दिल्ली नगर निगम में स्टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चुनाव होने वाला है. इस बीच आम आदमी पार्टी को एक बड़ा झटका लगा है. दिल्ली के बवाना वार्ड से AAP पार्षद पवन सहरावत भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं.
दिल्ली बीजेपी की ओर से ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई है. इसमें बताया गया है कि दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा की उपस्थिति में बवाना से आप पार्षद पवन सहरावत ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की.
दिल्ली नगर निगम में स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव से पहले पार्षद के इस्तीफे से आम आदमी पार्टी को झटका लग सकता है. एमसीडी के सदन की कार्यवाही आज बुलाई गई है, जिसमें स्टैंडिंग कमेटी का चुनाव होना है. 22 फरवरी को मेयर के चुनाव के बाद डिप्टी मेयर का चुनाव हुआ था, जिसमें AAP के एक पार्षद ने क्रॉस वोटिंग की थी. इसके बाद फिर रातभर स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव के लिए सदन की कार्यवाही चली, लेकिन हंगामा और हाथापाई के अलावा और कुछ हाथ नहीं लगा.
स्थायी समिति में कितने सदस्य?
एमसीडी की स्थाई समिति में कुल 18 सदस्य होते हैं, जिनमें 6 सदस्य पार्षदों के द्वारा चुने जाते हैं तो 12 सदस्य एमसीडी के अलग-अलग जोन से चुने जाते हैं. केंद्र सरकार ने सुचारू कामकाज के लिए एमसीडी के 12 प्रशासनिक (जोन) क्षेत्रों में बांट रखा है, जिसमें दिल्ली के सेंट्रल, सिटी-एसपी (सदर पहाड़गंज), सिविल लाइंस, करोल बाग, केशव पुरम, नजफगढ़, नरेला, नॉर्थ शाहदरा, रोहिणी, साउथ शाहदरा, साउथ और वेस्ट शामिल हैं.
स्थायी समिति के पास ताकत
दिल्ली नगर निगम में स्थायी समिति के पास काफी पावर हैं. ठेके वाली परियोजनाओं पर मेयर-निगमायुक्त को पहले स्थायी समिति से मंजूरी लेनी होगी. स्टैंडिंग कमेटी में पास होने के बाद ही इसे मेयर सदन से पास कराने के लिए रख सकते हैं. प्रस्ताव से अहसमत होने पर सदन स्थायी समिति की परियोजना को खारिज कर सकती है. स्थायी समिति प्रस्तावों को वापस कर विभाग को नए सिरे से समीक्षा करने का आदेश दे सकती है. बड़े व्यावसायिक और आवासीय संपत्तियों के नक्शे और ले-आउट प्लान पास करने का अधिकार स्थायी समिति के पास है.
मेयर से कम नहीं है स्टैंडिंग कमेटी चेयरमैन की पॉवर
दिल्ली निगमायुक्त की छुट्टी स्वीकृत करने और निगम में कौन सी एजेंसी काम करेगी और कौन नहीं, इसका फैसला लेने का अधिकार स्थायी समिति के पास है. एमसीडी के किसी भी परियोजना का बजट तय करने और 50 हजार रुपये तक की कोई भी अचल संपत्ति बेचने और किराए पर देने का अधिकार भी स्टैंडिंग कमेटी के पास है. स्टैंडिंग कमेटी में जो चेयरमैन बनेगा, उसकी हैसियत कामकाज के लिहाज से मेयर से कम नहीं है. स्टैंडिंग कमेटी पर यदि किसी तरह से बीजेपी का कब्जा हो जाता है तो फिर एमसीडी में भी उपराज्यपाल और केजरीवाल सरकार की तरह पावर क्लैश होता रहेगा.
राम किंकर सिंह