दिल्ली: 60 साल पुराने पीपल के पेड़ की कटाई पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक, जानें पूरा मामला

एन हरिहरन की याचिका पर दिल्‍ली हाईकोर्ट ने एक पीपल के पेड़ को काटने पर रोक लगाई है, वहीं इस मामले में दिल्‍ली हाईकोर्ट ने एनडीएमसी, दिल्ली पुलिस और उप वन संरक्षक को यह आदेश दिया है कि हाउस नंबर ए -7, इंद्रपुरी, नई दिल्ली के बाहर स्थित पीपल के इस पेड़ को किसी भी तरह से नुकसान न पहुंचे.

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संजय शर्मा

  • नई दिल्‍ली ,
  • 07 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 9:36 PM IST
  • दिल्‍ली हाईकोर्ट ने कहा पेड़ का कटना लोगों का नुकसान होगा
  • पर्यावरण के हित को देखकर लगाई गई रोक

Delhi High court News: दिल्ली हाईकोर्ट ने इंद्रपुरी इलाके में 60 साल पुराने पीपल के पेड़ की कटाई पर रोक लगा दी है. वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन की याचिका पर ये रोक हाईकोर्ट की ओर से लगाई गई है.

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर याचिका की जांच किए बिना पेड़ को काटने की अनुमति दी गई तो न केवल पर्यावरण को बल्कि इलाके के निवासियों को भी अपूरणीय क्षति होगी. हरिहरन ने व्यक्तिगत रूप से पेश होकर कहा कि उन्हें पता चला कि उनके आवास के पास 60 साल पुराने पीपल के पेड़ को अवैध रूप से काटा जा रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि संबंधित अधिकारियों द्वारा शुरू की गई कार्रवाई किसी भी वैध आदेश के तहत नहीं हो रही है. 

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उन्होंने प्रार्थना की कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), दिल्ली पुलिस और उप वन संरक्षक कार्यालय इस पेड़ को काटने से रोके. दूसरी ओर एनडीएमसी की ओर से पेश अधिवक्ता अभिनव एस अग्रवाल ने कहा कि उनके निर्देशानुसार उप वन संरक्षक कार्यालय द्वारा पीपल के पेड़ को स्थानांतरित करने की अनुमति देते हुए एक आदेश पारित किया गया था। हालांकि, वह इस आदेश का ब्योरा नहीं दे सके.  इसी तरह, दिल्ली पुलिस और उप वन संरक्षक का कार्यालय भी आदेश के बारे में न्यायालय को सूचित करने में असमर्थ रहे. 

अगली तारीख तक एनडीएमसी, दिल्ली पुलिस और उप वन संरक्षक का कार्यालय को यह सुनिश्चित करना होगा कि हाउस नंबर ए -7, इंद्रपुरी, नई दिल्ली के बाहर स्थित पीपल के पेड़ को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाया गया है. 

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कोर्ट ने याचिकाकर्ता को नियमों के मुताबिक औपचारिक याचिका दायर करने के लिए नौ नवंबर तक का समय दिया.  इसके बाद मामले को 11 नवंबर को रोस्टर बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया गया है. 

 

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