दिल्ली के नॉर्थ एमसीडी के 6 अस्पतालों के डॉक्टरों को तनख्वाह न मिलने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को 15 दिन के भीतर 8 करोड़ रुपये नॉर्थ एमसीडी को देने के निर्देश दिए हैं. नॉर्थ एमसीडी के बाड़ा हिंदू राव हॉस्पिटल, कस्तूरबा हॉस्पिटल समेत नॉर्थ एमसीडी के 6 अस्पतालों के डॉक्टर्स को मई तक की ही तनख्वाह मिल पाई है.
अप्रैल में वेतन न मिलने पर एमसीडी अस्पतालों में काम कर रहे डॉक्टरों ने हड़ताल पर जाने की धमकी दी थी. इसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले पर स्वतः संज्ञान लेकर एमसीडी और दिल्ली सरकार को तलब किया था. जून में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अप्रैल से मई तक की डॉक्टरों की सैलरी देने के निर्देश दिए थे. कोर्ट के आदेश पर ही दिल्ली सरकार ने नॉर्थ एमसीडी को फंड ट्रांसफर किया था.
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इस मामले में बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान एमसीडी ने कोर्ट को बताया कि दिल्ली सरकार की ओर से जो फंड दिया गया है, वह डॉक्टरों की तनख्वाह के लिए नहीं मिला है. इस पर दिल्ली सरकार ने एमसीडी को यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट देने को कहा है. इस सर्टिफिकेट से पता चलता है कि दिल्ली सरकार की ओर से दिए गए फंड को एमसीडी ने किन-किन मदों में खर्च किया. कोर्ट ने एमसीडी को यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट दिल्ली सरकार को भेजने के निर्देश दिए हैं. साथ ही सरकार को यह भी साफ किया है कि यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट मिलने का इंतजार किए बगैर 15 दिन के भीतर दिल्ली सरकार डॉक्टरों के लिए 8 करोड़ रुपये नॉर्थ एमसीडी को दे.
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अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार और एमसीडी के बीच फंड को लेकर होने वाली लड़ाई का असर डॉक्टरों को मिलने वाली सैलरी पर नहीं पड़ना चाहिए. कोरोना के इस वक्त में डॉक्टरों ने जिस तरह से अपनी जान पर खेलकर मरीजों का इलाज किया है, उसे देखते हुए तनख्वाह के लिए दिल्ली सरकार या एमसीडी द्वारा परेशान नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों को समय पर तनख्वाह दी जाए, एमसीडी का पूरा ख्याल रखा जाए और दिल्ली सरकार इसके लिए समय पर एमसीडी को फंड दे.
एमसीडी के जिन 6 अस्पतालों के डॉक्टरों को सैलरी नहीं मिली है, उनमें बाड़ा हिंदू राव हॉस्पिटल, कस्तूरबा हॉस्पिटल, महाऋषि वाल्मीकि हॉस्पिटल, राजेंद्र बाबू हॉस्पिटल, बालक राम हॉस्पिटल और गिरधारी लाल हॉस्पिटल शामिल हैं. दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले में अगली सुनवाई अब 1 सितंबर को होगी.
पूनम शर्मा