22 सीटों वाली BJP क्या 2 सीटों वाली JDU के सामने करेगी सरेंडर?

जेडीयू को साधने के मद्देनजर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आज पटना पहुंचे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 22 सीटों वाली बीजेपी 2 सीटों वाली जेडीयू की शर्त पर समझौते के लिए तैयार होगी?

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नीतीश कुमार, अमित शाह, सुशील मोदी (फोटो क्रेडिट- नदीम आलम) नीतीश कुमार, अमित शाह, सुशील मोदी (फोटो क्रेडिट- नदीम आलम)

कुबूल अहमद

  • नई दिल्ली,
  • 12 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 12:35 PM IST

बिहार में बीजेपी और जेडीयू के बीच अगले साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे पर रस्साकसी जारी है. बीजेपी 2014 के फॉर्मूले के तहत समझौता चाहती है, तो जेडीयू 2009 की तर्ज पर अपना वर्चस्व कायम रखना चाहती है. जेडीयू को साधने के मद्देनजर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह आज पटना पहुंचे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 22 सीटों वाली बीजेपी 2 सीटों वाली जेडीयू की शर्तों पर समझौते के लिए तैयार होगी?

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क्या है जेडीयू का 2009 का फॉर्मूला

40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में जेडीयू ने 2009 की तर्ज पर बीजेपी के सामने 25 सीटों की डिमांड रखी है. 2009 के चुनाव में जेडीयू ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 20 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. जबकि बीजेपी ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 11 सीटें जीती थीं.

2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू बीजेपी से नाता तोड़कर एनडीए से अलग हो गई थी. इस तरह जेडीयू ने राज्य की सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे महज 2 सीटों पर जीत मिली थी. इसके बावजूद जेडीयू 2019 के लिए 25 सीटें मांग रही है. इतना ही नहीं जेडीयू ने बीजेपी के सामने बिहार प्लस का फॉर्मूला भी दिया है. इसके तहत जेडीयू ने बिहार के साथ-साथ झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में सीटों की मांग रखी है.

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2014 में ऐसे थे चुनावी समीकरण

बीजेपी बिहार में 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर सीटों का समझौता चाहती है. नीतीश के अलग होने के बाद बीजेपी रामविलास पासवान की एलजेपी और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी के साथ गठबंधन करके चुनावी मैदान में उतरी थी. गठबंधन के तहत बीजेपी ने 30 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 22 सीटों पर उसे जीत मिली थी. वहीं एलजेपी 6 और आरएलएसपी 3 सीटें जीतने में कामयाब रही थी.

बीजेपी के सामने जेडीयू को साधने के साथ-साथ एलजेपी और आरएलएसपी को भी सहेजकर रखने की चुनौती है. बीजेपी जेडीयू की शर्तों पर समझौता करती है, तो फिर उसे अपने सहयोगियों में से किसी एक को कुर्बान करने के साथ-साथ अपनी सीटें भी कम करनी होंगी.

बीजेपी-जेडीयू किसी भी सूरत में एक दूसरे से कम सीटों पर नहीं लड़ना चाहती हैं. ऐसे में नीतीश ने 17-17 का फॉर्मूला रखा है, जबकि छह सीटें ऐसी हैं जिन्हें बिहार में एनडीए के दो अन्य घटक दलों को दिया जा सकता है. बीजेपी इस फॉर्मूले पर मानेगी या नहीं ये आज की बैठक में साफ हो सकता है.

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