बिहार में नीतीश कैबिनेट का मंगलवार को पहली बार विस्तार हुआ है. राज्यपाल फागू चौहान ने बीजेपी के 9 और जेडीयू कोटे से 8 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई. जेडीयू-बीजेपी दोनों ही दलों से एक-एक मुस्लिम मंत्री बनाए गए हैं. बीजेपी ने केंद्र की राजनीति से शाहनवाज हुसैन को बिहार की राजनीति में लाकर मंत्री बनाया है. वहीं, जेडीयू ने बसपा छोड़कर आए जमा खान को मंत्री पद के तोहफे से नवाजा है. हालांकि, नीतीश ने जब 16 नवंबर को सरकार का गठन किया था तब किसी भी मुस्लिम को मंत्री नहीं बनाया गया था, लेकिन अब एनडीए सरकार में दो मुस्लिम मंत्री हो गए हैं.
पिछले साल बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में एनडीए को 125 सीटें मिली हैं, लेकिन इसमें एक भी मुस्लिम विधायक चुन कर नहीं आया है. जेडीयू ने 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था, लेकिन एक भी जीत नहीं सका था. वहीं, एनडीए में शामिल बीजेपी, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा और वीआईपी पार्टी ने किसी भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया था. यही वजह थी कि नीतीश कैबिनेट गठन के दौरान उस समय किसी भी मुस्लिम चेहरे को जगह नहीं मिल सकी थी, लेकिन विस्तार में बीजेपी और जेडीयू दोनों ने ही खास तवज्जो दी है.
बिहार में मुस्लिम वोटों के सियासी समीकरण को देखते हुए बीजेपी ने केंद्रीय राजनीति में सक्रिय रहने वाले शाहनवाज हुसैन को बिहार की राजनीति में लेकर आई है. बीजेपी ने शाहनवाज हुसैन को सुशील मोदी की जगह एमएलसी बनाया और अब उन्हें बिहार कैबिनेट में शामिल किया है. माना जा रहा है कि शाहनवाज हुसैन के नीतीश कैबिनेट में हाई प्रोफाइल मंत्रालय की कमान दी सकती है.
शाहनवाज हुसैन की बिहार की राजनीति में एंट्री ने विपक्ष के साथ-साथ सहयोगी दल जेडीयू को भी सोचने के लिए मजबूर कर दिया था. यही वजह है कि नीतीश कुमार ने बसपा से जीते विधायक जमा खान को अपने साथ मिलाकर अपना समीकरण भी मजबूत किया और विपक्ष के गणित को भी बिगाड़ दिया है. इसीलिए नीतीश कुमार ने जमा खान को मंत्रिमंडल में शामिल किया है.
बता दें कि नीतीश कुमार मार्च, 2000 में जब पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे, तब भी सिर्फ तीन मंत्री को उनकी कैबिनेट में शामिल किया गया था. हालांकि, नीतीश सरकार सदन में बहुमत सिद्ध नहीं कर पाने के चलते महज सात दिन में ही गिर गई थी. इसके बाद उन्होंने बीजेपी के साथ रहने के बावजूद अपनी हर सरकार में मुस्लिम को प्रतिनिधित्व दिया था.
2017 में नीतीश जब लालू का साथ छोड़कर एनडीए के साथ आए तब भी उन्होंने कैबिनेट में एक मुस्लिम मंत्री को शामिल किया था. बिहार में पिछली नीतीश सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहे जेडीयू के खुर्शीद उर्फ फिरोज एकलौते मंत्री थे, जो इस चुनाव नहीं जीत सके.
2015 में कुल 24 मुस्लिम विधायक चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे, लेकिन इस बार सिर्फ 19 को ही यह मौका मिल पाया है. इनमें 8 आरजेडी से, 5 एआईएमआईएम से, 4 कांग्रेस से और 1-1 बीएसपी और सीपीएम से चुनाव जीते हैं. ऐसे में माना जा रहा था कि नीतीश कुमार अपनी कैबिनेट में जेडीयू के किसी मुस्लिम एमएलसी को मंत्री बना सकते हैं. ऐसे में तमाम नामों पर कयास भी लगाए जा रहे थे, लेकिन बसपा से जीते जमा खान को आने के बाद सारी चर्चाएं बंद हो गई हैं.
कुबूल अहमद