Economic Survey 2024: ये चीजें खाकर भारत में 54% बीमारियों का शिकार हो रहे लोग, मोटापे ने बढ़ाई चिंता

Economic Survey 2024: खाने-पीने की आदतों के कारण युवाओं में मोटापे की दिक्कत काफी बढ़ गई है. वे लोग प्रोसेस्ड फूड और चीनी बहुत ज्यादा खाते हैं, जिसके चलते दिन-ब-दिन उनका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है.

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अध्ययन से पता चलता है कि जंक फूड खाने और फिर इसे बंद करने से मस्तिष्क और व्यवहार में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं, खासकर उन लोगों में जो मोटापे से ग्रस्त हैं। अध्ययन से पता चलता है कि जंक फूड खाने और फिर इसे बंद करने से मस्तिष्क और व्यवहार में महत्वपूर्ण बदलाव हो सकते हैं, खासकर उन लोगों में जो मोटापे से ग्रस्त हैं।

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 5:53 PM IST

आजकल की युवा जनरेशन की खाने-पीने की आदतों में काफी बदलाव देखा गया है. जहां पहले जमाने के लोग घर का बना स्वादिष्ट खाना पसंद करते थे, वहीं आज कल के बच्चे और युवा जंक और स्ट्रीट फूड्स खाना पसंद करते हैं. 

खाने-पीने की खराब आदतों के कारण युवाओं में मोटापे की दिक्कत काफी बढ़ गई है. लोग प्रोसेस्ड फूड और चीनी बहुत ज्यादा खाते हैं, जिसके चलते दिन-ब-दिन उनका स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है. अब नए आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत में 54% बीमारियां अनहेल्दी डाइट के कारण हो रही हैं.

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क्या बोलीं निर्मला सीतारमण?

इस आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि मोटापा एक चिंताजनक स्थिति है. नागरिकों को एक हेल्दी लाइफस्टाइल जीने में सक्षम बनाने के लिए जरूरी उपाय करने की जरूरत है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को संसद में पेश किए गए सर्वेक्षण में कहा गया, "भारत की एडल्ट आबादी के बीच मोटापा एक गंभीर चिंता के रूप में उभर रहा है."

यदि भारत को "अपने डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ उठाना है, तो यह महत्वपूर्ण है कि लोगों का स्वास्थ्य पैरामीटर बैलेंस्ड और डाइवर्स डाइट की ओर बढ़े."  

जंक फूड पर आईसीएमआर(ICMR) की रिपोर्ट

इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए, आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया कि शुगर और फैट की ज्यादा मात्रा वाले प्रोसेस्ड फूड्स के बढ़ते कंजंप्शन की वजह से लोगों की शारीरिक गतिविधियां कम हो गई हैं. इसके साथ ही उनकी अलग-अलग तरह के खाद्य पदार्थ खाने की आदत भी सीमित हो गई है. आजकल इन्हीं गलतियों के कारण लोग ओवरवेट हो रहे हैं और उनमें न्यूट्रिएंट्स की कमी देखी जा रही है.   

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वर्ल्ड ओबिसिटी फेडरेशन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए सर्वेक्षण में कहा गया है कि अनुमान बताते हैं कि भारत में किसी एडल्ट में मोटापे की दर तीन गुना से ज्यादा हो गई है और भारतीय बच्चों में मोटापे की दर वियतनाम और नामीबिया के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा है.

ओबिसिटी पर क्या कहता है इकोनॉमिक सर्वे?

सर्वेक्षण में आगे कहा गया है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के अनुसार, मोटापे की समस्या भारत के गांवों की तुलना में शहरों में काफी ज्यादा है. शहरों में पुरुषों में मोटापे की दर 29.8% है, जबकि गांवों में यह 19.3% है.

18-69 आयु वर्ग में मोटापे का सामना करने वाले पुरुषों का प्रतिशत NFHS-4 में 18.9% से बढ़कर NFHS-5 में 22.9% हो गया है. महिलाओं के लिए यह 20.6% (NFHS-4) से बढ़कर 24% (NFHS-5) हो गया है.

“कुछ राज्यों में उम्रदराज आबादी के साथ-साथ मोटापा एक चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है. ऐसे में लोगों की लाइफस्टाइल को सुधारने के लिए जरूरी उपाय करने की जरूरत है. 

दिल्ली जैसे राज्यों में मोटापे से ग्रस्त महिलाओं का अनुपात 41.3% है, जबकि पुरुषों के लिए यह 38% है. तमिलनाडु में पुरुषों में मोटापा 37% और महिलाओं में 40.4% है. आंध्र की बात करें तो महिलाओं के लिए यह 36.3% है, जबकि पुरुषों में 31.1% है.

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