दिल्ली: चांदनी चौक के हनुमान मंदिर की मूर्तियों को MCD के मेंटेनेंस ऑफिस में शरण

मंदिर ट्रस्ट से जुड़े संजय शर्मा का कहना है कि सभी पार्टियां और धार्मिक संगठन सिर्फ दिखावा कर रहे हैं. जिस रात मंदिर को हटाया जा रहा था, तब कई धार्मिक संगठनों को कॉल किया गया लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया. 

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हनुमान जी की मूर्ति को मेंटेनेंस ऑफिस में शरण दी गई हनुमान जी की मूर्ति को मेंटेनेंस ऑफिस में शरण दी गई

पंकज जैन

  • नई दिल्ली,
  • 07 जनवरी 2021,
  • अपडेटेड 12:12 AM IST
  • हनुमान मंदिर तोड़ने को लेकर सियासी पारा चढ़ते जा रहा
  • हनुमान जी की मूर्ति को मेंटेनेंस ऑफिस में शरण दी गई
  • 'पार्टियां और धार्मिक संगठन सिर्फ दिखावा कर रहे हैं'

दिल्ली के चांदनी चौक में हनुमान मंदिर तोड़ने को लेकर सियासी पारा चढ़ते जा रहा है. आम आदमी पार्टी और बीजेपी में आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है. वहीं, राजनीति से परे लोग ये भी जानने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति को वहां से हटाकर कहां रखा गया.

दरअसल, प्राचीन हनुमान मंदिर में स्थापित हनुमान जी की मूर्ति को चांदनी चौक में ही एक मेंटेनेंस ऑफिस में शरण दी गई है. मंदिर ट्रस्ट से जुड़े सदस्य का कहना है कि लोगों को शरण देने वाले संकटमोचक को शरण लेनी पड़ रही है. यहां पर मंदिर की अन्य मूर्तियों को भी रखा गया है. 

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मंदिर ट्रस्ट से जुड़े संजय शर्मा का कहना है कि सभी पार्टियां और धार्मिक संगठन सिर्फ दिखावा कर रहे हैं. जिस रात मंदिर को हटाया जा रहा था, तब कई धार्मिक संगठनों को कॉल किया गया लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया. 

संजय शर्मा ने बताया कि शनिवार रात और रविवार सुबह 6 बजे के करीब पुलिस फोर्स और कॉरपोरेशन ने अपना काम शुरू किया था. सबसे पहले मंदिर के अंदर रखी हुई मूर्तियों को निकाला था और निकालने के बाद एमसीडी के पंडित और पुलिस इन मूर्तियों को लेकर यहां आए उसके बाद उस मंदिर को गिराया गया. 

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संजय शर्मा ने कहा कि यहां भगवान की स्थापना नहीं की गई है. यह शरण है. भगवान को उनके घर से निकालकर एमसीडी के मेंटेनेंस ऑफिस में शरण दी गई है. जब कभी मंदिर बनेगा तो इन मूर्तियों को वहां स्थापित किया जाएगा. यहां पर भगवान स्वयं शरणागत हैं.

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उन्होंने कहा कि ये 50 से 55 साल पुराना मंदिर है. संजय शर्मा ने आगे कहा कि अब जो भी प्रदर्शन हो रहे हैं वो सब दिखावा है. यहां जितने भी लोग हैं अगर पहले से खड़े हो जाते या पहले मंदिर की शरण में आ जाते तो मंदिर शायद नहीं टूटता. मंदिर टूटने के बाद ये लोग आना शुरू हुए हैं. 


 

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