तिरंगा फहराया तो युवक को उतार दिया मौत के घाट... छत्तीसगढ़ के कांकेर में नक्सलियों की बर्बरता

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में नक्सलियों की बर्बरता जारी है. यहां 15 अगस्त को माड़ इलाके के बिनागुंडा गांव में युवाओं और बच्चों ने नक्सलियों के स्मारक पर तिरंगा फहराया. इसके बाद खौफनाक कांड सामने आया. तिरंगा फहराने के अगले दिन नक्सलियों ने गांव में हमला कर मनेश नरेटी नाम के युवक की हत्या कर दी.

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तिरंगा फहराने वाले युवक की नक्सलियों ने की हत्या. (Photo: Screengrab) तिरंगा फहराने वाले युवक की नक्सलियों ने की हत्या. (Photo: Screengrab)

aajtak.in

  • कांकेर,
  • 22 अगस्त 2025,
  • अपडेटेड 11:35 AM IST

छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सलवाद अपने अंतिम चरणों में पहुंच चुका है. नक्सली लगातार सरेंडर कर रहे हैं या सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारे जा रहे हैं. इसी बौखलाहट में नक्सली अब आम ग्रामीणों और युवाओं को निशाना बना रहे हैं. यहां कांकेर जिले में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक युवक ने तिरंगा फहराया था. इसके अगले दिन नक्सलियों ने उस युवक की बेरहमी से हत्या कर दी.

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जानकारी के अनुसार, यह मामला माड़ इलाके के बिनागुंडा गांव का है. यहां बीते साल ही 29 नक्सली एक एनकाउंटर में मारे गए थे. इस बार 15 अगस्त को दशकों बाद गांव के युवाओं और बच्चों ने देशभक्ति का जज्बा दिखाते हुए नक्सलियों द्वारा बनाए गए स्मारक में तिरंगा फहराया. गांव का ही युवक मनेश नरेटी मासूम बच्चों के साथ पहुंचा और वहां राष्ट्रीय ध्वज लहराते हुए भारत माता क जयकारे लगाए.

यह दृश्य गांव वालों के लिए एक नए दौर की शुरुआत थी. यह ऐसा संदेश था कि अब नक्सलियों के डर से निकलकर ग्रामीण विकास और आजादी की राह पर आगे बढ़ना चाहते हैं. इसका वीडियो भी सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि मनेश नरेटी बच्चों के साथ नक्सलियों के स्मारक में ध्वजारोहण कर रहा है. बच्चे भारत माता की जयकारे लगा रहे हैं.

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लेकिन इसके अगले दिन खौफनाक कांड हो गया. तिरंगा फहराने और नारेबाजी से बौखलाए नक्सलियों ने अगले ही दिन गांव में धावा बोल दिया. बताया जा रहा है कि नक्सलियों ने गांव में ‘जन अदालत’ लगाई और तिरंगा फहराने वाले मनेश नरेटी की बेरहमी से हत्या कर दी. नक्सलियों ने इसके बाद बैनर लगाकर इस घटना की जिम्मेदारी भी ली.

अब माड़ जैसे इलाके में यह घटना साफ इशारा है कि नक्सली संगठन भले ही कमजोर हो रहे हों, लेकिन अभी भी उनकी बर्बर मानसिकता जिंदा है और उसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. हालांकि लोग अब खुलकर कह रहे हैं कि वे सरकार और सुरक्षा बलों के साथ हैं. लोगों का कहना है कि वे विकास चाहते हैं और दशकों से फैले खौफ से बाहर निकलना चाहते हैं.

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रिपोर्टः गौरव श्रीवास्तव

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