दिल्ली सरकार ने खाने की कमी के चलते बंदरों की मौत पर पेश की थी गलत रिपोर्ट

दिल्ली की एकमात्र वन्यजीव सेंचुरी असोल भट्टी में बंदरों की देखभाल में अनियमितता पाई गई हैं. वन्यजीव प्रेमियों ने इस मामले में दिल्ली सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है.

Advertisement
Symbolic image Symbolic image

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 25 मई 2015,
  • अपडेटेड 1:23 PM IST

दिल्ली की एकमात्र वन्यजीव सेंचुरी असोल भट्टी में बंदरों की देखभाल में अनियमितता पाई गई हैं. वन्यजीव प्रेमियों ने इस मामले में दिल्ली सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है.

बंदरों का अध्ययन करने वाली इकबाल मलिक ने दावा किया है कि असोल भट्टी में रहने वाले बंदरों पर बनाई गई उनकी रिपोर्ट को सरकार ने तोड़ मरोड़ कर पेश किया. सरकार ने रिपोर्ट का इस्तेमाल कर कहा था कि जब वन्यजीव विभाग बंदरों को खाना उपलब्ध  कराने में असफल रहा उस दौरान किसी भी बंदर की मौत नहीं हुई थी. गौरतलब है कि दिसंबर के महीने में विभाग तीन हफ्तों तक बंदरों को खाना नहीं दे पाया था.

Advertisement

खाना देने वाले ठेकेदार ने पिछला बकाया न मिलने की सूरत में खाने की आपूर्ति रोक दी थी . रविवार को मलिक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर उन्होंने सेंचुरी में बंदरों के साथ हो रहे भेदभाव से पर्दा उठाया.

केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने आशंका जताई थी कि दक्षिण दिल्ली के वन्यजीव स्थल में करीब 1000 बंदर भूख के कारण मर गए हैं. जिसके बाद दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर नजीब जंग ने पिछले साल 27 दिसंबर को इस मामले की जांच के आदेश दिए थे.मलिक कहती हैं कि मैंने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि 'बंदर केवल खाने की कमी के चलते नहीं मर रहे बल्कि मैंने ये भी साफ किया था कि सरकार की ओर से बंदरों का गलत ढंग से रखरखाव किया जा रहा है.'

Advertisement

बंदरों के संबंध में सरकार ने लापरवाही बरती . ऐसे काम किए जो भ्रष्टाचार के घेरे में आते हैं. इसके अलावा सरकार ने सेंचुरी में ऐसी योजनाओं को अंजाम दिया जिनका लाभ किसी भी तरह वहां रहने वाले जीवों को नहीं हुआ. ये काम केवल लोगों की आंखो में धूल झोकने के लिए किए गए इसलिए असफल रहे.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement