दिल्ली में 1 सितंबर से बदल जाएगी एक्साइज पॉलिसी, नहीं होगी शराब की एक भी प्राइवेट दुकान

दिल्ली में 1 सितंबर से पुरानी शराब नीति लागू होनी है. लेकिन यह एक्साइज पॉलिसी (excise policy in delhi) पहले जैसी नहीं होगी. इस शराब नीति में अब दिल्ली में शराब की एक भी प्राइवेट दुकान नहीं होगी. 700 दुकानों में एक भी प्राइवेट दुकान नहीं होगी.

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दिल्ली में शराब की 700 दुकानों में एक भी प्राइवेट दुकान नहीं होगी दिल्ली में शराब की 700 दुकानों में एक भी प्राइवेट दुकान नहीं होगी

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 11 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 9:18 PM IST

सितंबर की एक तारीख से दिल्ली में शराब की दुकानें फिर से पूरी तरह बदल जाएंगी. दिल्ली सरकार के फैसले के मुताबिक, पुरानी एक्साइज पॉलिसी एक बार फिर लागू होगी. लेकिन पुरानी एक्साइज पॉलिसी के लागू होने में भी एक नयापन होगा.

15 नवंबर 2021 से दिल्ली में नई आबकारी नीति लाई गई और सभी दुकानें प्राइवेट हो गईं. उससे पहले राजधानी में तकरीबन 500 दुकानें सरकारी थीं और तकरीबन 200 दुकानें प्राइवेट. लेकिन 1 सितंबर को जब पुरानी पॉलिसी फिर से लागू होगी तो प्राइवेट दुकानों का पत्ता पूरी तरह साफ हो जाएगा.

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इसका मतलब ये है कि सितंबर से अगले कम से कम 6 महीनों के लिए दिल्ली में सिर्फ सरकारी दुकानों से ही खरीददार शराब खरीद पाएंगे. आजतक के पास एक्सक्लूसिव जानकारी हाथ लगी है. इसके मुताबिक सरकार ने तैयारी कर ली है कि 1 सितंबर को 500 सरकारी दुकानें खुल जाएंगी. उसके बाद कुछ महीनों में 200 और सरकारी ठेके ही खुलेंगे यानि कुल दुकानों की संख्या लगभग 700 हो जाएगी. लेकिन इन 700 दुकानों में एक भी प्राइवेट दुकान नहीं होगी.

शराब की दुकानों को सिर्फ चार सरकारी एजेंसियां ही चलाएंगी. ये चार सरकारी एजेंसियों के नाम हैं- DTTDC, DSIIDC, DCCWS और DSCSC, जो पहले भी पुरानी पॉलिसी में शराब की दुकानों को हैंडल करते आईं हैं.

एक सितंबर से और क्या बदलेगा

इन चारों सरकारी एजंसियों को खास तौर पर हिदायत दे दी गई है कि वो उपभोक्ताओं को बेहतरीन सुविधाएं मुहैया कराएं. यानि यूजर एक्सपीरियंस में कोई कमी नहीं आनी चाहिए. प्राइवेट कारोबारियों को शराब के बिजनेस से दूर रखने का फैसला सोचा समझा लगता है क्योंकि मौजूदा शराब नीति में इन्हीं कारोबारियों को फायदा पहुंचाने की शिकायत की जांच की जा रही है.

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आम आदमी पार्टी और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ये भी आरोप लगाए थे कि जो पहले प्राइवेट दुकानें चलतीं थीं उनमें बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं की मिलीभगत थी. इन्हीं आरोपों के मद्देनज़र अब प्राइवेट दुकानों के शटर डाउन करने का फैसला ले लिया गया है. 

एक हज़ार से ज़्यादा ब्रांड की मिलेगी च्वाइस

ये भी फैसला हो चुका है कि दिल्ली वालों को शराब के मामले में पूरा ऑप्शन दिया जाएगा. इसके लिए तकरीबन एक सौ होलसेलर और मैन्यूफैक्चरर की सेवाएं ला जाएंगी. ये सब मिलकर दिल्लीवालों को 1000 अलग-अलग किस्म की शराब ब्रांड का ऑप्शन मुहैया कराएंगे. इन हज़ार किस्म की शराबों में इंडियन और फॉरेन लिकर दोनों तरीके के ब्रांड मौजूद होंगे. ये भी ख़ास ध्यान रखा जाएगा कि हर तबके के शौक और बजट के हिसाब से शराब का अलग-अलग किस्म की वेरायटी मिल पाए ताकि किसी को शिकायत का मौका ना मिले.

बाहरी राज्यों से शराब लाने ले जाने पर भी बढ़ेगी सख्ती

दिल्ली के आसपास के राज्यों मसलन यूपी और हरियाणा से शराब की खरीद फरोख्त उपभोक्ता और यहां तक कि शराब माफिया काफी करते हैं, उन सब पर रोक लगाने के लिए भी बड़े पैमाने पर तैयारी कर ली गई है. एक्साइज इंटेलीजेंस ब्यूरो यानि ईआईबी के अलावा सब-डिवीजन स्तर पर कई सारी टीम बनाई जाएगी जिसके मुखिया सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट होंगे.

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इन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई है कि किसी भी तरीके का नकली शराब, सीमा पार से तस्करी, शराब की जमाखोरी, पैनिक सेलिंग और यहां तक कि अवैध तरीके से शराब की कीमतों में छूट या ज़्यादा वसूली पर भी नियंत्रण करें.

 

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