Diabetes kidney failure: डायबिटीज में चुपचाप खराब हो जाती हैं किडनी! डॉक्टर ने बताए ये शुरुआती संकेत, न करें अनदेखा

डायबिटीज के मरीजों में किडनी फेलियर की समस्या धीरे-धीरे बढ़ती है और शुरुआती लक्षण अक्सर अनदेखे रह जाते हैं. डॉ. हर्ष कुमार ने डायबिटीज के मरीजों में किडनी फेल होने के शुरुआती संकेत बताए हैं.

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किडनी हेल्थ को डायबिटीज भी प्रभावित करती है. (Photo: Getty Image) किडनी हेल्थ को डायबिटीज भी प्रभावित करती है. (Photo: Getty Image)

आजतक लाइफस्टाइल डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 29 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 7:30 PM IST

डायबिटीज वाले मरीजों में किडनी फेलियर की समस्या चुपचाप शुरू होती है और फिर धीरे-धीरे गंभीर स्तर पर पहुंच जाती है. अधिकांश मरीज किडनी फेल होने के शुरुआती लक्षणों को पहचान नहीं पाते हैं. इसका कारण यह है कि किडनी डैमेज होने के शुरुआती संकेत समझ नहीं आते इसलिए शुरुआती संकेत समझना और टाइम पर टेस्ट कराना बहुत जरूरी है. अगर सही समय पर अलर्ट हो जाएं तो बीमारी की रफ्तार को काफी हद तक धीमा किया जा सकता है.

बेंगलुरु के एस्टर आरवी हॉस्पिटल में नेफ्रोलॉजी और ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. हर्ष कुमार एचएन ने एक इंटरव्यू में इस बारे में बताया है कि डायबिटीज के मरीजों में किडनी फेल होने के संकेत क्या होते हैं?

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किडनी फेल होने के शुरुआती संकेत

डॉ. कुमार के अनुसार,'शरीर में पानी जमा होना अक्सर पहला चेतावनी संकेत होता है. दरअसल, जब किडनी अतिरिक्त पानी को शरीर से बाहर नहीं निकाल पातीं तो वह जमा होने लगता है. पैरों या आंखों के आसपास हल्की सूजन किडनी डैमेज होने का पहला संकेत हो सकता है.' 

'मरीज की यूरिन से भी कई संकेत मिलते हैं. झागदार या बुलबुलेदार पेशाब का मतलब प्रोटीन का रिसाव है. रात में बार-बार पेशाब आना, गहरे रंग का या चाय के रंग का पेशाब, या पेशाब की मात्रा कम होना, इन सभी को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.'

'अगर आपको ये लक्षण दिखें तो स्थिति बिगड़ने से पहले किसी किडनी एक्सपर्ट से सलाह लें. लगातार थकान, कमजोरी या पीठ के निचले हिस्से में भारीपन भी किडनी पर शुरुआती दबाव का संकेत हो सकता है. ​थोड़ा सा बढ़ा हुआ ब्लड प्रेशर भी हल्के में न लें.'

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कैसे पता चले कि डायबिटीज से किडनी खराब हो रही है

डॉक्टर ने बताया अक्सर लोगों का एक कॉमन सवाल होता है, कैसे पता चलेगा कि अब डायबिटीज किडनी तक पहुंच गई है? तो मैं कहना चाहूंगा कि सिर्फ लक्षण नहीं, बल्कि रेगुलर स्क्रीनिंग से इसका पता चलता है. इसके लिए 2 टेस्ट करा सकते हैं. यूरिन एल्ब्यूमिन‑टू‑क्रिएटिनिन रेश्यो (UACR) और eGFR (अनुमानित ग्लोमेरुलर फिल्ट्रेशन रेट). इससे काफी हद तक इसका पता लगाया जा सकता है.

इंटरनेशन ADA‑KDIGO गाइडलाइंस के मुताबिक हर डायबिटिक मरीज को साल में कम से कम एक बार UACR और eGFR दोनों टेस्ट जरूर करवाने चाहिए, ताकि शुरुआती समय में ही बीमारी को पकड़ा जा सके और नई दवाएं शुरू की जा सकें.

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