आजकल बढ़ते वजन, डायबिटीज और सेहत को कंट्रोल में रखने के लिए लोग तेजी से शुगर-फ्री और लो-कैलोरी चीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं. चाय-कॉफी में चीनी की जगह शुगर-फ्री ड्रॉप्स, डाइट कोक, लो-कैलोरी मिठाइयां, शुगर-फ्री चॉकलेट सबको लोग हेल्दी समझकर खा-पी रहे हैं. इनमें इस्तेमाल होने वाले स्वीटनर जैसे सॉरबिटॉल, सुक्रालोज (Splenda), एस्पार्टेम (Equal) और दूसरे शुगर अल्कोहॉल्स को आमतौर पर चीनी से बेहतर ऑप्शन बताया जाता है.
लेकिन अब एक नई रिसर्च ने इन धारणाओं पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. इस स्टडी में ये पाया गया कि सॉरबिटॉल, जिसे ज्यादा लोग 'हेल्दी मीठा' मानकर इस्तेमाल करते हैं, शरीर में जाकर फ्रक्टोज की तरह काम करने लगता है. यानी वही फ्रक्टोज जो लिवर को नुकसान, फैटी लिवर, मेटाबॉलिक गड़बड़ी, और पेट की चर्बी बढ़ाने जैसी समस्याओं से जुड़ा होता है.
सोचकर ही हैरानी होती है ना? जिसे हम इतने समय से बेहतर और हेल्दी ऑप्शन समझते आए, वही अंदर जाकर शरीर को वैसे ही नुकसान पहुंचा सकता है जैसे हाई-शुगर डाइट देती है. तो आइए, जान लेते हैं कि इस रिसर्च में साइंटिस्ट्स ने क्या पाया और क्यों सॉरबिटॉल जैसे 'हेल्दी स्वीटनर' आपकी हेल्थ के लिए उतने भी सुरक्षित नहीं हैं जितना हम समझते थे.
रिसर्च में क्या पाया गया?
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गैरी पैटी की Science Signaling में छपी एक स्टडी में पता चला है कि सॉरबिटॉल शरीर में जाकर लगभग फ्रक्टोज जैसा ही असर करता है. उनकी टीम पहले ही ये दिखा चुकी है कि जब लिवर में ज्यादा मात्रा में फ्रक्टोज बनता है, तो वो कैंसर सेल्स को बढ़ने में मदद कर सकता है. साथ ही फ्रक्टोज को फैटी लिवर डिजीज का एक बड़ा कारण भी माना जाता है, जो दुनिया भर में लगभग 30% एडल्ट्स को प्रभावित करती है. अब नई स्टडी से ये चिंता और बढ़ गई है कि सॉरबिटॉल भी लिवर में पहुंचकर फ्रक्टोज जैसी ही समस्याएं पैदा कर सकता है, यानी ये भी शरीर के लिए उतना ही हानिकारक हो सकता है.
सॉरबिटॉल कैसे बन जाता है ‘फ्रक्टोज’?
रिसर्च में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. सॉरबिटॉल को शरीर सिर्फ एक स्टेप में फ्रक्टोज जैसे कंपाउंड में बदल सकता है. यानी अगर आप सॉरबिटॉल लेते हैं, तो शरीर उसे आसानी से ऐसी फॉर्म में कंवर्ट कर देता है जो असर में फ्रक्टोज जैसी ही होती है. रिसर्चर्स ने जैब्रा फिश पर किए गए प्रयोगों में पाया कि आंत में मौजूद कुछ खास एंजाइम सॉरबिटॉल को बदलकर फ्रक्टोज-जैसा रूप दे देते हैं. ये प्रोसेस बेहद तेजी से होती है और शरीर इसे आसानी से स्वीकार कर लेता है.
लिवर पर कैसे पड़ता है असर?
जब सॉरबिटॉल फ्रक्टोज-जैसे कंपाउंड में बदल जाता है, तो ये सीधे लिवर तक पहुंच जाता है. लिवर में पहुंचकर ये वही नेगेटिव इफेक्ट पैदा कर सकता है जो फ्रक्टोज करता है, जैसे फैट जमा होना, मेटाबॉलिज्म पर असर, और ब्लड शुगर हैंडलिंग में दिक्कतें.
कई लोग सोचते हैं कि सॉरबिटॉल एक ‘सेफ शुगर अल्टरनेटिव’ है, लेकिन रिसर्च बताती है कि इसका ज्यादा सेवन शरीर को फ्रक्टोज जितना ही नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए इसकी मात्रा को समझकर इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है.
आपके पेट के बैक्टीरिया तय करते हैं सॉरबिटॉल आपके लिए अच्छा है या बुरा
सबसे दिलचस्प बात ये है कि सॉरबिटॉल आपके शरीर में कितना सुरक्षित है, ये आपकी गट माइक्रोबायोम, यानी पेट के बैक्टीरिया पर निर्भर करता है.
जिन लोगों के पेट में Aeromonas नाम के बैक्टीरिया होते हैं, वे सॉरबिटॉल को नुकसान होने से पहले ही तोड़कर बेअसर कर देते हैं. लेकिन अगर ये बैक्टीरिया नहीं हैं, तो सॉरबिटॉल आंत से बचकर लिवर तक पहुंच जाता है, जहां ये फ्रक्टोज की तरह हानिकारक बन सकता है.
कब होती है ये समस्या?
सॉरबिटॉल ज्यादा बनने या बढ़ने की दो बड़ी वजहें होती हैं:
1. बहुत ज्यादा शुगर-फ्री चीजें खाना (जैसे शुगर-फ्री च्यूइंग गम, कैंडी, प्रोटीन बार आदि). इनमें सॉरबिटॉल होता है, जो ज्यादा मात्रा में लेने पर गट को ओवरलोड कर देता है.
2. बहुत ज्यादा ग्लूकोज लेना: जब आप बहुत शुगर या हाई-कार्ब चीजें खाते हैं, तो ग्लूकोज आंतों में जाकर सॉरबिटॉल में बदल सकता है. इससे शरीर में सॉरबिटॉल का लेवल और बढ़ जाता है.
क्या खतरा हो सकता है?
1. सॉरबिटॉल लिवर पर दबाव डाल सकता है: ज्यादा मात्रा में ये सीधे लिवर तक पहुंचकर उस पर एक्स्ट्रा भारर बना देता है.
2. मेटाबॉलिज्म को गड़बड़ा सकता है: ये शरीर की एनर्जी बनाने और इस्तेमाल करने की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है.
3. फ्रक्टोज जैसा असर दिखा सकता है: यानी वही नुकसान जो ज्यादा फ्रक्टोज लेने से होते हैं, वही सॉरबिटॉल से भी हो सकते हैं.
आजतक हेल्थ डेस्क