बिहार: उपेन्द्र कुशवाहा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना तय! क्या कहता है JDU का संविधान?

JDU में शामिल होते ही नीतीश कुमार ने कुशवाहा को विधानपरिषद का सदस्य मनोनीत करवाया और केंद्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष का पद भी दे दिया. और अब तो राष्ट्रीय अध्यक्ष RCP सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उनका अध्यक्ष बनने का रास्ता भी साफ होता दिख रहा है.

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उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार

उत्कर्ष कुमार सिंह

  • पटना. ,
  • 09 जुलाई 2021,
  • अपडेटेड 7:28 PM IST
  • केंद्रीय मंत्रिमंडल में मिली जदयू के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष को जगह
  • उपेंद्र कुशवाहा अभी केंद्रीय संसदीय बोर्ड के चेयरमैन

केंद्रीय मंत्रिमंडल में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र प्रसाद सिंह (RCP) को जगह मिली है. ऐसे में अब लगातार ये सवाल उठ रहा है कि क्या JDU की कमान किसी और को दी जाएगी. JDU के अगले अध्यक्ष के तौर पर सबसे ज्यादा चर्चा उपेन्द्र कुशवाहा के नाम की है. नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी रहे उपेन्द्र कुशवाहा ने भले ही कुछ सालों के लिए अलग राजनीतिक दल बनाया हो, लेकिन JDU में अपनी पार्टी का विलय कराने के बाद एक बार फिर वो नीतीश कुमार के करीबियों में शुमार हो चुके हैं.

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 उपेन्द्र कुशवाहा के अध्यक्ष बनने का रास्ता साफ?
JDU में शामिल होते ही नीतीश कुमार ने कुशवाहा को विधानपरिषद का सदस्य मनोनीत करवाया और केंद्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष का पद भी दे दिया. और अब तो राष्ट्रीय अध्यक्ष RCP सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद उनका अध्यक्ष बनने का रास्ता भी साफ होता दिख रहा है. हालांकि, अभी तक इसपर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है. वहीं, उपेन्द्र कुशवाहा भी खुद के अध्यक्ष बनाए जाने की अटकलों को बार बार ये कहकर खारिज करते रहे हैं कि अभी तो पार्टी में कोई चुनाव ही नहीं होना.

क्या कहता है JDU का संविधान?
JDU के संविधान के मुताबिक, पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष ही केंद्रीय संसदीय बोर्ड का चेयरमैन होता है. लेकिन अभी ये दोनों पद अलग-अलग लोगों के पास हैं. जहां RCP सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष, तो वहीं उपेन्द्र कुशवाहा केंद्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष हैं. लेकिन अब RCP सिंह मंत्री बन चुके हैं, ऐसे में ये कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी संविधान के मुताबिक, उपेन्द्र कुशवाहा ही दोनों पद यानी केंद्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बन सकते हैं.

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इस बारे में जब उपेन्द्र कुशवाहा से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उसी संविधान में ये भी लिखा है कि विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रीय अध्यक्ष को निर्णय लेने का अधिकार है, जिसपर बाद में कार्यकारिणी से मुहर लगनी होती है.

कितनी आसान है उपेन्द्र कुशवाहा की राह?
उपेन्द्र कुशवाहा के JDU का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सहमति सबसे जरूरी है. इसके बाद मौजूदा अध्यक्ष RCP सिंह को भी मनाना अहम है, साथ ही ललन सिंह जैसे पार्टी के दूसरे कद्दावर नेताओं का भी साथ चाहिए. इसके अलावा प्रदेश नेतृत्व में भी बदलाव करना पड़ सकता है. चूंकि प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी कुशवाहा समाज से आते हैं, ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष का भी कुशवाहा जाति से होना नीतीश कुमार के लव-कुश के फार्मूले को मुश्किल में डाल सकता है. उधर, विपक्ष पहले ही मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय अध्यक्ष और अब केंद्र में मंत्री का पद एक ही समाज से आने वाले लोगों को देने का आरोप लगाते हुए नीतीश कुमार की JDU को 'एक जात' की पार्टी साबित करने की कोशिश कर रहा है.


 

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