दिल्ली नगर निगम में खेल, कागजों पर 8 साल से सील है मॉल, लेकिन हकीकत में रहता है गुलजार

मसलन सीताराम बाजार में एक ऐसी बिल्डिंग जमींदोज हो गई जोकि साल 2012 से ही कागजों में सील थी. अब पता चला कि करोलबाग जोन में एक ऐसे मॉल का जो कागजों पर सील है, लेकिन हकीकत बिल्कुल जुदा है.

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सील के बावजूद भी मॉल खुला सील के बावजूद भी मॉल खुला

राम किंकर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 17 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:35 PM IST
  • कागजों पर सील के बावजूद भी खुल रहा मॉल
  • उत्तरी दिल्ली नगर निगम का खेल आया सामने

उत्तरी दिल्ली नगर निगम अधिकारी मलका गंज जिले में बिल्डिंग गिरने से हुई मौत की जांच में जुटे हैं तो वहीं एक के बाद एक निगम के मामले कई सवाल खड़े कर रहे हैं. मसलन सीताराम बाजार में एक ऐसी बिल्डिंग जमींदोज हो गई जोकि साल 2012 से ही कागजों में सील थी. अब पता चला कि करोलबाग जोन में एक ऐसे मॉल का जो कागजों पर सील है, लेकिन हकीकत बिल्कुल जुदा है.

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कागजों पर सील, हकीकत में गुलजार

उत्तरी निगम का एक और कारनामा करोलबाग इलाके में स्थित एक मॉल कागजों में पिछले 8 सालों से सील है, लेकिन हकीकत में वहां की सभी दुकानें-शोरुम खुले हुए हैं और लोगों से गुलजार रहते हैं.

अवैध निर्माण के चलते मॉल को निगम ने सील  कर दिया था. आम आदमी पार्टी के पार्षद और नॉर्थ एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल का कहना है कि मॉल दिल्ली से खुला है और उसमें शोरूम चल रहे हैं. 

वहीं, मॉल के मालिक मुकेश गर्ग ने कहा कि एमसीडी अपने रिकॉर्ड दुरुस्त कर ले, क्योंकि यह बहुत पहले ही डी-सील हो चुका है. इसके सभी तरह के टैक्स जमा होते रहे हैं. मामले में पूर्व मेयर रविंदर गुप्ता को परेशान करने का इल्जाम लगाया और इसकी शिकायत नॉर्थ दिल्ली के कमिश्नर संजय गोयल से की.

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कागजों पर गिराने का आदेश, 6 साल बाद खुद गिरी बिल्डिंग

उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सिटी-सदर पहाड़गंज जोन के तहत आने वाले सीताराम बाजार की गली स्कूल वाली में स्थित संपत्ति संख्या 3185 पर बनी तीन मंजिला इमारत भरभराकर गिर गई. कोर्ट ने भी इस बिल्डिंग को तोड़ने के आदेश जारी किए थे.

साल 2015 में संपत्ति मालिकों ने नगर निगम के खाते में इसे तोड़ने की फीस बतौर डिमोलिशन चार्ज के रूप में 28 हजार 200 रूपये जमा करा दी थी, लेकिन निगम अधिकारियों ने नाम मात्र की तोड़फोड़ करके अब तक इमारत को छोड़ रखा था.

 

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