दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने एक ऐसे आरोपी को गिरफ्तार किया है, जिसने एक ही प्रॉपर्टी को बार-बार गिरवी रखकर निजी बैंकों से करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी की है. अधिकारियों ने गुरुवार को इस गिरफ्तारी की पुष्टि की है.
यह मामला नवंबर 2019 का है, जब मनीष और उसकी पत्नी अनीता दोनों एक निजी लिमिटेड कंपनी के निदेशक थे और उन्होंने पश्चिमी दिल्ली के राजौरी गार्डन स्थित एक निजी बैंक से 3 करोड़ रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा के लिए आवेदन किया था.
इसके बदले उन्होंने द्वारका स्थित एक तीसरी मंजिल के आवासीय फ्लैट का Sale Deed गिरवी रखा और दावा किया कि यह संपत्ति अनीता के नाम है और पहले से किसी के पास गिरवी नहीं है. बैंक ने उनके दावों पर भरोसा कर लोन मंजूर कर दिया. हालांकि, जब दोनों लोन चुकाने में असफल रहे और फरार हो गए, तो बैंक ने आंतरिक जांच शुरू की. जांच में सामने आया कि वही संपत्ति पहले से ही एक अन्य निजी बैंक के पास 2.7 करोड़ रुपये के लोन के लिए गिरवी रखी जा चुकी थी.
EOW के अनुसार, जो दस्तावेज बैंक को सौंपे गए थे, वो फर्जी थे. सेल डीड नकली था और सब-रजिस्ट्रार के दस्तखत भी जाली पाए गए. इसके बाद दिसंबर 2022 में पहली बैंक की शिकायत पर धोखाधड़ी, विश्वासघात, जालसाजी और आपराधिक साजिश जैसी धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई.
जांच में यह भी सामने आया कि मनीष और अनीता ने एक ही प्रॉपर्टी के कई नकली सेल डीड तैयार किए और उन्हें अलग-अलग बैंकों को दिखाकर लोन हासिल किया. इसके लिए इन्होंने फर्जी पता, प्रमाण और वित्तीय दस्तावेज भी बनाए.
EOW के अधिकारियों के अनुसार, अनीता को अप्रैल 2024 में गिरफ्तार किया गया था. वहीं मनीष, जो उस वक्त से फरार था, उसे 28 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया. 2018 में एक निजी कंपनी खरीदकर उसने उत्तम नगर में गारमेंट यूनिट शुरू की और फिर इसी कारोबार को बढ़ाने के लिए बैंकिंग सिस्टम का दुरुपयोग करते हुए जाली दस्तावेजों के आधार पर लोन हासिल किया और फरार हो गया.
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