Delhi MCD Election: नए परिसीमन से वसंत कुंज-आरके पुरम-मुनरिका वार्ड में कैसे बदले समीकरण? जानें

Delhi MCD Election 2022: दिल्ली में एमसीडी चुनावों को लेकर सियासी पार्टियां जोर शोर से तैयारियों में जुटी हुई हैं. नए परिसीमन के बाद वसंत विहार, आरके पुरम और मुनिरका वार्ड में चुनावी समीकरण बदल गए हैं.

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Delhi MCD Election 2022 Delhi MCD Election 2022

aajtak.in

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  • 06 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 8:35 PM IST
  • दिल्ली में MCD चुनाव, तेज हुई सियासत
  • पूरे दमखम से तैयारी में जुटे सियासी दल
  • क्या हैं समस्याएं, किन मुद्दों का है जोर

Delhi MCD Election 2022: दिल्ली में एमसीडी चुनावों को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है. सियासी पार्टियां जोर शोर से तैयारियों में जुटी हुई हैं. आरके पुरम विधानसभा के अंतर्गत वसंत विहार, आरके पुरम और मुनिरका वार्ड आते हैं. नए परिसीमन के बाद इन वार्ड्स में चुनावी समीकरण बदल गए हैं. अब सीटें अलग-अलग कैटेगरी के लिए रिजर्व कर दी गई हैं. इन तीनों वार्ड से जितने भी सिटिंग काउंसलर थे. वह अब स्थानीय वार्ड से चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. 

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किस कैटेगरी के लिए कौन सा वार्ड रिजर्व?

वसंत विहार वार्ड को अति पिछड़ी कैटेगरी की महिला, आरके पुरम वार्ड को अति पिछड़ी श्रेणी और मुनिरका वार्ड को महिला के लिए रिजर्व किया गया है. बीते चुनाव में तीनों वार्ड पर बीजेपी का कब्जा रहा था. वसंत विहार वार्ड से मनीष अग्रवाल, आरके पुरम वार्ड से तुलसी जोशी और मुनिरका वार्ड से भगत टोकस पार्षद चुनकर आए थे. इन तीनों ही वार्ड का अपना अलग सियासी महत्व है. आइए जानते हैं इनका सियासी हाल.

वसंत विहार 65S 

वसंत बिहार में लगभग 55 हजार मतदाता हैं. वसंत विहार दिल्ली के सबसे पॉश इलाकों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि देश में किसी एक इलाके से सबसे ज्यादा जो सरकारी टैक्स जाता है तो वह वसंत विहार से ही जाता है. हालांकि, इस वार्ड में कुछ सरकारी कॉलोनी, झुग्गियां के अलावा वसंत एनक्लेव जैसा गांव भी आता है. इस वार्ड में एमसीडी के काम को लेकर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रिया रही है. लोगों का कहना है कि यहां एमसीडी ने अच्छा काम किया है.

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स्थानीय लोगों ने बताईं समस्याएं

वसंत विहार के निवासी सुरेश गोयल ने बताया कि उनके क्षेत्र में जो पार्क है वहां पानी की काफी समस्या है. इस वजह से पार्क को हरा-भरा रखने के लिए बहुत कम पानी मिल पाता है. सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं को लेकर भी शिकायत है. वहीं, सरकारी कॉलोनी में रहने वाले पवन कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि उनके वार्ड में हॉर्टिकल्चर को लेकर काफी समस्या है. पेड़ों के छंटाई समय पर नहीं होती है. पेड़ों से टूटकर गिरने वाली सूखी पत्तियों-टहनियों की सड़कों से सफाई काफी देर से होती है. वहीं, एक अन्य निवासी राजेश कुमार महतो के मुताबिक उनके इलाके में टूटी-फूटी सड़कें, पार्किंग और सीवर ओवर फ्लो की गंभीर समस्या है.

आरके पुरम वार्ड 65S 

आरके पुरम वार्ड में लगभग 54 हजार मतदाता हैं. आरके पुरम वार्ड को सरकारी कॉलोनी के लिए जाना जाता है. हजारों की संख्या में सरकारी कर्मचारी अपने परिवार के साथ यहां पर रहते हैं. इस वार्ड में दो तरह की आबादी है. पहली सरकारी कॉलोनी वाली तो दूसरी झुग्गी में रहने वाले. आरके पुरम में जो जोगी का इलाका है, वह किसी भी चुनाव के लिए बेहद निर्णायक साबित होता है. आरके पुरम सेक्टर 9 में जो झुग्गी वाला इलाका है. उसके प्रधान नीरज ने बताया कि उनके क्षेत्र में सीवर की समस्या काफी ज्यादा है. सीवर जाम होने के चलते नालियां ओवरफ्लो हो जाती है. 

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मुनिरका वार्ड 66S

मुनिरका वार्ड संख्या 66एस में 62 हजार वोट हैं. मुनिरका वार्ड में मुख्य रूप से मुनिरका गांव के अलावा कुछ सरकारी कॉलोनी और थोड़ा-बहुत जोगी का इलाका आता है. मुनिरका गांव में डीडीए फ्लैट का भी इलाका है. मुनिरका गांव एक जाट बाहुल्य गांव माना जाता है. इस पूरे इलाके में किराएदार काफी संख्या में रहते हैं जिसके चलते यहां का वोट एक तरफा नहीं होता.

मुनिरका गांव की बात करें तो बरसात के दिनों में यहां की सड़कें पानी से लबालब हो जाती हैं. इस गांव में सीवर का इतना बुरा हाल है कि हल्की से बारिश में हर तरफ पानी पानी हो जाता है. मुनिरका से आरडब्ल्यूए के प्रेसिडेंट भगवान देव का कहना है कि उनके क्षेत्र में रेहड़ी-पटरी का जबरदस्त अतिक्रमण है. जिस को हटाने के लिए काउंसलर की तरह से कोई कार्य नहीं किया जाता. 

कुल मिलाकर आरके पुरम विधानसभा की स्थिति यह है कि नए परिसीमन ने राजनीति का सारा समीकरण ही बिगाड़ दिया है जितने भी लोग एमसीडी चुनाव में तैयारी में जुटे थे. परिसीमन के बाद पूरा क्षेत्र है अलग-अलग श्रेणी में रिजर्व हो गया. लिहाजा टिकटों को लेकर होने वाली मारामारी ने यहां नया रूप ले लिया है. 

(अमरदीप कुमार की रिपोर्ट)

 

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