बस्तर शांति समिति ने इंडिया ब्लॉक के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी का विरोध किया है. समिति ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सांसदों से अपील की है कि वे उन्हें समर्थन न दें. समिति ने आरोप लगाया है कि बी. सुदर्शन रेड्डी ने सलवा जुडूम पर बैन लगाया था, जिसके कारण बस्तर में माओवाद तेजी से बढ़ा. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई नक्सल पीड़ित भी शामिल हुए और उन्होंने अपनी आपबीती सुनाई.
कॉन्स्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में नक्सल पीड़ितों ने अपनी व्यथा सुनाई. पीड़ितों ने कहा कि जब सलवा जुडूम मजबूत हो रहा था, तब नक्सल संगठन खत्म होने की कगार पर आ चुका था. लेकिन दिल्ली से कुछ नक्सल समर्थकों के कहने पर इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
एक नक्सल पीड़ित सियाराम रामटेके ने बताया कि माओवादियों ने उन पर गोलियां चलाईं, जिससे वह दिव्यांग हो गए. उनका कहना है कि अगर सुदर्शन रेड्डी ने वह फैसला नहीं दिया होता, तो शायद उनके साथ यह घटना नहीं होती.
नक्सली हिंसा के शिकार परिवार...
एक अन्य पीड़ित केदारनाथ कश्यप ने कहा कि 2011 में सलवा जुडूम पर फैसला आने के बाद उनके भाई की हत्या कर दी गई थी. उन्होंने कहा कि उनके भाई का पेट चीरकर आतें निकाल दी गई थीं. केदारनाथ कहते हैं कि अगर यह फैसला नहीं आता, तो शायद 2014 तक उनके इलाके से नक्सली भाग चुके होते. नक्सली हिंसा में शहीद हुए जवान मोहन उइके की विधवा पत्नी आरती ने बताया कि सलवा जुडूम पर प्रतिबंध लगने के बाद उनके पति को मार दिया गया था.
बस्तर शांति समिति की अपील...
बस्तर शांति समिति के जयराम ने बताया कि ये सभी नक्सल पीड़ित अपनी पीड़ा लेकर दिल्ली आए हैं, जिससे सांसद ऐसे शख्स का समर्थन न करें, जिन्होंने बस्तर की भूमि को नरक बना दिया है. समिति के सदस्य मंगऊ राम कावड़े ने बताया कि सलवा जुडूम पर बैन लगने की वजह से हजारों परिवार प्रताड़ित हुए हैं. उन्होंने कहा कि सुदर्शन रेड्डी के हाथ खून से रंगे हुए हैं.
जितेंद्र बहादुर सिंह