दिल्ली में बिजली के मुद्दे पर कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी (AAP) को कटघरे में खड़ा किया है. राजधानी में ये वही मुद्दा है जिस पर कांग्रेस को केजरीवाल ने घेरकर दिल्ली की सत्ता हासिल की लेकिन अब कांग्रेस केजरीवाल को इसी मुद्दे पर घरेने लगी है.
दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित की मानें तो बिजली के फिक्स्ड चार्ज जिसमें दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (DERC) ने पिछले साल मार्च में इजाफा किया था उससे बिजली कंपनियों को लगभग 7 हजार करोड़ का फायदा हुआ. कांग्रेस मांग कर रही है कि दिल्ली सरकार ने जो बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाया है, उसको दिल्ली की जनता को रिफंड किया जाए.
केजरीवाल ने सोमवार को नहीं दिया मिलने का वक्त
बिजली के मामले पर 15 साल दिल्ली की मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से सोमवार को मिलने का वक्त मांग था. जिसके लिए बकायदा दिल्ली कांग्रेस की ओर से रविवार को कॉल किया गया, लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को मिलने का वक्त नहीं दिया. दिल्ली कांग्रेस के वर्किंग प्रेजिडेंट हारून यूसुफ की मानें तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली की जनता को बिजली के मुद्दे पर गुमराह कर रहे हैं.
केजरीवाल पर बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाने का आरोप
हारून यूसुफ ने कहा कि बिजली के मुद्दे पर कांग्रेस मुख्यमंत्री केजरीवाल से मुलाकात करना चाहती है, लेकिन दिल्ली के मुख्यमंत्री बातचीत से बचते नजर आ रहे हैं. हालांकि इस मामले पर कांग्रेस वर्किंग प्रेजिडेंट हारून यूसुफ ने कहा कि वक्त सोमवार को मांगा था लेकिन बुधवार को अरविंद केजरीवाल ने मिलने का समय दिया है. कांग्रेस का मानना है कि सोमवार नहीं तो बुधवार सही दिल्ली की जनता के हित में मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे. साथ ही दिल्ली में फिक्स चार्ज की आड़ में जो बिजली कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया है, उसको रिफंड करने की मांग करेंगे.
कांग्रेस नेता हारून यूसुफ का कहना है कि एक साल बीत जाने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बढ़े हुए फिक्स्ड चार्ज कम करने की याद आई है. जब दिल्ली में चुनाव सामने आए आ गए हैं. हारून यूसुफ का कहना है जो 7000 करोड़ का फायदा बिजली कंपनियों का हुआ है उस पर दिल्ली की जनता का अगले 6 महीने तक का बिजली का बिल माफ किया जाए.
वहीं पावर एक्सपर्ट वीएस वोहरा का कहना है कि दिल्ली के अंदर पिछले साल डीईआरसी द्वारा जो बिजली के दाम बढ़ाए गए उससे लगभग दिल्ली के 48 लाख उपभोगताओं पर 3 से 4 गुनी मार पड़ी है. वहीं बिजली कंपनियों को लगभग 5 से 7 हजार करोड़ का फायदा हुआ है. वहीं दूसरी तरह दिल्ली में बिजली देने वाली कंपनियों का कहना है कि उनको नुकसान हो रहा है. बिजली कंपनियों की रिपोर्ट के मुताबिक बिजली कंपनी बीएसईएस को 64 करोड़, बीवाईपीएल को 100 करोड़ ओर एनडीपीएल को 124 करोड़ का नुकसान हो रहा है. बता दें कि पिछले साल डीईआरसी जो कि दिल्ली में बिजली की दरें तय करती है. उसने दिल्ली में फिक्स चार्ज का इजाफा किया था.
दिल्ली में फिक्स्ड चार्ज की दरें
| पहले | अब | |
| 0 से 2 किलोवॉट | 20 रुपये | 125 रुपये |
| 2 से 5 किलोवॉट | 35 रुपये | 140 रुपये |
| 5 से 15 किलोवॉट | 45 रुपये | 175 रुपये |
| 15 से 25 किलोवाट | 60 रुपये | 200 रुपये |
| 25 किलोवॉट | 100 रुपये | 250 रुपये |
ये वो बिजली के वो फिक्स्ड चार्ज हैं जो पिछले साल डीईआरसी द्वारा बढ़ाए गए थे. जिसको लेकर के दिल्ली की जनता ने सवाल उठाए थे कि दिल्ली में बिजली की दर लोगों की जेब पर असर डाल रही है. लेकिन दिल्ली सरकार बार-बार यह कहती नजर आई कि दिल्ली में बिजली के दाम सबसे कम हैं. बरहाल, बिजली के मुद्दे पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अब आमने-सामने हैं. अब देखना होगा कि आने वाले चुनावों में क्या वाकई बिजली के मुद्दे पर कांग्रेस आम आदमी पार्टी को चित कर पाती है या नहीं.
सुशांत मेहरा