बिहार में 'बख्तियारपुर' के नाम पर क्यों मचा है 'शोर'? जानें बदलकर क्या रखने की है मांग

बख्तियारपुर शहर का नाम बदलने की मांग कई बार हो चुकी है. बीजेपी के सांसद गोपाल नारायण सिंह ने दो साल पहले भी राज्यसभा में बख्तियारपुर स्टेशन का नाम बदलने की मांग उठाई थी. साथ ही स्थानीय लोग भी गाहे बगाहे इसका नाम बदलने की मांग उठाते रहे हैं.

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CM नीतीश कुमार ने बख्तियारपुर शहर का नाम बदलने से इंकार किया CM नीतीश कुमार ने बख्तियारपुर शहर का नाम बदलने से इंकार किया

सुजीत कुमार

  • नई दिल्ली,
  • 14 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 1:00 PM IST
  • आजादी के बाद से ही शहरों के नाम बदलने की परंपरा जारी
  • कई बार सीएम और पीएम को इस संबंध में पत्र भी लिखे गए
  • बख्तियार खिलजी के नाम पर बख्तियारपुर का नाम रखा गया

शेक्सपियर ने कहा था, 'नाम में क्या रखा है, गर गुलाब को हम किसी और नाम से भी पुकारें तो वो ऐसी ही खूबसूरत महक देगा.' लेकिन आजकल शहरों और रेलवे स्टेशनों का नाम बदलने का दौर चल पड़ा है. यूपी में योगी सरकार के आने के बाद इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किया गया, फैजाबाद जिले का नाम बदलकर अयोध्या किया गया और मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर पंडित दीन दयाल उपाध्याय रखा गया. अब बिहार में बख्तियारपुर (Bakhtiyarpur) का नाम बदलने के मुद्दे पर शोर मचा हुआ है.

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नाम बदलने की परंपरा कोई नई नहीं है. आजादी के बाद से ही शहरों के नाम बदलने की परंपरा शुरू हो गई थी. 1950 में पूर्वी पंजाब का नाम पंजाब रखा गया था. फिर हैदराबाद से आंध्रप्रदेश बना. ऐसे कई उदाहरण मौजूद हैं. लेकिन यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार आने के बाद एक के बाद एक कई जगहों के नाम बदले गए. और इसे लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सूर्खियों में रहे. इसके बाद कई जगहों के नाम बदलने की मांग उठने लगी. ताजा मामला बिहार के बख्तियारपुर का है. 

पटना में सोमवार को जनता दरबार में पत्रकारों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (nitish kumar) से बख्तियारपुर का नाम बदलने को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने दो टूक कहा कि बख्तियारपुर का नाम क्यों बदलेंगे? नीतीश ने कहा, ''यह फालतू की बात है. बख्तियारपुर मेरा जन्म स्थान है, इसका नाम क्यों बदलेंगे. जब पार्लियामेंट में ऑल इंडिया कानून बन रहा था तो एक मेंबर ने कहा था कि कभी नालंदा विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया गया था तो इसी बख्तियारपुर में कैंप रखा गया था और अब यहीं जन्म लेने वाला एक व्यक्ति नालंदा विश्वविद्यालय को बनवा रहा है.''

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बख्तियारपुर का नाम बदलने की मांग

बख्तियापुर का नाम बदलने की मांग कोई नई नहीं है. बीजेपी के सांसद गोपाल नारायण सिंह ने दो साल पहले राज्यसभा में बख्तियारपुर स्टेशन का नाम बदलने की मांग उठाई थी. साथ ही बख्तियारपुर के स्थानीय लोग भी गाहे बगाहे इसका नाम बदलने की मांग उठाते रहे हैं. वे कई बार सीएम और पीएम को इस संबंध में पत्र भी लिख चुके हैं. उनका कहना है कि जिस बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय (nalanda university) को नष्ट किया उसके नाम पर बख्तियारपुर स्टेशन का नाम रखना उन्हें दुख पहुंचाता है. इसके अलावा बीजेपी विधायक मिथिलेश कुमार ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बख्तियारपुर का नाम बदलने की मांग की थी. जबकि नीतीश कुमार ने उनकी राय से इत्तेफाक नहीं रखते हुए स्थिति स्पष्ट कर दी.

नालंदा विश्वविद्यालय कभी यहां की शान हुआ करता था

बख्तियारपुर सीएम नीतीश का जन्म स्थान

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जन्म बख्तियारपुर में 1 मार्च 1951 को हुआ था. उनके पिता कविराज रामलखन सिंह एक वैद्य थे. नीतीश कुमार की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई वहीं हुई और वहीं पले-बढ़े. बाद में बिहार कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (आज इसे एनआईटी पटना के नाम से जानते हैं) से इंजीनियरिंग की डिग्री ली. सोमवार को खुद सीएम नीतीश कुमार ने भी यही कहा कि बख्तियारपुर मेरा जन्म स्थान है और हम इसका नाम नहीं बदलेंगे, ये फालतू की बात है. 

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उधर, बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बख्तियारपुर का नाम बदलकर नीतीश कुमार के नाम पर नीतीश नगर कर देना चाहिए क्योंकि वे यहीं पले-बढ़े हैं.

बख्तियार खिलजी के नाम पर बख्तियारपुर

सम्राट कुमार गुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना कराई थी. यह विश्वविद्यालय बाद में विश्व के प्रकाश केंद्र के रूप में स्थापित हुआ. देश विदेश से विद्यार्थी यहां आते थे और बौद्ध धर्म, व्याकरण, विज्ञान, ज्योतिष, धर्म, गणित, दर्शन शास्त्र, आयुर्वेद, तर्कशास्त्र के साथ साथ कई विषयों का अध्ययन करते थे. बताया जाता है कि उस समय यहां करीब 10 हजार विद्यार्थियों के पढ़ने की क्षमता थी और 1500 अध्यापक थे. 

12वीं सदी में यह यूनिवर्सिटी दुनिया भर के छात्रों का ज्ञान केंद्र बना रहा लेकिन 12वीं सदी के अंत में इसे नष्ट करने के कई प्रयास हुए. इतिहासकारों की मानें तो नालंदा विश्वविद्याल पर तीन बार आक्रमण हुआ था. लेकिन सबसे विनाशकारी हमला 1193 में बख्तियार खिलजी के द्वारा हुआ. इसके बाद सबसे प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय जलकर नष्ट हो गया. कहा जाता है कि इसी बख्तियार खिलजी के नाम पर बख्तियारपुर शहर का नाम रखा गया था. 

बख्तियारपुर का नाम बदलने का प्रयास

बताया जाता है कि बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर 'शीलभद्रयाजीनगर' करने के बिहार सरकार की मांग को रेल मंत्रालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा था. इस पर गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से अतिरिक्त सूचना की मांग की थी. लेकिन सूचना नहीं मिलने पर मामला लंबित हो गया. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिहार सरकार का बख्तियारपुर का नाम बदलने का प्रस्ताव 25 जुलाई 2005 को रेल मंत्रालय को मिला था. जिसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया. शीलभद्रयाजी बिहार के एक स्वतंत्रता सेनानी थे.

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