दिल्ली दंगों की जांच में गहरी साजिश का खुलासा, LG ने 6 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की दी मंजूरी

24 फरवरी 2020 को गोली लगने से न्यू मुस्तफाबाद निवासी 25 वर्षीय शाहिद उर्फ अल्लाह मेहर की मौत हो गई थी. इस मामले में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मोहम्मद फिरोज, चांद मोहम्मद, रईस खान, मोहम्मद जुनैद, इरशाद और अकील अहमद के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दी है.

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दिल्ली में साल 2020 में दंगे हुए थे, इससे जुड़े केस में LG ने 6 आरोपियों के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दी है (फाइल फोटो) दिल्ली में साल 2020 में दंगे हुए थे, इससे जुड़े केस में LG ने 6 आरोपियों के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दी है (फाइल फोटो)

कुमार कुणाल

  • नई दिल्ली,
  • 06 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 11:11 PM IST

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के एक मामले में 6 आरोपियों के खिलाफ केस चलाने की मंजूरी दे दी है. जिसमें गोली लगने से एक व्यक्ति की मौत हो गई थी. जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि नागरिकता संशोधन विधेयक का लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने की आड़ में गहरी साजिश रची गई, जिसके कारण दिल्ली के उत्तर-पूर्वी जिले में दंगे हुए थे.

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24 फरवरी 2020 को गोली लगने से न्यू मुस्तफाबाद निवासी 25 वर्षीय शाहिद उर्फ अल्लाह मेहर की मौत हो गई थी. इस मामले में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मोहम्मद फिरोज, चांद मोहम्मद, रईस खान, मोहम्मद जुनैद, इरशाद और अकील अहमद के खिलाफ IPC की धारा 153 ए और 505 के तहत दंडनीय अपराध के लिए केस चलाने की मंजूरी दे दी. 

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153ए  के तहत (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिकूल कार्य करना) तीन साल तक की कैद, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. धारा 505 (1) के तहत अभियोजन की मंजूरी मांगी गई है. ये सार्वजनिक तौर पर शरारत करने वाले बयानों के मामलों से संबंधित है. इसमें 6 साल तक की जेल या जुर्माना लगाया जा सकता है. या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है.

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इस मामले में गिरफ्तार 6 आरोपियों ने खुलासा किया कि वे दंगों में शामिल थे. वे सप्तर्षि इस्पात एंड अलॉयज प्राइवेट लिमिटेड की इमारत में जबरदस्ती घुस गए थे और अन्य दंगाइयों के साथ फर्म के कार्यालय को लूट लिया था. साथ ही सांप्रदायिक दंगे के दौरान चांद बाग मजार के पास पीड़ित को कंपनी की छत पर गोली लगी थी. इस मामले की जांच अपराध शाखा को ट्रांसफर की गई, जिसने गवाहों से पूछताछ की और एक टीवी चैनल के सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो सहित एकत्र किए गए सबूतों का विश्लेषण किया.

दंगों की जांच से पता चला है कि इसके कुछ समय पहले साजिशकर्ता मुस्लिम बहुल इलाकों में पर्चे बांटकर प्रचार कर रहे थे कि केंद्र सरकार नागरिकता छीनने के लिए इस एक्ट को लेकर आई है. 

उपराज्यपाल ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) 1973 की धारा 196 (1) के तहत अभियोजन की मंजूरी दे दी है. जबकि IPC की धारा 144, 145,147, 148,149, 153 ए, 302, 395, 397, 452, 454, 505, 506, 188 और 120बी के तहत दर्ज की गई थी.
 

 

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