देश की राजधानी में मानसिक रूप से कमजोर लोगों के लिए दिल्ली सरकार की तरफ से चलाए जाने वाला शेल्टर होम ऐसा यातना केंद्र बन गया कि एक महीने में 14 बच्चों की मृत्यु हो गई. वहीं इस साल में कुल मौतों की बात करें तो ये संख्या 27 है. चौंकाने वाली बात ये है कि अभी तक इसका कोई जायजा नहीं लिया गया है. इस शेल्टर होम की अंदर की स्थिति बेहद खराब है. इतना ही नहीं, बच्चों को सिर्फ आधा ही खाना दिया जाता है. आलम ये है कि मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के लिए बनाया गया आशा किरण होम अब उनके लिए डेथ चैंबर बन रहा है.
उपराज्यपाल वी.के सक्सेना ने इन मौतों को सबसे वंचित लोगों के खिलाफ़ अपराध करार दिया. उधर, विपक्षी दलों भाजपा और कांग्रेस ने सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी की सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया और आश्रय गृह के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया. आतिशी ने मौतों की मजिस्ट्रेट जांच की घोषणा की, जिसके बाद उपराज्यपाल सक्सेना ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को आशा किरण में हुई मौतों सहित शहर द्वारा संचालित सभी आश्रय गृहों की स्थिति की व्यापक जांच करने का निर्देश दिया और एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी.
बच्चों को नहीं दिया जा रहा था पूरा खाना
यहां काम करने वाली महिला का कहना है कि जो सुविधा 4 साल पहले यहां बच्चों को दी जाती थी, वो अब नहीं मिलती. पहले बच्चों को दूध, अंडा सब मिलता था, लेकिन अब सब बंद कर दिया गया है और सिर्फ दाल रोटी मिलती है. इतना ही नहीं, करीब दो दर्जन बच्चों को टीबी की बीमारी बताई गई है. इसके पीछे का कारण बच्चों को सही डाइट न मिलना और अधिक संख्या में लोगों को इसमें भर देना है. SDM ऑफिस के सूत्रों के मुताबिक शेल्टर होम की क्षमता लगभग 500 है, लेकिन अंदर लगभग 950 लोग हैं.
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ऐसे में सवाल उठता है कि जिस दिल्ली को वर्ल्ड क्लास सिटी के रूप में जाना और पहचाना जाता है, वहां कहीं ना कहीं पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर चरमराता नजर आ रहा है. जो जानकारी मिल रही है, उसमें पता चलता है कि बच्चों को ठीक से खाना नहीं दिया जा रहा है. बीमार हो जाते हैं तो इलाज नहीं दिया जाता. ऐसे में एक महीने में 14 मौत हो जाना सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है.
मंत्री आतिशी ने दिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश
आशा किरण में मौत के मामले में दिल्ली की मंत्री आतिशी ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. आजतक के हाथ जो दस्तावेज लगे हैं, उनमें इसबात का साफ-साफ जिक्र है कि कैसे महीने दर महीने लोगों की मौत हुई. सबसे चौंकाने वाली बात ये कि जुलाई महीने में ही एक महीने के अंदर 14 की मौत हुई है.
आजतक ने जब मंत्री आतिशी से पूछा कि क्या ये मौतें सरकार के संज्ञान में नहीं आईं, क्योंकि विभाग का कोई मुखिया नहीं है. इस पर राजस्व मंत्री आतिशी ने कहा, गंभीर रूप से विकलांग व्यक्तियों में सीरियस फिजिकल मॉर्बिडटी (morbidity) भी होती हैं. मृत्यु मेडिकल रूप से इससे जुड़ा होना चाहिए. उन्होंने कहा कि आशा किरण शेल्टर होम में रहने वालों को न केवल गृह चिकित्सा केंद्र में बल्कि दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में भी निरंतर चिकित्सा देखभाल दी जाती है. हमने तुरंत मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. संबंधित विभाग के अधिकारी ऐसी जांच में शामिल नहीं हैं. मजिस्ट्रेट रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी.
