दिल्ली विधानसभा में मिला अंग्रेज़ों के जमाने का 'फांसी घर', इससे पहले मिल चुकी है सुरंग

1912 में जब कोलकाता के बाद दिल्ली राजधानी बनाई गई थी, तब दिल्ली विधानसभा ही लोकसभा हुआ करती थी. 1926 में जब लोकसभा यहां से चली गई और उसके बाद अंग्रेज़ों ने इस जगह को कोर्ट में बदल दिया था. तब लाल किले से क्रांतिकारियों को सुरंग के जरिए यहां लाकर कोर्ट में पेश किया जाता और सजा दी जाती थी.

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'आजतक' की टीम स्पीकर के साथ फांसी घर तक पहुंची. 'आजतक' की टीम स्पीकर के साथ फांसी घर तक पहुंची.

पंकज जैन

  • नई दिल्ली,
  • 15 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:12 AM IST
  • सुरंग के जरिए लाए जाते थे क्रांतिकारी 
  • पहले विधानसभा में लगता था कोर्ट
  • इससे पहले सुरंग भी मिल चुकी

Hanging House Found in Delhi Assembly: दिल्ली विधानसभा के स्पीकर राम निवास गोयल ने दावा किया है कि विधानसभा परिसर में एक फांसी घर मिला है. स्पीकर का दावा है कि विधानसभा में दीवार तोड़ने के बाद एक ऐसी जगह नज़र आई जहां अंग्रेजों के जमाने में क्रांतिकारियों को फांसी के फंदे पर लटकाया जाता था. फ़िलहाल जांच के लिए भारतीय पुरातत्व विभाग को पत्र भी लिखा गया है. मंगलवार को 'आजतक' की टीम स्पीकर के साथ फांसी घर तक पहुंची.

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दिल्ली विधानसभा स्पीकर राम निवास गोयल ने बताया कि जहां फांसी घर मिला है, वह इमारत दो मंजिला है. और जिस दीवार को तोड़कर फांसी घर नज़र आया है, वहां पहुंचने के लिए काफी पुरानी लकड़ी की सीढ़ियों का इस्तेमाल करना होता है. इससे पहले दिल्ली विधानसभा में सुरंग भी मिल चुकी है. 

लंबे समय से बंद था दरवाजा
विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल के मुताबिक, विधानसभा परिसर में एक दरवाजा लंबे समय से बंद था. तीन साल पहले इसे खुलवाया गया था, जहां फांसी घर मिला है, उसके नीचे जमीन पर फिलहाल बाथरूम बना हुआ है जिसे अब बंद किया जाएगा.

यह भी पढ़ें:- दिल्ली विधानसभा के नीचे मिली सुरंग! लाल किले तक जाता है गुप्त रास्ता

फ़िलहाल दिल्ली विधानसभा के फांसी घर को पर्यटकों के लिए शुरू करने पर विचार चल रहा है. विधानसभा स्पीकर ने बताया कि आर-पार दिखने वाली कांच की एक लिफ्ट लगाई जाएगी ताकि आम लोग फांसी घर देख सकें. स्पीकर ने बताया कि फांसी घर को ढूंढने के लिए पिछले कई महीनों से कोशिश चल रही थी. हालांकि, कोरोना की वजह से देरी भी हुई.

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फांसी घर को ढूंढने के लिए पिछले कई महीनों से कोशिश चल रही थी.

सुरंग के जरिए लाए जाते थे क्रांतिकारी 
रामनिवास गोयल ने बताया कि 1912 में जब कोलकाता के बाद दिल्ली राजधानी बनाई गई थी, तब दिल्ली विधानसभा ही लोकसभा हुआ करती थी. 1926 में जब लोकसभा यहां से चली गई और उसके बाद अंग्रेज़ों ने इस जगह को कोर्ट में बदल दिया था. तब लाल किले से क्रांतिकारियों को सुरंग के जरिए यहां लाकर कोर्ट में पेश किया जाता और सजा दी जाती थी.

 

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