पल-पल बदलता है मूड, आता है गुस्सा! कहीं बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के शिकार तो नहीं आप? इन लक्षणों से करें पहचान

Borderline Personality Disorder: पल-पल में मूड बदलना, चिड़चिड़ापन होना आपको सामान्य लग सकता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है. आपके पल-पल बदलते मूड का कारण बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर हो सकता है. आइए जानते हैं क्या है बीपीडी.

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Personality disorder (Freepik) Personality disorder (Freepik)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:24 PM IST

कई बार कुछ लोगों के साथ होता है कि वो पल में खुश होते हैं, पल में दुखी हो जाते हैं. कभी गुस्सा करने लगते हैं तो कभी झुंझलाहट महसूस करने लगते हैं. अक्सर हम इसे मूडस्विंग मानकर नजरअंदाज कर देते हैं. हालांकि, अगर आपके साथ लंबे समय से ऐसा हो रहा है या बहुत जल्दी-जल्दी आपके साथ ऐसा होता है तो आपको सतर्क होने की जरूरत है. पल-पल मूड बदलना और गुस्सा आना, दरअसल, एक पर्सनैलिटी डिसऑर्डर का लक्षण है. आइए जानते हैं क्या होता है बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर (बीपीडी) और क्या होते हैं इसके लक्षण. 

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क्या है बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर?
बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है, जो आपके खुद के बारे में और दूसरों के बारे में सोचने की क्षमता को प्रभावित करता है. ये आपके सोचने की क्षमता को इस तरह प्रभावित करता है कि आप खुद से ही प्यार करना छोड़ देते हैं. आपको खुद की पर्सनैलिटी में बहुत कमियां नजर आने लगती हैं. वहीं, आपका अपनी भावनाओं पर कोई कंट्रोल नहीं रह जाता है. आपको अक्सर गुस्सा आ जाता है. 

बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी के साथ रह रहे लोगों को अस्थिरता और किसी अपने के छोड़ जाने का डर सताता रहता है. वहीं, ऐसे लोग अकेले रहना बिल्कुल बर्दाशत नहीं कर पाते हैं. हालांकि, बार-बार मूड बदलने, गुस्सा करना और धैर्य ना रख पाने की वजह से लोग इनसे खुद ब खुद दूरी बना लेते हैं. एक्सपर्ट्स की मानें तो बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर की वजह से आपके ब्रेन का हिप्पोकैम्पस, एमिग्डाला, प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स और एचपीए एक्सिस मुख्य भाग हैं, जो प्रभावित होते हैं. 

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आइए जानते हैं बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर के लक्षण
खुद को लेकर बदलते रहते हैं विचार: एक्सपर्ट्स की मानें तो अगर आपको बीपीडी है तो आपके खुद के लिए भी विचार स्थिर नहीं रहते हैं. कभी आप खुद को एक अच्छे नैतिक मूल्यों वाले व्यक्ति के रूप में देखते हैं, तो कभी आप खुद को बेकार समझने लगते हैं. इस वजह से आप अक्सर अपने जीवन में जल्दी-जल्दी नौकरी, दोस्त करीबियों को बदलते रहते हैं.

छोड़ के चले जाने का डर: अगर आपको बीपीडी है तो मुमकिन है कि आपको लगातार ऐसा डर सता रहता है कि आपके अपने लोग आपको अकेले छोड़कर चले जाएंगे. बीपीडी से पीड़ित व्यक्ति खुद का सम्मान नहीं कर पाता है, खुद को दूसरों से कम आंकता है. यही वजह है कि उन्हें दूसरों के छोड़ के चले जाने का डर सताता रहता है. अगर बीपीडी पीड़ित व्यक्ति के साथ आप कोई प्लान बनाकर कैंसिल करते हैं, तो इन्हें लगने लगता है कि ये बुरे इंसान हैं इसलिए सामने वाले व्यक्ति ने प्लान कैंसिल कर दिया है. 

खुद को पहुंचाते हैं नुकसान: बीपीडी से पीड़ित व्यक्ति किसी भी तरह के स्ट्रेस से बाहर निकलने के लिए झटपटाने लगते हैं. स्ट्रेस से बाहर निकलने के लिए बीपीडी पीड़ित व्यक्ति ऐसी आदतों को जीवन में शामिल करते हैं जिससे वो खुद को नुकसान पहुंचाते हैं. इन आदतों में शामिल हैं- लगातार कुछ न कुछ खाना (बिंज ईटिंग), नशीले पदार्थों का सेवन, फिजूलखर्ची करना आदि.

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नहीं कर पाते कनेक्ट: बीपीडी पीड़ित शख्स अक्सर खुद को ऐसी स्थिति में पाते हैं जहां वो दूसरों से या अपने आसपास की चीजों से  कनेक्शन महसूस नहीं करते हैं. उन्हें जीवन में हद से ज्यादा खालीपन महसूस होता है. 

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