सुरक्षाबलों से मुठभेड़ के बाद डरकर भागे नक्सली, कैंप से मिला प्रेशर कुकर आईईडी

मुखबिर की सूचना पर सुरक्षाबलों ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश सीमा पर चेंकिंग अभियान चलाया. इस दौरान उनकी भिड़ंत नक्सलियों से हो गई. दोनों ओर से हुई अंधाधुंध फायरिंग के बाद नक्सली अपना कैंप छोड़कर भाग गए.

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नक्सल कैंप 5 अस्थायी टेंटों से बना हुआ था नक्सल कैंप 5 अस्थायी टेंटों से बना हुआ था

जितेंद्र बहादुर सिंह

  • रायपुर,
  • 18 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 6:36 PM IST

सुरक्षा बलों को छत्तीगढ़ में शुक्रवार को बड़ी सफलता मिली है. भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) की 40वीं वाहिनी और राज्य पुलिस के ज्वाइंट ऑपरेशन में नक्सलियों के एक कैंप को छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश सीमा पर ध्वस्त कर दिया गया. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुरक्षा बलों का संयुक्त दल भावे/ नाचना, टांडा रिवर के पास अभियान पर था. जैसे ही सुरक्षा बल नक्सलियों के कैंप के पास पहुंचे, तभी नक्सलियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी.

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नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच सुबह करीब 8 बजे मुठभेड़ शुरू हुई. इस दौरान नक्सलियों ने एक बड़ा आईईडी विस्फोट भी किया. जबर्दस्त गोलीबारी के बीच सुरक्षा बलों को भारी पड़ता देख नक्सलियों ने बालाघाट, मध्य प्रदेश के जंगलों की तरफ भाग निकलना मुनासिब समझा. इस मुठभेड़ में दोनों ही पक्षों की ओर से किसी के हताहत होने की अब तक कोई सूचना नहीं है. पूरे इलाके को बाद में चारों तरफ से घेर कर तलाशी शुरू कर दी गई.

कैंप में मौजूद थे 25 से 40 नक्सली

यह नक्सल कैंप 5 अस्थायी टेंटों से बना हुआ था. यहां से राशन, पानी के टैंक, एक लैपटॉप, प्रिंटर, सोलर एनर्जी प्लेट्स आदि मिली हैं. अभी भी इलाके की सघन तलाशी की जा रही है. ऐसा माना जा रहा है कि टांडा एरिया कमिटी मेंबर सीनियर सीपीआई माओइस्ट कमांडर जमुना इस इलाके में 25 से 40 नक्सलियों के साथ मौजूद था, जब सुरक्षाबलों ने इस कैंप पर दबिश दी. यहां से एक क्लेमोर माइन और दो प्रेशर कुकर आईईडी भी बरामद की गई है.

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छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमा पर है इलाका

एनकाउंटर जहां हुआ वह क्षेत्र चारों ओर से बीहड़ जंगलों से घिरा हुआ है और छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है. ऐसा माना जा रहा है कि घने जंगलों के कारण इस इलाके में बड़े नक्सली कमांडर एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाने के लिए आवागमन प्वाइंट के रूप में इसका इस्तेमाल करते रहे होंगे. यह भी माना जा रहा है सुरक्षाबलों के ज्यादा दबाव बढ़ने के कारण नक्सली राज्यों की सीमाओं पर ज्यादा केंद्रित होने लगे हैं, जहां धरातलीय परिस्थितियां विषम हैं और किसी भी प्रकार की परिस्थिति से बच निकलने के लिए पर्याप्त जंगल और बीहड़ भौगोलिक परिस्थितियां है.

नए कैडरों को ट्रेनिंग देने के साथ बनाते थे हमले की रणनीति

अमूमन यह वही समय है जब नक्सली बरसात के मौसम के बाद पुनः एकत्रित होकर अगले 3 महीनों के लिए अपने नए कैडरों को प्रशिक्षित करते हैं और 3 महीने के बाद मार्च-अप्रैल के महीने में सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमले किया करते हैं. दोनों राज्यों में नई सरकारें बनने के बाद इस क्षेत्र में इस प्रकार सुरक्षा बलों द्वारा नक्सल कैंप को नष्ट करने की यह पहली घटना है.

दंतेवाड़ा में गिरफ्तार किए गए थे तीन नक्सली

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इससे पहले छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स (सीएएफ) कैंप से सिर्फ एक किलोमीटर की दूरी पर नक्‍सलियों ने एक बस में आग लगा दी थी. इसके बाद सुरक्षा बलों ने तीन नक्सलियों को गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद इलाके में सघन चेंकिंग अभियान चलाया गया था.

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