बिहारः तेजस्वी यादव से मिले चिराग पासवान, आखिर क्या हैं इसके सियासी मायने?

पिछले दिनों आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने चिराग पासवान को बड़ा नेता करार देते हुए कहा था कि अगर तेजस्वी और चिराग की जोड़ी एक साथ राजनीति करती है तो बिहार की राजनीति की अलग दिशा होगी.

Advertisement
चिराग पासवान और तेजस्वी यादव अरसे बाद बुधवार को पटना में मिले चिराग पासवान और तेजस्वी यादव अरसे बाद बुधवार को पटना में मिले

सुजीत झा

  • पटना,
  • 08 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 6:29 PM IST
  • अरसे बाद बुधवार को दोनों नेता पटना में मिले
  • 12 सितंबर को पटना में है राम विलास की बरखी

चिराग पासवान और तेजस्वी यादव अरसे बाद बुधवार को पटना में मिले. मिलने की वजह तो दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की बरखी पर निमंत्रण देने का था, लेकिन इस मुलाकात के कई मायने भी हैं. 

पिछले दिनों आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने चिराग पासवान को बड़ा नेता करार देते हुए कहा था कि अगर तेजस्वी और चिराग की जोड़ी एक साथ राजनीति करती है तो बिहार की राजनीति की अलग दिशा होगी.

Advertisement

जब तेजस्वी से ये सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा जब उनके पिता और राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कह ही दिया है तो मुझे कहने की जरूरत नहीं है यानी कि अब गेंद चिराग पासवान के पाले में है. हालांकि चिराग ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले और कहा कि ये राजनीति करने का समय नहीं है. हम तमाम दल के नेताओं को पिता की बरखी का आमंत्रण देने जा रहे हैं.

बता दें कि रामविलास पासवान का निधन 8 अक्टूबर 2020 को हुआ था. उनकी बरखी 12 सितंबर को पटना में मनाई जा रही है. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत तमाम बड़े नेताओं के साथ-साथ बीजेपी के कई बड़े दिगग्जों को भी बुलाया जा रहा है.

जेडीयू प्रवक्ता चिराग पर क्या बोले?
 
चिराग पासवान ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी समय मांगा है, लेकिन अभी तक समय नहीं मिला. पता नहीं, क्यों वो मुझसे मिलना नहीं चाहते. वहीं, जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि मिलने से पहले ही वो राजनीतिक बयान दे रहे हैं, जो चिंता का विषय है. ऐसी बातों को सार्वजनिक करने का क्या मतलब है. जरूर उनके मन मे कुछ न कुछ चल रहा है. 

Advertisement

उन्होंने कहा कि ये बात तो तय है कि चिराग के मन मे कुछ न कुछ जरूर है. क्योंकि एक तरफ दिल्ली में 12 जनपथ बंगला छोड़ने का अल्टीमेटम मिल चुका है तो दूसरी तरफ उसी बंगले में रामविलास पासवान की एक मूर्ति भी स्थापित कर दी गई है. अब 12 सितंबर को उनकी बरखी में सबको बुलाकर यही संदेश देना चाहते है कि उनके रास्ते चारो तरफ से खुले हैं. 

लालू पासवान लंबे अरसे तक साथ रहे

वैसे भी रामविलास पासवान और लालू प्रसाद यादव का साथ लंबे अरसे तक रहा है. जनता दल के टूटने के बाद 2004 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद पहली यूपीए सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 2014 में ये जोड़ी अलग हो गई, लेकिन इसके बावजूद 2020 विधानसभा चुनाव में चिराग, नीतीश कुमार को मात देने के लिए प्रत्यक्ष तौर पर विरोधियों के साथ दिखे. तेजस्वी के विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ अपना प्रत्याशी देकर चिराग ने अप्रत्यक्ष रूप से मदद पहुंचाई थी.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement