अस्त्र से आशा तक: नारायणपुर में पूर्व नक्सली बने हरियाली के संरक्षक, वायान वाटिका में नए जीवन की शुरुआत

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर से एक प्रेरक कहानी सामने आई है, जहां कभी हथियार उठाने वाले युवाओं ने अब शांति और विकास की राह चुन ली है. पुनर्वास केंद्र में आत्मसमर्पित नक्सलियों ने 'वायान वाटिका' में सामूहिक पौधरोपण किया, जो उनके जीवन की नई शुरुआत का प्रतीक बन गया है.

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नक्सली लगातार हथियार छोड़ रहे हैं और शांति का रास्ता चुन रहे हैं. (Photo- ITG) नक्सली लगातार हथियार छोड़ रहे हैं और शांति का रास्ता चुन रहे हैं. (Photo- ITG)

इमरान खान

  • नई दिल्ली,
  • 01 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 6:18 AM IST

यह कहानी है उम्मीद, बदलाव और उन हाथों की, जिन्होंने कभी जंगलों में हथियार थामे थे, लेकिन आज वही हाथ धरती में नई जिंदगी के पौधे रोप रहे हैं. छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में आत्मसमर्पित नक्सलियों ने 'वायान वाटिका' नामक हरित क्षेत्र में सामूहिक पौधरोपण कर नई शुरुआत का एक मजबूत संदेश दिया है.

जिला मुख्यालय स्थित पुनर्वास केंद्र में शनिवार को आयोजित इस कार्यक्रम में कई पूर्व नक्सलियों शामिल हुए. कभी संघर्ष और हिंसा से भरे रास्ते पर चलने वाले ये युवा आज समाज का हिस्सा बनकर आगे बढ़ने का संकल्प ले रहे हैं. उनके चेहरे पर भय नहीं, बल्कि भविष्य की एक उजली उम्मीद दिखाई दी. पौधरोपण उनके लिए सिर्फ एक गतिविधि नहीं, बल्कि जीवन का पुनर्जन्म था, उनके नए सफर का पहला कदम.

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बस्तर IG पी सुंदर राज ने कहा कि यह सिर्फ पौधारोपण नहीं, बल्कि स्थायी शांति और भरोसे का रोपण है. वर्षों की हिंसा छोड़कर इन युवाओं ने आत्मसमर्पण किया और अब प्रशासन उन्हें शिक्षा, प्रशिक्षण और रोजगार से जोड़ रहा है. उन्होंने वायान वाटिका को बदलाव की प्रतीकात्मक जगह बताया, जहां 'हरियाली' इन युवाओं के जीवन में 'सकारात्मकता' बनकर उभर रही है.

कार्यक्रम में शामिल एसपी रॉबिंसन गुड़िया ने इसे विश्वास की बहाली का महत्त्वपूर्ण कदम बताया. उनके अनुसार, जिले में आत्मसमर्पण करने वाले युवाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है और ऐसे पुनर्वास कार्यक्रम उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने में मदद कर रहे हैं.

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कई पूर्व नक्सलियों ने खुलकर कहा कि वे अब अपने परिवार, बच्चों और समाज के लिए जीना चाहते हैं. एक 24 वर्षीय पूर्व महिला नक्सली ने भावुक होकर कहा, "पौधा रोपते समय लगा जैसे खुद को नया जीवन दे रहे हों."

कार्यक्रम के अंत में सभी ने जल संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा और हिंसा से दूर रहने का संकल्प लिया. नारायणपुर की यह पहल जंगलों में नई रोशनी और आने वाले कल की बड़ी उम्मीद बनकर उभर रही है.

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