Omicron: महीनों तक रहता है दिमाग से जुड़ा ओमिक्रॉन का ये लक्षण, शोधकर्ताओं ने किया आगाह

शोधकर्ताओं के अनुसार संक्रमित लोगों में लॉन्ग कोविड के कोई लक्षण नहीं होने के बावजूद ब्रेन फॉग देखने को मिल रहा है. ब्रेन फॉग में काम करने की इच्छा खत्म हो जाती है, ध्यान की कमी, खराब नींद और कोई भी काम ठीक से ना कर पाने की समस्या होती है.

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ओमिक्रॉन का एक लक्षण कई महीनों तक रहता है ओमिक्रॉन का एक लक्षण कई महीनों तक रहता है

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 1:59 PM IST
  • दिमाग में बना रहता है ओमिक्रॉन का ये लक्षण
  • यादाश्त पर भी असर डालता है ओमिक्रॉन
  • महीनों तक बना रहता है ब्रेन फॉग

ओमिक्रॉन के लक्षण हर किसी में अलग-अलग नजर आ रहे हैं. एक्सपर्टस इन लक्षणों के बारें में और जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं. एक नई स्टडी के अनुसार ओमिक्रॉन का एक लक्षण ऐसा है जो कई महीनों तक बना रह सकता है और इसे दूर होने में साल भर का समय लग सकता है. इसकी वजह से रोजमर्रा के कामों में भी दिक्कत हो सकती है. शोधकर्ताओं ने 'ब्रेन फॉग' (Brain fog) के तौर पर इस लक्षण की पहचान की है. ब्रेन फॉग का असर यादाश्त पर पड़ता है. ये स्टडी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने की है.

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क्या कहती है स्टडी- शोधकर्ताओं के अनुसार संक्रमित लोगों में लॉन्ग कोविड के कोई लक्षण नहीं होने के बावजूद ब्रेन फॉग देखने को मिल रहा है. स्टडी में शोधकर्ताओं ने लोगों में यादाश्त से जुड़ी दिक्कतें देखीं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर सिजिया झाओ ने कहा, 'आश्चर्य की बात है कि टेस्टिंग के समय कोरोना के इन मरीजों ने कोई और लक्षण महसूस नहीं किया, लेकिन उनके ध्यान और यादाश्त में गिरावट देखी गई. हमारी स्टडी के नतीजे बताते हैं कि ये लक्षण लोगों में महीनों तक बने रह सकते हैं.'

प्रोफेसर मसूद हुसैन ने कहा, 'हम अभी भी उन कारणों को समझ नहीं पा रहे हैं जिसकी वजह से यादाश्त पर ऐसा असर पड़ रहा है. हालांकि, अच्छी बात ये है कि संक्रमण के 6 से 9 महीने बाद ये सामान्य स्थिति में लौट आते हैं. समय के साथ इनकी रिकवरी अच्छी होती है. पिछली स्टडीज से पता चला है कि लंबे समय तक संक्रमित रहने वाले कोरोना के मरीजों को खांसी, दिल की अनियमित धड़कन, मांसपेशियों में दर्द, अनिद्रा जैसे अन्य लक्षणों के बीच ब्रेन फॉग भी हो सकता है.

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ब्रेन फॉग में काम करने की इच्छा खत्म हो जाती है, ध्यान की कमी, खराब नींद और कोई भी काम ठीक से ना कर पाने की समस्या होती है. इस स्टडी में लगभग 26 साल के उम्र के 136 लोग शामिल थे, जिनमें से 53 ने बताया कि उन्हें पहले कोविड था और इनके लक्षण हल्के थे. इन वॉलंटियर्स के योजना, ध्यान और यादाश्त से जुड़े कई टेस्ट लिए गए थे. इन सब लोगों की एपिसोडिक मेमोरी (Episodic memory) सबसे खराब पाई गई. इसकी वजह से वो हाल ही की या अपनी जिंदगी को पिछली घटनाओं को याद नहीं कर पा रहे थे. हालांकि इन मरीजों में थकान, भूलने की बीमारी, नींद के खराब पैटर्न या चिंता जैसी चीजें ज्यादा बढ़ी हुई नहीं पाई गईं.

 

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