निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने वाला पहला राज्य बना बिहार

निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए देश में जारी सियासत के बीच बिहार देश का पहला राज्य बन गया है, जहां निजी कम्पनियों को आरक्षण के दायरे में ला दिया गया है. यानी बिहार में अब निजी कंपनियों को आरक्षण के नियमों का पालन करना होगा.

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नीतीश कुमार नीतीश कुमार

सुजीत झा

  • पटना,
  • 02 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 2:41 PM IST

निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए देश में जारी सियासत के बीच बिहार देश का पहला राज्य बन गया है, जहां निजी कम्पनियों को आरक्षण के दायरे में ला दिया गया है. यानी बिहार में अब निजी कंपनियों को आरक्षण के नियमों का पालन करना होगा. राज्य सरकार जिन कर्मचारियों को आउटसोर्स करती है, उन कर्मचारियों के चयन में आरक्षण के नियम लागू होंगे और कंपनियों को इसका पालन करना होगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस फैसले पर कैबिनेट ने भी मुहर लगा दी है.  

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इससे पहले कंपनियां अलग-अलग विभागों में अपनी जरूरत के अनुसार कर्मियों को आउटसोर्स करती हैं, लेकिन नये नियमों के लागू होने के बाद ऐसी नौकरियों में एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा, नि:शक्त और महिलाओं के लिए बने आरक्षण प्रावधान को लागू करना होगा.

हालांकि बिहार सरकार के इस फैसले का विरोध होना भी शुरू हो गया है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सीपी ठाकुर ने इसे गलत कदम बताया है. सीपी ठाकुर के अनुसार पढ़ाई-लिखाई में आरक्षण देना तो ठीक है, पर नौकरियों के लिए उन्हें योग्य बनाने पर जोर देना चाहिए. ताकि उनकी दक्षत्ता पर सवाल ना उठाया जा सके. उनका मानना है कि इससे सरकार का कामकाज भी प्रभावित होगा.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यू के दो दलित नेताओं ने आरक्षण को लेकर सरकार के कामकाज पर पिछले दिनों उंगली उठाई थी. माना जा रहा है कि दल में अपने आप को उपेक्षित महसूस कर रहे पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदयनारायण चौधरी और पूर्व मंत्री श्याम रजक ने इस आरक्षण के मुद्दे को उठाकर अपनी राजनीति चमकानी चाही. इस मुद्दे पर RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने भी इन दोनों का जमकर समर्थन किया था. लेकिन नीतीश कुमार के इस मास्टर स्ट्रोक से अब उनके पास सरकार को बधाई देने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा है.

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जनता दल यू के वरिष्ठ नेता श्याम रजक पिछले कार्यकाल में मंत्री थे, लेकिन इस कार्यकाल में मंत्री ना बनाए जाने के चलते नाराज चल रहे हैं. जबकि जनता दल यू के नेता उदय नारायण चौधरी को पार्टी ने दो टर्म विधानसभा अध्यक्ष बनाया, लेकिन इस बार वो पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी से चुनाव हार गए. ऐसे में पार्टी में उनका कद भी कम हो गया.

दूसरी ओर कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और दलित नेता अशोक चौधरी के जनता दल यू में आने की खबर से भी दोनों दलित नेता परेशान थे. जनता दल यू के प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि पार्टी किसी के दबाव में फैसले नहीं लेती है. दलितों के उत्थान के लिए नीतीश कुमार ने महादलित बनाया और कई योजानएं लागू कीं. रही बात आउटसोर्स मामले में आरक्षण लागू करने की, तो यह फैसला बीजेपी और जनता दल यू के नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में मिलकर फैसला लिया है. ऐसे में विरोध का क्या मतलब है.

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