सोते-सोते नींद में क्यों चलने लगते हैं लोग? नई रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

कई लोगों को रात में सोने के बाद नींद में चलने की बीमारी होती है. जो व्यक्ति ऐसा करता है, उसे खुद नहीं पता होता कि वो ऐसा कर रहा है. ऐसे में आज हम जानेंगे कि इसके पीछे क्या कारण हैं और रिसर्च क्या कहती है.

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नींद में चलने के क्या कारण हो सकते हैं?  (Photo-AI generated) नींद में चलने के क्या कारण हो सकते हैं? (Photo-AI generated)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 05 सितंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:35 AM IST

नींद में चलना और बात करना भले ही अजीब लगे या किसी के लिए मजाक जैसा लगे, लेकिन करोड़ों लोगों के लिए यह रात के समय होने वाली एक आम समस्या है, जिसे अक्सर गलत समझा जाता है. हाल में हुए एक रिसर्च में पाया गया कि ये रात में होने वाली घटनाएं हमारी सोच से कहीं ज्यादा आम हैं, खासकर बच्चों में. लेकिन आखिर ऐसा होता क्यों है और यह किसी गंभीर बीमारी के लक्षण तो नहीं?

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नींद में चलने और नींद में बात करने के दौरान क्या होता है?

नींद में चलने को सोमनाम्बुलिज्म और नींद में बात करने को सोम्निलोक्वी कहते हैं. दोनों को पैरासोमनिया कहा जाता है जो नींद के दौरान होने वाले एक असामान्य व्यवहार हैं.

नींद में चलने की घटना आमतौर पर नींद के सबसे गहरे हिस्से में होती है, जिसे नॉन-REM (NREM) नींद कहा जाता है. यह अक्सर सोने के कुछ घंटे बाद होता है. इस दौरान शरीर थोड़ा सा जागा हो सकता है, इतना कि कोई बैठ सके, चल सके या दरवाजा भी खोल सके, लेकिन जो कर रहा होता है उसे होश नहीं होता कि वो क्या कर रहा है.

 रिसर्च क्या कहती है?

2012 में स्टैनफोर्ड की एक स्टडी के अनुसार, अमेरिका में 3.6% वयस्कों ने पिछले एक साल में नींद में चलने की घटना की रिपोर्ट की और लगभग 30% लोगों ने जीवन में कभी न कभी इसका अनुभव किया था. नींद में बोलना तो इससे भी ज्यादा कॉमन है. लगभग 69% लोग अपने जीवन में कभी न कभी नींद में बोलते हैं.

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वहीं, रिसर्च के अनुसार, अगर परिवार में माता-पिता में से कोई एक नींद में चलता है तो बच्चे में भी इसकी संभावना 45% बढ़ जाती है और अगर माता-पिता दोनों ऐसा करते हैं तो यह संभावना 60% से भी ज्यादा हो जाती है.

क्या चीजें नींद में चलने या बोलने को बढ़ा सकती हैं?

वैसे तो नींद में चलना या बोलना अक्सर नुकसानदायक नहीं होता और खुद ही ठीक हो जाता है, लेकिन कुछ कारण ऐसे होते हैं जो इन्हें बढ़ा सकते हैं. जैसे- नींद की कमी, स्ट्रेस, तेज बुखार(खासकर बच्चों में), नींद से जुड़ी समस्याएं जैसे स्लीप एपनिया, नाइट टेरर या रेस्टलेस लेग सिंड्रोम आदि.

अगर कभी-कभार नींद में चलने या बोलने की आदत हो तो आमतौर पर इलाज की जरूरत नहीं होती. इसे आप छोटे-छोटे उपायों से दूर कर सकते हैं जैसे- अपने पास एक स्लीपिंग डायरी रखें लेकिन अगर ऐसा बार-बार हो रहा है तो ये चिंता की बात है और आपको अपने डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए. 

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