मंगलवार को गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने दिल्ली नगर निगम संशोधन बिल (Delhi Municipal Corporation (Amendment) Bill, 2022) पेश किया. यह बिल दिल्ली के तीनों नगर नगम के एकीकरण का बिल है. बिल पेश करते हुए अमित शाह ने आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली सरकार इन तीनों निगमों के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार कर रही है.
गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली नगर निगम संशोधन बिल 2022 पेश करते हुए कहा कि दिल्ली का कुल क्षेत्र करीब 1484 वर्ग किलोमीटर है. एनडीएमसी और दिल्ली केंट को छोड़कर पूरी दिल्ली की सिविक सेवा की जिम्मेदारी इन तीनों नगर निगमों की है. तीनों निगमों में 1 लाख 20 हजार कर्मचारी काम करते हैं.
निगमों को आनन-फानन में बांटा गया था
राजधानी में ही राष्ट्रपति भवन, संसद, प्रधानमंत्री निवास और सारे केंद्रीय सचिवालय और दूतावास हैं. अंतर्राष्ट्रीय बैठकों का स्थान भी यहीं है. ऐसे में सिविक सेवाओं का महत्व और बढ़ जाता है. वह सुचारू रूप से चलें यह दिल्ली के नागरिकों के लिए और देश के लिए महत्वपूर्ण है.
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह नगर निगम 1883 से काम करता था. 1997 में कानून के द्वारा दिल्ली का म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन बनाया गया. 1993 और 2011 में संशोधन किए गए और 2011 में दिल्ली नगर निगम संशोधन अधिनियम लाकर तीन नगर निगमों में बांट दिया गया- उत्तरी, दक्षिणी और पूर्वी नगर निगम. उन्होंने कहा कि निगमों को बांटने के कारण को भी खंगाला गया, लेकिन कोई कारण नहीं मिला. यह बिल आनन-फानन में लाया गया था. इसे किस उद्देश्य से लाया गया यह वही बता सकते हैं जो इसे लेकर आए थे.
'दिल्ली सरकार तीनों नगर निगमों के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार कर रही है'
उन्होंने कहा कि तीनों निगमों को कुछ अच्छा सोचकर ही बांटा गया होगा, लेकिन 10 साल बाद जो परिणाम आए हैं वह अच्छे नहीं हैं. तीनों निगमों द्वारा अपनाई गई नीतियां अलग-अलग हैं, क्योंकि बांटते वक्त वित्तीय संसाधन और दायित्वों का ठीक से आकलन नहीं किया गया. उन्होंने यह भी कहा कि दो नगर निगम तो वित्तीय रूप से चल ही नहीं सकते. कार्मिकों की स्थितियों में भी असमानता है, इस वजह से तीनों निगमों के कर्मचारियों के बीच गहरा असंतोष है. इसके साथ ही दिल्ली सरकार इन तीनों नगर निगमों के साथ सौतेली मां जैसा व्यवहार कर रही है.
'सौतेला व्यवहार करने के कारण ही 250 से ज्यादा बड़ी हड़तालें हुईं'
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा ऐसा बोलने पर मेरा विरोध किया जाना स्वाभाविक है, लेकिन मैं आंकड़ों के साथ इसके ठोस कारण दूंगा, क्योंकि राजनीतिक उद्देश्य से अगर राज्य सरकारें स्थानीय निकायों के साथ सौतेला व्यवहार करेंगी तो न पंचायती राज सफल होगा और न अर्बन डेवलपमेंट के सारे निकाय सफल होंगे. हमने कहीं पर भी ऐसा व्यवहार नहीं देखा है. उन्होंने यह भी कहा कि इसके कारण 250 से ज्यादा बड़ी हड़तालें हुई हैं. इसके पहले के 10 साल लें, तो केवल 2 बड़ी हड़ताल हुईं थी. ऐसा क्या हुआ है? आम आदमी पार्टी की सरकार के सौतेला व्यवहार करने के कारण ही हड़तालों की संख्या बढ़ी थी.
उन्होंने यह भी कहा कि तीनों निगमों के बीच नीतियों के रूप में समानता लाना बहुत जरूरी है. कार्मिकों की सेवा की शर्तों के लिए भी समानता जरूरी है. आर्थिक संसाधन की प्राप्ति और उनके दायित्वों के बीच भी संतुलन बनाना जरूरी है. और ये तभी हो सकता है जब इन निगमों को एक किया जाए.
कमलजीत संधू / अशोक सिंघल / सुप्रिया भारद्वाज