सेंटर में परोसा जा रहा बासी खानाः रेखा शर्मा
रेखा शर्मा ने खाने में फंगस के साथ ये तस्वीरें शेयर की हैं. मेनू में विभिन्न आइटम हैं, कुछ भी उपलब्ध नहीं है. शेल्टर होम में रहने वाले लोगों का बीएमआई कम है. सेंटर में गर्मी से मौतों में उछाल आया है और यहां कूलर भी नहीं है. बासी खाना परोसा जा रहा है. रेखा शर्मा ने कहा कि इतने दिनों से यह संस्था चल रही है, इसके कार्यों की ऑडिट कराई जानी चाहिए और इसके लिए समीक्षा की भी जरूरत है. उन्होंने कहा कि अगर, इसके बाद जरूरत हो तो इस संस्था को बंद करवाना भी जरूरी है, क्यों जो लोग वहां हैं, उन्हें हॉस्पिटल में होना चाहिए न कि शेल्टर होम में. उन्होंन कहा कि मुझे नहीं लगता कि मानसिक रोगियों के लिए शेल्टर होम होते हैं, बल्कि उन्हें अस्पतालों में होना चाहिए.
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इस वजह से हुईं मौतें?
आश्रय गृह में चिकित्सा देखभाल इकाई के प्रभारी की रिपोर्ट में फरवरी में तीन मौतें, मार्च और अप्रैल में दो-दो, मई में एक, जून में तीन और जुलाई महीने में 14 मौतें दर्ज की गई हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि 12 जुलाई से 28 जुलाई के बीच 12 मौतें हुईं. 15 जुलाई के बाद से मौतों के रिकॉर्ड से पता चला है कि कई मृतक "गंभीर" या "गहन" बौद्धिक विकलांगता से पीड़ित थे और अन्य सरकारी अस्पतालों में भी उनका इलाज चल रहा था. 20 जुलाई को दो महिलाओं सहित तीन लोगों की मौत हो गई.
अशोक कुमार, जो आश्रय गृह के मुख्य चिकित्सा अधिकारी हैं, ने पीटीआई को बताया कि यहां रहने वाले लोगों को गर्मियों के दौरान उचित पीने का पानी नहीं मिल रहा था और ऐसी संभावना है कि पानी दूषित हो सकता है. उन्होंने कहा, "उन्हें दस्त हो रहे थे. यहां रहने वाले लोगों को अंडे और दूध दिया जाना चाहिए, लेकिन इसे विशेष आहार माना जाता है. गृह का प्रशासक एक या दो बार आता है, लेकिन उसके पास अन्य चीजें भी होती हैं. कुमार ने कहा कि 60 से 70 प्रतिशत लोग दवाइयां ले रहे हैं, लेकिन कुपोषण का इलाज दवाओं से नहीं किया जा सकता है."
पुलिस ने केस किया दर्ज
पुलिस उपायुक्त (रोहिणी) गुरइकबाल सिंह सिद्धू ने बताया कि पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 196 के तहत जांच शुरू कर दी है. अधिकारी ने आगे कहा कि केंद्र का प्रशासक ही बता सकता है कि अंदर कितने लोग रह रहे हैं, लेकिन पुलिस ने जांच शुरू कर दी है. डीसीपी ने कहा, "हम पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार आगे की जांच और एफआईआर की जाएगी."
यह एक हॉरर होम है: स्वाति मालीवाल
दिल्ली सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित इस सुविधा की स्थापना 1989 में रोहिणी के सेक्टर 1 में की गई थी. आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद और दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की पूर्व प्रमुख स्वाति मालीवाल ने इस सुविधा को "हॉरर होम" बताया. उन्होंने कहा, "जिन लोगों को विशेष देखभाल की आवश्यकता है, उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया जा रहा है! यह एक हॉरर होम है! 14 लोग मारे गए, जिनमें से 8 महिलाएं थीं. दो मृतक महिलाओं की केस फाइलों में स्पष्ट रूप से लिखा है कि वे कुपोषित थीं. मेडिकल रिपोर्ट में निर्जलीकरण, उल्टी और बिस्तर पर घाव का भी उल्लेख किया गया है."
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