दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने करोड़ों रुपये के स्टॉक मार्केट घोटाले का पर्दाफाश करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पकड़े गए आरोपियों की पहचान कुलवंत सिंह और देवेंद्र सिंह के रूप में हुई है. पुलिस के अनुसार दोनों ने अपनी बैंक अकाउंट जानकारी संगठित साइबर गिरोहों को उपलब्ध कराकर करोड़ों रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग में मदद की.
डीसीपी (क्राइम ब्रांच) आदित्य गौतम ने बताया कि जांच के दौरान सामने आया कि एक साइबर सिंडिकेट ने निवेशकों को आईपीओ फंडिंग और हाई रिटर्न स्टॉक मार्केट स्कीम का लालच दिया. पीड़ितों को झांसा देकर उनसे ठगी गई रकम आरोपियों के खातों में डाली गई. इस तरीके से करीब छह करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई.
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पुलिस ने बताया कि जांच में यह भी पता चला कि धोखाधड़ी की रकम में से करीब 20 लाख रुपये एक एनजीओ के नाम से खोले गए खाते में ट्रेस हुए हैं. यह खाता राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर दर्ज कम से कम 10 शिकायतों से सीधे जुड़ा पाया गया. आरोपियों ने एनजीओ के नाम से एक ट्रस्ट रजिस्टर करवाया और उसके नाम पर चालू खाते खोले ताकि असली मालिकाना हक छिपाया जा सके. बाद में इन खातों को साइबर फ्रॉड गिरोहों के हवाले कर दिया गया.
आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वे पेशेवर “अकाउंट प्रोवाइडर” के रूप में काम करते थे. वे खाते के साथ चेक बुक, एटीएम कार्ड, सिम कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग की जानकारी भी गिरोह को सौंप देते थे. इसके बदले उन्हें 30 हजार रुपये मासिक वेतन और हर लेनदेन पर 5% कमीशन मिलता था.
फर्जी ट्रेडिंग एप करवाते थे डाउनलोड
पुलिस के अनुसार गिरोह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए निवेशकों को फर्जी ट्रेडिंग एप डाउनलोड करवाते थे. फिर उन्हें नकली ऑनलाइन ग्रुप में जोड़कर निवेश के लिए प्रेरित करते थे. जब पीड़ित अपने पैसे निकालने की मांग करते, तो गिरोह धोखे और धमकियों का इस्तेमाल कर उनकी रकम रोक लेते थे. ठगे गए पैसों को कई खातों में घुमा-फिराकर असली स्रोत छिपा दिया जाता था.
डीसीपी गौतम ने कहा कि आरोपियों के खाते इस पूरे नेटवर्क की रीढ़ थे, जिनके जरिए ठगी के पैसे देशभर में घुमाए जाते थे. फिलहाल पुलिस बाकी रकम की बरामदगी और गिरोह के मास्टरमाइंड की तलाश कर रही है.
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