हाल ही में केंद्र सरकार का एक ऑर्डर आया है जिसमें इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों के सिस्टम को रिस्ट्रक्चर किया गया है जिससें फील्ड में काम करने के लिए करीब 2000 से ज्यादा अधिकारी अलग-अलग जगहों के लिए उपलब्ध हो जाएंगे.
दरअसल ये सब इसलिए किया जा रहा है क्योंकि अलग-अलग सुरक्षा संस्थानों को रियल टाइम ऐक्शनेबल खुफिया इनपुट्स चाहिए होते हैं जिससे दुश्मनों के खिलाफ कड़ी कारवाई रियल टाइम में किया जा सके. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस समय जम्मू कश्मीर, नक्सल, नॉर्थ ईस्ट, चीन बॉर्डर और खालिस्तान संगठनों से आंतरिक और वाह्य सुरक्षा का खतरा है. इन खतरों से निपटने के लिए खुफिया विभाग और उससे जुड़े अधिकारी के तंत्र को रिस्ट्रक्चर किया जा रहा है.
कैसे बनते हैं इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) के फील्ड अफसर और क्या चुनौतियां रहती हैं?
फिलहाल, इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस के जरिए काफी हद तक जानकारियां खुफिया विभाग को मिलती रहती हैं लेकिन जो एक्शनेबल इंटेलिजेंस होता है वह ह्यूमन टू ह्यूमन इंटेलिजेंस के जरिए ही मिलता है, इसलिए सरकार यह चाहती है कि आईबी के फील्ड अफसर जो कि ACIO कहलाते हैं उनकी संख्या बढ़ाई जाए जिससे कि फील्ड में प्रत्यक्ष और ह्यूमन टू ह्यूमन इंटेलिजेंस को इकट्ठा किया जा सके. IB के सामने जो फील्ड अधिकारियों की जरूरत थी उसको रिस्ट्रक्चर करके पूरा किया जा रहा है.
कहा ये जाता है कि एक आईबी का अधिकारी बनना काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है. इंटेलिजेंस ब्यूरो में ग्रेड- I और ग्रेड -ll / कार्यकारी और सहायक केंद्रीय खुफिया अधिकारी (ACIO) जैसे कुछ पद होते हैं, जो इस वक्त कम थे जिसको रिस्ट्रक्चर करके समायोजित किया गया है. जानकारी यह भी है कि खुफिया विभाग ने नए पदों की भर्ती के लिए भी एग्जाम कंडक्ट किए हैं जिसमें प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा हो चुकी है, इंटरव्यू होना बाकी है.
आईबी देश की सुरक्षा और संरक्षा को देखने वाली एजेंसी है. इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) घरेलू सुरक्षा, आंतरिक खुफिया और प्रतिवाद से संबंधित है. आईबी सरकारी विभाग की सबसे पुरानी एजेंसियों में से एक है. आईबी के बारे में सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां जॉब करने वाले लोगों को भी अपने काम और स्थिति का कम से कम अंदाजा होता है, इसलिए पब्लिक डोमेन में आईबी के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध रहती है.
5 थियेटर में सबसे ज्यादा इस वक्त इंटेलिजेंस की जरूरत है
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, इस समय खुफिया विभाग को आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़े चैलेंज 5 थियेटर से मिल रहे हैं, जिसमें जम्मू कश्मीर थियेटर सबसे वल्नरेबल है. यहां जिस तरीके से अनुच्छेद 370 हटा, उसके बाद यहां की स्थिति में बड़ा बदलाव देखा गया. सरकार ने यहां विकास के कार्यों में गति दी, पर पाक परस्त आतंक को रोकने के लिए यहां ह्यूमन टू ह्यूमन इंटेलिजेंस की ज्यादा आवश्यकता रहती है. इसी के चलते 2019 से अब तक 400 से अधिक आतंकी जम्मू कश्मीर में ढेर किए जा चुके हैं.
एक तरफ जहां सूचना के आधार पर एक्शनेबल इंटेलिजेंस होता है तो वहीं आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने में सुरक्षाबलों को कोई दिक्कत नहीं होती. यही वजह है कि अब सरकार ज्यादा से ज्यादा इन क्षेत्रों में फील्ड इंटेलिजेंस ऑफिसर शामिल करने में जुटी हुई है. इसके साथ ही आपको बता दें कि नॉर्थ ईस्ट थिएटर, नक्सल सेक्टर, भारत- चीन बॉर्डर भारत- बांग्लादेश बॉर्डर के साथ-साथ इस इलाके की आंतरिक सुरक्षा एक बड़ी चुनौती सरकार के लिए रही है. सरकार के वर्तमान के इस कदम से यह लगता है कि अब जहां इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस और इंटेलिजेंस से सूचनाएं इकट्ठा की जा रही है. साथ ही फील्ड में ज्यादा अधिकारियों को उतारकर ह्यूमन टू ह्यूमन इंटेलिजेंस पढ़ाने का बड़ा प्लान तैयार हुआ है.
जितेंद्र बहादुर सिंह