छत्तीसगढ़ में रायपुर के बालाजी हॉस्पिटल को 12 साल पूरे होने के मौके पर हॉस्पिटल ने एक अनोखी पहल की है. यदि हॉस्पिटल में किसी महिला को लड़की पैदा होती है तो उसमें होने वाला कोई भी खर्चा परिवार वालों से नहीं लिया जाएगा. ये पूरा खर्च हॉस्पिटल प्रशासन वहन करेगा चाहे डिलीवरी नॉर्मल हो या सिजेरियन. (रायपुर से महेंद्र नामदेव की रिपोर्ट)
जहां एक तरफ सरकार महिलाओं को लेकर कई तरह की योजनाएं चला रही है. वहीं इस कड़ी में रायपुर के बालाजी हॉस्पिटल ने बिल्कुल अनोखी पहल की है, जिसे हर तरफ सराहा जा रहा है.
हॉस्पिटल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर देवेन्द्र नायक का कहना है कि सरकार महिलाओं के लिए कई तरह के अभियान चला रही है, अगर ऐसे में अस्पताल प्रबंधन इस पर कुछ मदद कर सकता तो उनकी तरफ से इस तरह की स्कीम बेहद उपयोगी साबित होने वाली है. हॉस्पिटल को 12 साल हो गए हैं. यदि समाज आपको इज्जत देता है, सम्मान देता है और एक प्रतिष्ठित स्थान पर पहुंचाता है तो आपका भी कर्तव्य होता है कि आप समाज को वही वापिस करें. यदि किसी गर्भवती को लड़की पैदा होती है तो हम उससे इलाज का एक रुपया भी नहीं लेंगे.
हॉस्पिटल में बेटी को जन्म देने वाली एक युवती सीमा वर्मा का कहना है कि मेरे अभी बेटी पैदा हुई है और मुझे इलाज के लिए एक रुपया भी नहीं देना पड़ा. इस तरह की योजना का लाभ लेकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है.
छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक का कहना है कि यह बहुत अच्छी पहल है और इसके लिए बालाजी हॉस्पिटल के संस्थापक डॉक्टर देवेन्द्र नायक को बधाई देती हूं, जिन्होंने बेटी के जन्म को एक उत्सव के रूप में तब्दील कर दिया. बेटी किसी पर बोझ न बने और लोग बेटियों के जन्म को एक त्योहार की तरह मनाएं और बेटी के जन्म से किसी को खर्चे में डूबने का डर न हो, इस संदेश को समाज मे फैलाने के लिए और ये नेक काम करने के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं.