छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले से नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी सफलता सामने आई है. जिले में दो कुख्यात नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. आत्मसमर्पण करने वालों में एक महिला नक्सली भी शामिल है. दोनों पर कुल 10 लाख रुपये का इनाम घोषित था.
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस अधिकारियों ने बताया कि, सरेंडर करने वाले नक्सलियों की पहचान संतोष उर्फ ललपावन और मंजू उर्फ नंदे के रूप में हुई है. दोनों प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के धमतरी–गरियाबंद–नुआपाड़ा डिवीजन में सक्रिय थे. दोनों पर 5-5 लाख रुपये का इनाम घोषित था.
5-5 लाख रुपये के इनामी नक्सलियों ने किया सरेंडर
पुलिस ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले दोनों नक्सली कई बड़ी नक्सली हिंसक घटनाओं में शामिल रहे हैं. इनमें सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़, आईईडी ब्लास्ट और पुलिसकर्मियों की हत्या जैसे गंभीर मामले शामिल हैं. संतोष उर्फ ललपावन साल 2005 में बीजापुर जिले के आवापल्ली लोकल ऑर्गनाइजेशन स्क्वॉड में शामिल हुआ था, जबकि मंजू उर्फ नंदे साल 2002 से सुकमा जिले में 'बाल संघम' सदस्य के रूप में सक्रिय थी.
अधिकारियों के मुताबिक, संतोष साल 2018 में हुए आईईडी ब्लास्ट में शामिल था, जिसमें दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. इसके अलावा, वह इस साल जनवरी में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में भी मौजूद था, जिसमें केंद्रीय समिति के सदस्य सीसीएम चालापति समेत कुल 16 नक्सली मारे गए थे.
नक्सलियों ने कहा- पुनर्वास नीति की वजह से सरेंडर
पुलिस ने बताया कि दोनों नक्सली सितंबर महीने में गरियाबंद जिले में हुई उस बड़ी मुठभेड़ का भी हिस्सा थे, जिसमें सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 10 नक्सली मारे गए थे. इस मुठभेड़ में नक्सली संगठन के शीर्ष नेताओं में शामिल केंद्रीय समिति सदस्य मनोज, विशेष जोनल समिति के सदस्य प्रमोद उर्फ पांडु और ओडिशा राज्य समिति के सदस्य विमल भी मारे गए थे.
आत्मसमर्पण के बाद दोनों नक्सलियों ने बताया कि वो सरकार की पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर मुख्यधारा में लौटने का फैसला कर रहे हैं. उन्होंने पहले आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों के सफल पुनर्वास के उदाहरणों का भी उल्लेख किया.
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