दिल्लीः इस मोबाइल मार्केट पर MCD की क्यों रहती है तीखी नजर?

करोलबाग स्थित चार मंजिला मोबाइल मार्केट को आईआईटी ने खतरनाक बता दिया है, इसके बावजूद उसके ग्राउंड फ्लोर पर 60 दुकानें चल रहीं हैं. एमसीडी की ओर से दुकानें खाली करने के आदेश दे दिए गए हैं, लेकिन दुकानदार रिडेवलपमेंट का प्लान भी मांग रहे हैं. उनकी ये भी मांग है कि उन्हें दूसरी जगह दुकानें दी जाएं.

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IIT रूड़की की ऑडिट रिपोर्ट में बिल्डिंग को खतरनाक बताया गया है. IIT रूड़की की ऑडिट रिपोर्ट में बिल्डिंग को खतरनाक बताया गया है.

राम किंकर सिंह

  • नई दिल्ली,
  • 29 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 11:22 PM IST
  • करोलबाग की 4 मंजिला इमारत खतरनाक
  • निगम ने दुकान खाली करने के आदेश दिए
  • दुकानदारों की मांग, दूसरी जगह मिले दुकान

राजधानी दिल्ली के करोलबाग स्थित जिस चार मंजिला मोबाइल मार्केट को आईआईटी रुड़की ने खतरनाक बताया है उसमें अभी भी ग्राउंड फ्लोर पर करीब 60 दुकानें चल रहीं हैं. स्टैंडिंग कमेटी के चेयरमैन जोगीराम जैन का दावा है कि कमिश्नर और दूसरे अधिकारी औचक निरीक्षण पर गए थे, तभी ईंट का एक टुकड़ा ऊपर से गिरा, फिर क्या था आईआईटी ने सेफ्टी ऑडिट में इसे "डेंजरस" घोषित कर दिया. अधिकारियों ने पहले तीन दिन खाली करने का फरमान दिया और विरोध के बाद अब 10 दिन की मोहलत दे दी.

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व्यापार बड़ा या बड़ी है जान  

गफ्फार की मोबाइल मार्केट एसोसिएशन और एमसीडी के नेताओं के बीच कई बैठकों का दौर खत्म हो गया, लेकिन निगम को मार्केट की रिडेवलपमेंट प्लान का खाका क्या है यही नहीं पता. ऐसा इसलिए क्योंकि करोलबाग जोन के निगम अधिकारियों की ओर से मार्केट के दुकानदारों को दुकानें खाली करने के आदेश तो दिए गए, लेकिन निगम शासित बीजेपी नेताओं को भनक तक नहीं लगी. 

ये हाल तब है जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता खुद करोलबाग जोन के एक वार्ड से ही पार्षद हैं. दुकानदार खाली करने को लेकर हलकान नहीं है क्योंकि पिछले कई सालों में एमसीडी ये कोशिश कर चुकी है. ये पहली बार हुआ है जब एमसीडी डेंजरस बिल्डिंग के नाम पर दुकान खाली करने की दलील दे रही है. साल 2016 में भी एमसीडी के हाउस में ये प्राइवेट बिल लाया गया कि मार्केट को रिडेवलप किया जाए ताकि एमसीडी की माली हालत ठीक हो सके लेकिन विरोध के बाद मामला ठंडा पड़ता गया.  

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ग्राउंड फ्लोर पर अब भी चल रहीं हैं दुकानें.

कोर्ट जा सकते हैं दुकानदार

करोलबाग मोबाइल ट्रेडर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट हरीश चित्कारा ने कहा कि मैंटेनेंस के नाम पर दुकानदारों से 10% लेने वाली एमसीडी ने इमारत की मैंटेनेंस पर 10 रुपये भी खर्च नहीं किए. दुकानदारों ने दुकानो को 100 साल की लीज़ पर लिया लेकिन 45 साल में ही क्या इमारत डैंजरस हो जाएगी. अगर ऐसा हुआ तो एमसीडी ने मैंटेनेंस क्यों नहीं किया? कोई हल ना निकलने पर दुकानदार कोर्ट जाने की बात कर रहे हैं. 

हरीश चित्कारा ने कहा कि किसी दूसरी एजेंसी से बिल्डिंग का ऑडिट कराया जाए और अगर गिराना जरूरी ही है तो अस्थायी दुकानें दी जाएं और ये सब कुछ लिखित में होना चाहिए.

मार्केट एसोसिएशन का कहना है कि एमसीडी की ये जगह मामूली नहीं बल्कि करीब दो हजार करोड़ की जगह है. ऐसे में एमसीडी और अधिकारी बार-बार इसे अपनी जद में लेना चाहते हैं और इस बाबत मार्केट एसोसिएशन ने पीछे सेंट्रल विजिलेंस कमीशन को पत्र भी लिखा है.

खस्ताहाल है इमारत

4 मंजिला इमारत के ग्राउंड फ्लोर पर मोबाइल मार्केट है. ऊपर के फ्लोर में खिड़कियों के शीशे टूट चुके हैं. एक दुकानदार ने बताया कि बीते साल जब दिल्ली में सिलसिलेवार ब्लास्ट हुए थे तो उस वक्त करोलबाग ब्लास्ट में शीशे टूट गए. 

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