दिल्ली में अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर पर किसका अधिकार? सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई

दिल्ली में सिविल सेवा अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफर पर किसका अधिकार है, इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. दिल्ली सरकार और एलजी के बीच चल रहे इस विवाद पर कोर्ट ने कहा कि हम इसके संवैधानिक प्रावधानों को देखना चाहते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

संजय शर्मा

  • नई दिल्ली,
  • 11 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:45 PM IST

दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि सिविल सेवा अधिकारियों का कैडर जब एक बार आवंटित किया जाता है तो राज्य सरकार ट्रांसफर, पोस्टिंग आदि का फैसला करती है, लेकिन क्या यही सिद्धांत केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होता है, हम इसको लेकर संवैधानिक प्रावधानों को देखना चाहते हैं.

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इस मामले को चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई कर रही है, जिसमें जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल हैं. 

जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि हम यह देखना चाहते हैं कि नियम के हिसाब से कैडर कंट्रोल अथॉरिटी कौन है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बालाकृष्णन रिपोर्ट संवैधानिक संशोधन से पहले की है. यह संशोधन की वैधता निर्धारित करने का आधार नहीं हो सकती है, यह एक कानून या ऐसा कुछ नहीं है सिर्फ इसलिए कि बालाकृष्णन अगर गलत है तो इसका मतलब यह नहीं है कि यह अधिसूचना गलत है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भूमि, सार्वजनिक व्यवस्था और कानून व्यवस्था राष्ट्रीय परिदृश्य का प्रतिनिधित्व करती है और इसलिए इसे बाहर रखा गया है, अब सेवाओं के नियंत्रण पर क्या यह इन तीनों में से किसी में है या कोई माध्यिका है. दिल्ली सरकार ने कहा कि देश की विविधता के साथ संघवाद इसे संरक्षित करने का मार्ग है और सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपने पास रखा है. दिल्ली सरकार ने कहा कि बहुलवाद और लोकतंत्र एक प्रतिनिधि सरकार की पहचान है. 

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सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार ने पूछा कि क्या राज्य सरकार की संपत्तियों पर एनडीएमसी द्वारा लगाया गया नगरपालिका कर केंद्रीय कर है? बहुमत ने कहा कि यदि गैर वाणिज्यिक राज्य की संपत्ति है तो छूट दी गई है. 

 

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