'करोड़ों की सरकारी जमीन निजी अस्पतालों को देने की साजिश...', AAP का रेखा सरकार पर गंभीर आरोप

दिल्ली में सरकारी अस्पतालों को निजी हाथों में देने की योजना को लेकर विवाद तेज हो गया है. आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी सरकार पर आरोप लगाया कि वह करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन और बने अस्पताल निजी हाथों में सौंपना चाहती है.

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दिल्ली में सरकारी अस्पतालों के निजीकरण की चर्चा ने आप-बीजेपी के बीच बढ़ाया सियासी तापमान (Photo: PTI) दिल्ली में सरकारी अस्पतालों के निजीकरण की चर्चा ने आप-बीजेपी के बीच बढ़ाया सियासी तापमान (Photo: PTI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:43 PM IST

दिल्ली के सरकारी अस्पतालों को निजी हाथों में देने की योजना को लेकर सियासी विवाद गहराता जा रहा है. आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस छिड़ी हुई है. आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया है कि बीजेपी सरकार दिल्ली में बने सरकारी अस्पतालों को निजी कंपनियों को देने की योजना बना रही है, जिससे जनता को नुकसान और निजी अस्पतालों को फायदा होगा.

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आम आदमी पार्टी कहना है कि उनके कार्यकाल के समय 24 नए अस्पतालों का निर्माण शुरू हुआ था. इनमें हजारों बेड की सुविधा देने की योजना थी. शालीमार बाग का 1470 बेड वाला अस्पताल लगभग तैयार है, लेकिन बीजेपी सरकार ने इसे चालू करने में देरी की है.

आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा, “हमारी सरकार ने कभी अस्पतालों के निजीकरण की बात नहीं की. ये अस्पताल जनता को मुफ्त इलाज देने के लिए बनाए गए थे.” उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन और खर्चे से बने अस्पतालों को निजी हाथों में देने की साजिश कर रही है.

बीजेपी की ओर से कहा गया कि अस्पतालों के निर्माण में देरी आम आदमी पार्टी सरकार के समय भी हुई थी और कोविड-19 के दौरान निर्माण योजनाओं में रुकावटें आई थीं. हालांकि, AAP ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि उन्होंने कभी भी अस्पतालों के निजीकरण की योजना नहीं बनाई.

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जनता के लिए खतरा

आप ने चेतावनी दी है कि अगर सरकारी अस्पताल निजी हाथों में गए, तो जनता को फ्री इलाज की सुविधा से वंचित होना पड़ेगा और निजी अस्पतालों को फायदा मिलेगा. पार्टी ने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से इस पर जवाब मांगा है. यह विवाद अब दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिस पर जनता की निगाहें टिकी हैं.

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