसाली की धाराओं में. FIR दर्ज होने के बाद क्राइम ब्रांच की टीम यूनिवर्सिटी मुख्यालय पहुंची. टीम ने कई दस्तावेज, फाइलें और एडमिशन रिकॉर्ड की जांच की. यूनिवर्सिटी को एक नोटिस भी सौंपा गया है, जिसमें छात्रों के रिकॉर्ड, एडमिशन प्रोसेस और वेरिफिकेशन से जुड़े दस्तावेज तलब किए गए हैं. दिल्ली पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई अचानक नहीं, बल्कि पिछले महीने से खुल रहे आतंकी मॉड्यूल की कड़ियों का परिणाम है, जो फरीदाबाद और मेवात के कई इलाकों में फैला पाया गया.
पुलिस की सूचना से खुला बड़ा नेटवर्क
फरीदाबाद पुलिस के टॉप सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूरी कार्रवाई की टाइमलाइन बेहद चौंकाने वाली है. 30 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस फरीदाबाद पहुंची. उनके पास एक सर्च वारंट था और इनपुट था कि एक बड़े आतंकी मॉड्यूल का सिरा फरीदाबाद के अल फलाह यूनिवर्सिटी के एक छात्र से जुड़ा है. उसी दिन मुज्जमिल नाम के छात्र को कैंपस से गिरफ्तार किया गया और ट्रांजिट रिमांड पर जम्मू-कश्मीर ले जाया गया. मुज्जमिल की पूछताछ में ऐसे खुलासे हुए, जिन्होंने एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया. जानकारी मिली कि फरीदाबाद में हथियार व विस्फोटक छिपा कर रखे गए हैं.
8 नवंबर को यूनिवर्सिटी कैंपस से दिल दहला देने वाली बरामदगी हुई. कई किलो विस्फोटक बनाने वाले सामान मिले. इसी के साथ 8 नवंबर को ही जम्मू-कश्मीर और फरीदाबाद पुलिस ने एक संयुक्त ऑपरेशन चलाया. जिस कार में संदिग्धों के घूमने की सूचना मिली थी, उसी कार से बरामद हुआ एक असॉल्ट राइफल, एक पिस्टल , असॉल्ट राइफल की तीन मैगजीन, 83 जिंदा कारतूस, पिस्टल की दो अतिरिक्त मैगजीन और 7 जिंदा कारतूस. कार को कैंपस से ही सीज कर लिया गया. इसके बाद दो दर्जन से ज्यादा जगहों पर एक साथ सर्च ऑपरेशन चला. दौज, तगा और आसपास के पूरे इलाकों में छापे मारे गए. 9 नवंबर को 12 सूटकेस और 358 किलो विस्फोटक मिला. अगले ही दिन पुलिस ने दौज इलाके में एक बिल्डिंग के कमरे की तलाशी ली. वहां IED तैयार करने का पूरा सामान मौजूद था. सारा माल जम्मू-कश्मीर पुलिस की टीम के हवाले कर दिया गया. 10 नवंबर को 2553 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद हुआ. इनपुट के आधार पर पुलिस ने अगला छापा फतेहपुर तगा में इमाम इश्तियाक के मकान पर मारा. यहाँ से बरामद हुए 2553 किलो अमोनियम नाइट्रेट. यह विस्फोटक अगले स्टेज की प्रोसेसिंग के लिए तैयार रखा गया था. उसी शाम 6:52 बजे लालकिले के पास धमाका हुआ. इस घटना ने जांच को और तेज कर दिया.
कई फरार, कई पकड़ में
मुज्जमिल की गिरफ्तारी के बाद से उमर फरार था. जांच एजेंसियों को उसकी लोकेशन नूह-मेवात में मिली. उसी दौरान जानकारी मिली कि एक i 20 कार, जिसे रॉयल कार डीलर सोनू ने बेचा था, संदिग्ध गतिविधियों में उपयोग हुई. सोनू को उसी रात विशेष सेल के हवाले कर दिया गया. 12 नवंबर को खंडावली गांव से लाल रंग की इको स्पोर्ट संदिग्ध कार पकड़ी गई. विस्फोटक तो नहीं मिला, लेकिन कार को सीज कर दिया गया. अब वह फॉरेंसिक जांच में है. 13 नवंबर को दौज के रहने वाले वासिब को गिरफ्तार किया गया. वह यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर ऑपरेटर था और उमर के सीधे संपर्क में था. इसी दिन यूनिवर्सिटी में खड़ी एक सिल्वर ब्रीजा भी एजेंसियों ने सीज की. एनएसजी और CFSL टीम ने इसकी जांच की, हालांकि इसमें विस्फोटक नहीं मिला. 14 नवंबर को मेवात के सुनहरा गांव से मुस्तक़िल को पकड़ा गया. वह उमर का करीबी था और अल फलाह यूनिवर्सिटी में ही इंटर्नशिप कर रहा था. उसकी मेडिकल डिग्री चीन से MBBS की बताई जा रही है.
क्या यूनिवर्सिटी की भूमिका जांच के घेरे में है?
यूजीसी की शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस ने जो FIR की है, उसका सीधा संबंध दस्तावेजों में धोखाधड़ी और हेरफेर से जुड़ा है. पुलिस यह पता लगाने में जुटी है कि क्या यूनिवर्सिटी में फर्जी कागजातों पर दाखिले हुए? क्या संदिग्ध छात्रों को आसान एंट्री या अंदरूनी मदद मिली? क्या कैंपस को लॉजिस्टिक सपोर्ट के रूप में इस्तेमाल किया गया? और क्या वर्षों से यूनिवर्सिटी में मौजूद गैप का फायदा आतंकी संगठनों ने उठाया?
अरविंद ओझा