Joe Biden को प्रोस्टेट कैंसर, एक्सपर्ट से जान‍िए- कितना गंभीर होता है ये रोग, भारत में कहां तक पहुंचा इलाज?

सर गंगा राम हॉस्पिटल दिल्ली में मेडिकल ऑन्कोलॉजी व‍िभाग के चेयरमैन डॉ. श्याम अग्रवाल ने aajtak.in से प्रोस्टेट कैंसर के बारे में कई जरूरी जानकार‍ियां साझा कीं. डॉ अग्रवाल ने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर जब हड्डियों तक फैल जाता है तो इसे ठीक नहीं किया जा सकता. बस इलाज से लंबे समय तक नियंत्रित किया जा सकता है. 

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Joe Biden Prostate Cancer Joe Biden Prostate Cancer

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 20 मई 2025,
  • अपडेटेड 4:53 PM IST

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन को प्रोस्टेट कैंसर हुआ है. यह खबर उनके निजी दफ्तर ने 18 मई 2025 को साझा की.  बाइडेन का कैंसर हड्डियों तक फैल चुका है, जिसे मेडिकल भाषा में मेटास्टेटिक प्रोस्टेट कैंसर कहते हैं. यह स्टेज 4 है यानी सबसे गंभीर. लेकिन क्या यह रोग हमेशा इतना खतरनाक होता है? भारत में इसका इलाज का लेवल कहां तक पहुंचा है? आइए, डॉक्टरों की राय और ताजा रिसर्च से समझते हैं. 

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प्रोस्टेट कैंसर कितना गंभीर?

प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में होने वाला एक आम कैंसर है जो ज्यादातर 50-60 साल की उम्र के बाद होता है. ये प्रोस्टेट ग्रंथि में शुरू होता है जो पुरुषों के मूत्राशय के नीचे होती है और वीर्य का हिस्सा बनाती है. शुरुआती स्टेज में यह कैंसर धीरे बढ़ता है, अगर तभी न‍िदान हो जाए तो इसका इलाज संभव है. अगर ये कैंसर हड्डियों तक फैल जाए जैसा बाइडेन के केस में हुआ तो इसे ठीक करना मुश्किल होता है. फिर भी आधुनिक इलाज से मरीज कई साल तक अच्छी जिंदगी जी सकता है. 

सर गंगा राम हॉस्पिटल दिल्ली में मेडिकल ऑन्कोलॉजी व‍िभाग के चेयरमैन डॉ. श्याम अग्रवाल ने aajtak.in से प्रोस्टेट कैंसर के बारे में कई जरूरी जानकार‍ियां साझा कीं. डॉ अग्रवाल ने बताया कि प्रोस्टेट कैंसर जब हड्डियों तक फैल जाता है तो इसे ठीक नहीं किया जा सकता. बस इलाज से लंबे समय तक नियंत्रित किया जा सकता है. 

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शुरुआती लक्षणों को समझना आसान नहीं 

डॉ श्याम अग्रवाल कहते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षण अक्सर नजर नहीं आते. कई बार ये स्क्रीनिंग टेस्ट में ही पकड़ा जाता है. फिर भी कुछ संकेतों पर ध्यान देना जरूरी है जैसे बार-बार पेशाब आना, खासकर रात में. पेशाब करने में दिक्कत होना जैसे रुक-रुक कर पेशाब या कमजोर धार होना. पेशाब या वीर्य में खून आना, कमर, कूल्हों या पेल्विक हड्डियों में दर्द भी इसके शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. 

कमजोरी और वजन घटे तो भी हो जाएं सतर्क 

डॉ. अग्रवाल आगे बताते हैं कि पेशाब में रुकावट या खून जैसे लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें. इससे पहले भी अगर पेशाब आने को लेकर कोई लक्षण होने के साथ-साथ वजन घट रहा है तो सतर्क हो जाएं. डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन (DRE) और सीरम PSA टेस्ट से शुरुआती जांच में इसका पता लगाया जा सकता है. 

कैसे होती है जांच?
PSA टेस्ट: यह खून में प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन की मात्रा जांचता है. ज्यादा PSA होना कैंसर का संकेत हो सकता है, लेकिन यह हमेशा कैंसर नहीं होता. 

डिजिटल रेक्टल एग्जामिनेशन (DRE): डॉक्टर प्रोस्टेट में सख्त गांठ की जांच करते हैं. 

बायोप्सी: प्रोस्टेट के टिश्यू का सैंपल लेकर कैंसर की पुष्टि की जाती है. 

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मल्टीपैरामेट्रिक MRI और PSMA PET CT स्कैन: ये टेस्ट कैंसर के स्टेज और फैलाव को समझने में मदद करते हैं. 

