दिल्लीः HC ने तीनों MCD को लगाई फटकार, प्रीमियम भरवाया तो क्यों नहीं दी कैशलेस सुविधा

कैशलेस सुविधा नहीं दिए जाने को लेकर कोर्ट इतना नाराज था कि चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने सुनवाई के दौरान तीनों एमसीडी से कहा कि इस तरह की याचिकाओं पर एमसीडी कोई कार्रवाई खुद क्यों नहीं करती. क्या यह कोई गजल है जो कोर्ट को 3 बार गाकर गुनगुनानी पड़ेगी तभी एमसीडी काम करेगी?

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दिल्ली हाईकोर्ट दिल्ली हाईकोर्ट

पूनम शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 13 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 8:29 PM IST
  • 'एमसीडी याचिकाओं पर कार्रवाई खुद क्यों नहीं करती'
  • यह कोई गजल है जो 3 बार गाकर गुनगुनानी पड़ेगी-HC
  • महामारी के दौर में बुजुर्गों को हो रही दिक्कत - याचिका

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एमसीडी के रिटायर्ड कर्मचारियों को कैशलेस मेडिकल सुविधा नहीं दिए जाने को लेकर तीनों एमसीडी को जमकर फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि जब कैशलेस मेडिकल सेवाएं देने के लिए रिटायर्ड कर्मचारियों से प्रीमियम भरवाया गया तो फिर यह सुविधा एमसीडी की तरफ से उन्हें क्यों मुहैया नहीं करवाई गई.

कोर्ट इसको लेकर इतना नाराज था कि चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने सुनवाई के दौरान तीनों एमसीडी से कहा कि इस तरह की याचिकाओं पर एमसीडी कोई कार्रवाई खुद क्यों नहीं करती. क्या यह कोई गजल है जो कोर्ट को 3 बार गाकर गुनगुनानी पड़ेगी तभी एमसीडी काम करेगी?

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दरअसल, तीनों एमसीडी अपने रिटायर्ड कर्मचारियों से कैशलैस मेडिकल सुविधाएं देने के नाम पर प्रीमियम तो भरवा चुकी हैं, लेकिन जब सीनियर सिटीजंस को या उनके परिवार को किसी मेडिकल सुविधा की जरूरत होती है तो उन्हें अपनी जेब से अस्पतालों को पैसा देना होता है. उसके बाद उसके बिल एमसीडी में जमा करते हैं और फिर महीनों-सालों विभागीय धक्के खाने के बाद उनका मेडिकल रीइंबर्समेंट हो पाता है.

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याचिका में खासतौर से कहा गया है कि कोविड-19 वक्त में सीनियर सिटीजन के लिए मुश्किल है कि वह एक विभाग से दूसरे विभाग में अपने मेडिकल बिलों के भुगतान के लिए दौड़ते रहें. उसके बाद भी अक्सर मेडिकल बिल के भुगतान पर आपत्तियां दर्ज कर दी जाती हैं, जिससे मेडिकल बिल का भुगतान नहीं हो पाता.

याचिकाकर्ता का कहना था कि कोविड-19 के इस वक्त में पहले ही कई महीने तक पेंशन नहीं मिल पा रही है. ऐसे में मेडिकल कैशलेस सुविधाएं भी न मिलने के कारण परिवार के आर्थिक हालात और खराब हो गए हैं.

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