छत्तीसगढ़ः एक साल में गायब हो गए 46 में से 36 बाघ!

2015 की फेस 4 मॉनीटरिंग रिपोर्ट में प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व में 36 बाघों के गायब होने का पता चला है. इन टाइगर रिजर्व सेंचुरी में कुल 46 में से इसमें सिर्फ 10 बाघों का प्रमाण मिले है जबकि 2014 की गणना में 46 बाघ पाए गए थे.

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लापता हुए 36 बाघ लापता हुए 36 बाघ

सुनील नामदेव

  • रायपुर ,
  • 11 जनवरी 2017,
  • अपडेटेड 7:00 PM IST

छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में एक भालू को गोली मारने के वनविभाग के निर्देश का मामला अभी निपटा ही नहीं की था कि राज्य में 36 बाघ लापता हो गए. अंदेशा है कि वनविभाग के गैरजिम्मेदार रवैये और लापरवाही के चलते बाघों लापता हो गए हैं या फिर बाघ जंगल में ही भूख प्यास के चलते बेमौत मारे गए. राज्य में बाघों के अचानक गायब होने को लेकर बवाल मचा हुआ है.

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बस्तर के इंद्रावती टाइगर रिजर्व में बाघों की स्थिति को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए है. 2015 की फेस 4 मॉनीटरिंग रिपोर्ट में प्रदेश के तीन टाइगर रिजर्व में 36 बाघों के गायब होने का पता चला है. इन टाइगर रिजर्व सेंचुरी में कुल 46 में से इसमें सिर्फ 10 बाघों का प्रमाण मिले है जबकि 2014 की गणना में 46 बाघ पाए गए थे. वन्यजीव विशेषज्ञों ने मॉनीटरिंग रिपोर्ट को प्रदेश में बाघों के अस्तित्व को खतरे मानते हुए कहा है कि जंगलों में मानवीय गतिविधियां पूरी तरह से प्रतिबंध कर देनी चाहिए.

इंद्रावती और उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में माओवाद प्रभावित क्षेत्र होने के कारण बाघों के लिए ज्यादा खतरा है. अचानकमार और इंद्रावती टाइगर रिजर्व में मात्र 5 - 5 बाघ ही पाए गए. उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में एक भी बाघ की मौजूदगी नहीं पाई गई, रायपुर से सटे बारनवापारा अभ्यारण्य में अरसे पहले ही बाघों का सफाया हो चुका है.

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वनविभाग ही वन्यजीवों का दुश्मन

वाइड लाइफ एक्टिविस्ट बृजपाल सिंह सिंधु के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बाघों संख्या में गिरावट चिंताजनक और काफी गंभीर मामला है, क्योंकि राज्य में वनविभाग ही वन्यजीवों का दुश्मन बन गया है. उनके मुताबिक बारनवापारा और दूसरे अभ्यारण में बाघ खत्म हो चुके हैं. इंद्रावती टाइगर रिजर्व के बफरजोन में हवाई पट्टी बनने से बाघों समेत दूसरे वन्यजीवों को भी खतरा हैं. उन्होंने मांग की है कि NTCA छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या जांच करवाएं और तुरंत कार्रवाई करें. उधर पीसीसीएफ आर. के. सिंह का तर्क है कि NTCA और राज्य सरकार की ओर से की जाने वाली गिनती में काफी अंतर देखा जाता है. हालांकि फेस 4 मॉनीटरिंग में सिर्फ प्रमाणिकता के आधार ही बाघों की गिनती की जाती है.

हवाई पटरी से खतरा

राज्य में बाघों और दूसरे वन्यजीवों को सबसे ज्यादा खतरा इंद्रावती और उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में है, क्योकि दोनों ही सेंचुरी माओवादी प्रभाव के कारण असुरक्षित है. माओवादी गतिविधियों के कारण इंद्रावती टाइगर रिजर्व में तो 12 साल के अतंराल बाद 2014 में वन्यजीवों की गणना हो पाई थी. इससे पहले 2010 की गणना में प्रदेश में 26 टाइगर पाए गए थे. इंद्रावती टाइगर रिजर्व में हवाई पट्टी बनाने के प्रस्ताव से बाघों की इस शरण स्थलीय में ज्यादा खतरे आशंका जताई जा रही है.

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राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की ओर से चार साल के अंतराल में बाघों की गिनती होती है. सरकारी मशीनरी को अधिक जवाबदेह बनाए के लिए हर साल स्थानीय स्तर पर भी वन्यजीवों की गणना होती है. इस मॉनीटरिंग सिस्टम में सभी टाइगर रिजर्व में बाघों के मूवमेंट की जानकारी रखी जाती है. इससे टाइगर रिजर्व में बाघों की आवाजाही और मौजूदगी के बारे में पता चलता रहता है.

भालू पर चली थी गोली

हाल ही में वनविभाग के एक जिम्मेदार अफसर ने महासमुंद जंगलों में एक भालू को गोली मारने के निर्देश दिए थे, इस निर्देश का पालन हुआ और पुलिस ने भालू को मौत के घाट उतार दिया. वनविभाग की दलील थी कि यह भालू हिंसक हो गया था, भालू को गोली मारने के फैसले की वन्यजीवों प्रेमियो और पर्यावनविदो ने कड़ी आपत्ति की. बाद में सरकार ने इस मामले की जांच के निर्देश दिए लेकिन 6 माह बीत गए ना तो घटना की रिपोर्ट आई और ना ही आरोपियों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई हुई. यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ की राज्य के 3 टाइगर रिजर्व सेंचुरी से 36 बाघ नदारद हो गए. वनविभाग ने दो साल तक इस मामले को छिपाए रखा लेकिन कुछ दिनों पहले जब फेस 4 मॉनीटरिंग हुई तो इस बात की खुलासा हुआ की दर्जनों बाघ गायब है.

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