भारत में इलाज का स्तर

फोर्टिस अस्पताल नोएडा के यूरोलॉजी व‍िभाग के निदेशक डॉ. शैलेन्द्र कुमार गोयल कहते हैं कि प्रोस्टेट कैंसर को लेकर एक अच्छी बात ये है कि इसका बहुत अच्छा इलाज भारत में भी मौजूद है, वो भी एडवांस स्टेज तक के मरीजों के लिए. अगर शुरुआती स्टेज में पता चल जाए तो इसे रोबोटिक सर्जरी से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. शुरुआती स्टेज में रेडियोथेरेपी भी एक विकल्प होता है. अगर बीमारी आगे बढ़ जाए, तब हार्मोनल इलाज उपलब्ध है जो बीमारी पर अच्छा कंट्रोल देता है. एडवांस स्टेज में मल्टीमोडैलिटी ट्रीटमेंट देना पड़ता है यानी एक साथ कई तरीकों से इलाज किया जाता है और ये काफी असरदार होता है. 

डॉ शैलेंद्र कुमार कहते हैं कि बाकी कई कैंसर के मुकाबले प्रोस्टेट कैंसर में सर्वाइवल रेट बहुत अच्छा है. अगर समय पर पता चल जाए तो इसमें 15 साल तक 100% तक सर्वाइवल हो सकता है. यहां तक कि एडवांस स्टेज में भी 70-80% मरीजों में 5 साल तक की सर्वाइवल देखी जाती है और ये इलाज भारत में आसानी से उपलब्ध है. 

डॉ श्याम अग्रवाल का कहना है कि भारत में प्रोस्टेट कैंसर का इलाज काफी उन्नत हो चुका है. शुरुआती स्टेज में सर्जरी (प्रोस्टेटेक्टॉमी), रेडिएशन थेरेपी और हार्मोन थेरेपी से कैंसर को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. डॉ. अग्रवाल आगे बताते हैं  कि मल्टीपैरामेट्रिक MRI और PSMA PET CT स्कैन ने स्टेजिंग में क्रांति ला दी है. ये टेस्ट कैंसर के सटीक स्थान और फैलाव को दिखाते हैं. शुरुआती स्टेज में सर्जरी, रेडिएशन और हार्मोन थेरेपी से इलाज संभव है. वहीं मेटास्टेटिक स्टेज में एंटी-एंड्रोजन्स (जैसे LHRH एगोनिस्ट्स/एंटागोनिस्ट्स) और नई दवाएं जैसे एबिराटेरोन, एन्जालुटामाइड, अपालुटामाइड या डारोलुटामाइड इस्तेमाल होती हैं जो कि काफी प्रभावी भी हैं. 

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भारत में हाल के वर्षों में आई ये नई तकनीकें 

ल्यूटेशियम PSA थेरेपी: यह मेटास्टेटिक कैंसर के लिए नई और प्रभावी थेरेपी है. 

PARP इनहिबिटर्स: अगर BRCA1/2 जीन म्यूटेशन पॉजिटिव है तो ओलापारिब और रूक्पारिब जैसी दवाएं इस्तेमाल होती हैं. 

NGS और MSI टेस्टिंग: ये टेस्ट कैंसर की जेनेटिक प्रोफाइल समझने में मदद करते हैं जिससे पर्सनलाइज्ड इलाज संभव है. 

न्यूरोएंडोक्राइन वेरिएंट: अगर कैंसर इस रूप में है तो प्लैटिन और इटोपोसाइड जैसी कीमोथेरेपी दी जाती है. 

भारत में नई रिसर्च और प्रगति

भारत में प्रोस्टेट कैंसर पर रिसर्च तेजी से बढ़ रही है. डॉ अग्रवाल कहते हैं कि सर गंगा राम हॉस्पिटल जैसे संस्थान मल्टीपैरामेट्रिक MRI और PSMA PET CT स्कैन का इस्तेमाल कर सटीक डायग्नोसिस कर रहे हैं. हाल ही में, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई ने न्यूरोएंडोक्राइन प्रोस्टेट कैंसर के लिए नई कीमोथेरेपी प्रोटोकॉल पर काम शुरू किया है. इसके अलावा AIIMS दिल्ली और अन्य संस्थान NGS (नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंसिंग) और MSI टेस्टिंग पर जोर दे रहे हैं जो पर्सनलाइज्ड ट्रीटमेंट में मदद करते हैं. 

50 साल से ऊपर की उम्र के हैं तो ध्यान दें 

प्रोस्टेट कैंसर को जल्दी पकड़ने के लिए 50 साल से ऊपर के पुरुषों को नियमित PSA टेस्ट और DRE करवाना चाहिए. भारत में जागरूकता की कमी के कारण ज्यादातर मामले एडवांस स्टेज में पकड़े जाते हैं. डॉ. अग्रवाल सलाह देते हैं कि परिवार में कैंसर का इतिहास हो या लक्षण दिखें, तो तुरंत जांच करवाएं.

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