1.5 करोड़ का इनामी बसवराजू ढेर: 50 घंटे तक चले 'ऑपरेशन कगार' में टॉप माओवादी लीडर का खात्मा, नक्सलवाद पर निर्णायक वार

देश के सबसे वांटेड नक्सली बसवराजू के सिर पर 1.5 करोड़ रुपए का इनाम था. वह भारत में कुछ सबसे घातक माओवादी हमलों का मास्टरमाइंड था.  

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नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू मुठभेड़ में ढेर. (फाइल फोटो) नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू मुठभेड़ में ढेर. (फाइल फोटो)

सुमी राजाप्पन

  • नारायणपुर/रायपुर,
  • 22 मई 2025,
  • अपडेटेड 10:20 AM IST

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के घने अबूझमाड़ जंगलों में एक लंबे और जोखिम भरे नक्सल विरोधी अभियान में  सुरक्षा बलों ने सीपीआई (माओवादी) के महासचिव और सर्वोच्च कमांडर नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू को मार गिराया. 

देश के सबसे वांटेड नक्सली बसवराजू के सिर पर 1.5 करोड़ रुपए का इनाम था. वह भारत में कुछ सबसे घातक माओवादी हमलों का मास्टरमाइंड था.  

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आंध्र प्रदेश के जियान्नापेट गांव में 1955 में जन्मे केशव राव ने 1980 के दशक की शुरुआत में पीपुल्स वार ग्रुप में शामिल होने से पहले NIT वारंगल से इंजीनियरिंग की थी. उसने 1987 में लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) से गुरिल्ला ट्रेनिंग ली और माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में कई इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) घात और हमलों का मास्टरमाइंड बन गया.

बसवराजू के सबसे कुख्यात अभियान:  
2010 का दंतेवाड़ा नरसंहार, जिसमें 76 सीआरपीएफ कर्मी मारे गए थे.  

2013 की जीरम घाटी घात, जिसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोगों की जान चली गई.  

2003 का अलीपीरी बम विस्फोट, तत्कालीन आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू पर हत्या का प्रयास.

2018 में, बसवराजू ने मुप्पला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति की जगह सीपीआई (माओवादी) के महासचिव का पद संभाला और वर्षों तक कई खुफिया जाल से बचते हुए भूमिगत ठिकानों से आंदोलन के रणनीतिक अभियानों का नेतृत्व किया.

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बसवराजू को मार गिराने वाला यह हमला कई सप्ताह तक समन्वित खुफिया जानकारी जुटाने के बाद हुआ था, जिसमें नारायणपुर, बीजापुर और दंतेवाड़ा के बीहड़, जंगली त्रि-जंक्शन में वरिष्ठ माओवादी कमांडरों की गतिविधियों पर नजर रखी गई थी.

कोडनाम 'ऑपरेशन कगार' वाला यह अभियान 19 मई को छत्तीसगढ़ पुलिस की संयुक्त जिला रिजर्व गार्ड (DRG) टीमों द्वारा शुरू किया गया था, जिसे विशेष कार्य बल (STF) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) का समर्थन प्राप्त था. ऑपरेशन का समापन 50 घंटे तक चली एक बड़ी मुठभेड़ में हुआ, जिसमें 30 से अधिक माओवादी मारे गए.

सुरक्षा अधिकारियों ने घटनास्थल से हथियारों, गोला-बारूद और रणनीतिक दस्तावेजों का एक बड़ा जखीरा बरामद किया, जिसे मध्य भारत में माओवादी रसद और कमांड संरचना के लिए एक गंभीर झटका बताया.

प्रारंभिक रिपोर्टों से पता चला है कि दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (DKSZC) और पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) के कई वरिष्ठ स्तर के माओवादी नेता या तो मारे गए या गंभीर रूप से घायल हो गए. आसपास के जंगलों में घायल या भागे हुए माओवादियों का पता लगाने के लिए तलाशी अभियान चलाया जा रहा है.
 
सुरक्षा बलों ने इस महत्वपूर्ण मिशन के लिए भारी कीमत चुकाई है. भीषण मुठभेड़ के दौरान जिला रिजर्व गार्ड (DRG) का एक जवान मारा गया. उसका शव नारायणपुर जिला मुख्यालय लाया जा रहा है.

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दुर्गम इलाके और कड़े प्रतिरोध के बावजूद छत्तीसगढ़ के DRG और सहयोगी बलों ने अबूझमाड़ क्षेत्र में माओवादियों के गढ़ों को ध्वस्त करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, जिसे आंदोलन का अंतिम गढ़ माना जाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर सशस्त्र बलों को बधाई दी और विशेष रूप से ऑपरेशन के सफल निष्पादन के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस की DRG यूनिट की तारीफ की.

हमें अपने सुरक्षा बलों पर गर्व: PM मोदी 

प्रधानमंत्री मोदी ने 'X' पर एक पोस्ट में लिखा, "इस उल्लेखनीय सफलता के लिए हमें अपने सुरक्षा बलों पर गर्व है. हमारी सरकार माओवाद के खतरे को खत्म करने और अपने लोगों के लिए शांतिपूर्ण व प्रगतिशील जीवन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है." 

'31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को खत्म करेंगे'

केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने मुठभेड़ को 'राष्ट्रीय गौरव का क्षण' बताया और वामपंथी उग्रवाद को खत्म करने के लिए केंद्र की प्रतिबद्धता की पुष्टि की. शाह ने कहा, "नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के तीन दशकों में यह पहली बार है कि हमारे बलों द्वारा एक महासचिव स्तर के नेता को मार गिराया गया है. मैं इस बड़ी सफलता के लिए हमारे बहादुर सुरक्षा बलों और एजेंसियों की सराहना करता हूं. यह बताते हुए भी खुशी हो रही है कि ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट के पूरा होने के बाद, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और महाराष्ट्र में 54 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है और 84 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. मोदी सरकार 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को खत्म करने के लिए दृढ़ संकल्पित है.''

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