TV एक्ट्रेस दीप‍िका कक्कड़ को स्टेज-2 कैंसर, जान‍िए- क्या इलाज संभव, कैसे तय होती हैं कैंसर की स्टेज

कैंसर की स्टेजिंग से यह पता चलता है कि कैंसर उस अंग तक सीमित है, जहां से यह शुरू हुआ या फिर यह शरीर के अन्य हिस्सों में फैल गया है. यह जानकारी इलाज की सफलता, मरीज के ठीक होने की संभावना और समग्र जीवन प्रत्याशा (overall survival) तय करने में मदद करती है.  जानिए- स्टेज तय कैसे होती है.

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Actor Dipika Kakar has been diagnosed with cancer. Actor Dipika Kakar has been diagnosed with cancer.

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 28 मई 2025,
  • अपडेटेड 4:14 PM IST

टीवी एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ के स्टेज 2 कैंसर की खबर ने उनके फैंस को चिंता में डाल दिया है. सोशल मीडिया पर लोग लगातार सवाल कर रहे हैं कि स्टेज 2 का मतलब क्या है? क्या यह इलाज़ से ठीक हो सकता है? क्या खतरा ज्यादा है?  लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैंसर की 'स्टेज' यानी कौन से चरण में है, यह सिर्फ बीमारी की गंभीरता नहीं बताता बल्कि यह तय करता है कि इलाज कैसा होगा. मरीज की रिकवरी के चांस कितने हैं और क्या इलाज से कैंसर पूरी तरह खत्म हो सकता है या नहीं. इन्हीं सवालों को लेकर aajtak.in ने फोर्टिस हॉस्पिटल, वसंत कुंज के कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. नितिन एस.जी. से बातचीत की. 

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डॉ नितिन ने बताया कि कैंसर की स्टेज ही सबसे अहम प्रेडिक्टर है, जिससे तय होता है कि इलाज कितना लंबा चलेगा. इसके बाद कितनी सफलता मिलेगी और बीमारी पूरी तरह खत्म होगी या नहीं. 

समझ‍िए स्टेज का मतलब 

किसी भी तरह के कैंसर में बायोप्सी से पुष्टि होने के बाद 'स्टेजिंग वर्कअप' किया जाता है. ये वो जांचें होती हैं जो बताती हैं कि कैंसर कितनी जगह फैल चुका है. ये PET-CT स्कैन, MRI, या CT स्कैन जैसी तकनीकों से किया जाता है. आजकल PET CT स्कैन सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है क्योंकि यह कैंसर के फैलाव को सटीकता से दिखाता है. कैंसर की स्टेजिंग से यह पता चलता है कि कैंसर उस अंग तक सीमित है, जहां से यह शुरू हुआ या फिर यह शरीर के अन्य हिस्सों में फैल गया है. यह जानकारी इलाज की सफलता, मरीज के ठीक होने की संभावना और समग्र जीवन प्रत्याशा (overall survival) तय करने में मदद करती है. 

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कैंसर की होती हैं चार स्टेज, जिसमें तय होता है इलाज 

डॉ. नितिन के अनुसार, कैंसर को आमतौर पर चार स्टेज में बांटा जाता है जो अमेरिकन जॉइंट कमेटी ऑन कैंसर (AJCC) स्टेजिंग सिस्टम पर आधारित होती हैं. 

स्टेज 1: इस स्टेज में कैंसर उस अंग तक सीमित होता है जहां से यह शुरू हुआ है. उदाहरण के लिए, अगर लिवर में कैंसर है, तो यह सिर्फ लिवर तक ही सीमित रहता है और छोटा होता है. इस स्टेज में सर्जरी से इलाज संभव है और ज्यादातर मामलों में कीमोथेरेपी या रेडिएशन की जरूरत नहीं पड़ती. 

स्टेज 2: इस स्टेज में ट्यूमर का आकार बड़ा हो सकता है लेकिन यह अभी भी उस अंग तक सीमित रहता है. उदाहरण के लिए दीपिका कक्कड़ का कैंसर भी स्टेज 2 में है, जहां उनके लिवर में ट्यूमर पाया गया है. इस स्टेज में भी सर्जरी मुख्य इलाज है लेकिन इसके बाद कीमोथेरेपी या रेडिएशन दी जा सकती है ताकि कैंसर दोबारा न हो. 

स्टेज 3: इस स्टेज में कैंसर पास के लिम्फ नोड्स तक फैल जाता है. इलाज में सर्जरी के साथ-साथ कीमोथेरेपी और रेडिएशन का कॉम्बिनेशन इस्तेमाल होता है. 

स्टेज 4: यह कैंसर का सबसे गंभीर स्टेज है जिसे मेटास्टेटिक कैंसर भी कहते हैं. इस स्टेज में कैंसर शरीर के अन्य अंगों, जैसे फेफड़े, हड्डियां या मस्तिष्क तक फैल जाता है. ज्यादातर मामलों में स्टेज 4 कैंसर को पूरी तरह ठीक करना मुश्किल होता है. 

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स्टेज 1, 2 और 3 में इलाज की पूरी संभावना

डॉ. नितिन बताते हैं कि स्टेज 1, 2 और 3 में कैंसर को पूरी तरह ठीक करने की संभावना रहती है. इन स्टेज में सर्जरी, रेडिएशन और कीमोथेरेपी के कॉम्बिनेशन से मरीज को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है. आजकल टारगेटेड थेरेपी और इम्यूनोथेरेपी जैसे नए इलाज भी उपलब्ध हैं जो परिणामों को और बेहतर बनाते हैं. दीपिका कक्कड़ के मामले में भी डॉक्टरों ने बताया है कि उनका कैंसर स्टेज 2 में है और यह लिवर तक सीमित है. सर्जरी और ट्रीटमेंट से उनके ठीक होने की पूरी संभावना है. 

स्टेज 4 और ओलिगोमेटास्टेटिक कैंसर, ये है नया कॉन्सेप्ट

डॉ. नितिन ने स्टेज 4 कैंसर के बारे में बताते हुए कहा कि ज्यादातर स्टेज 4 कैंसर को ठीक करना मुश्किल होता है क्योंकि यह शरीर के कई हिस्सों में फैल जाता है. लेकिन स्टेज 4 कैंसर का एक नया कॉन्सेप्ट है ओलिगोमेटास्टेटिक. इसमें कैंसर सिर्फ एक या दो जगहों पर सीमित रूप से फैलता है जैसे एक हड्डी या लिवर में एक छोटा सा घाव. ऐसे मामलों में सर्जरी या रेडिएशन से प्राइमरी ट्यूमर और फैले हुए कैंसर को हटाकर इलाज संभव है. उन्होंने यह भी बताया कि कुछ कैंसर जैसे ओवेरियन कैंसर स्टेज 4 में भी इलाज योग्य हो सकते हैं. 

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PET-CT जांचें जरूरी

डॉ नितिन का कहना है कि अब कैंसर के स्टेज की जांच के लिए PET-CT सबसे कॉमन स्कैनिंग टेक्नोलॉजी बन गई है. इससे पता चल जाता है कि कैंसर कहीं और तो नहीं गया। यह स्टेजिंग की सबसे एडवांस्ड टेक्निक मानी जाती है. 

दीपिका के लिए दुआएं, इलाज में पॉजिटिविटी जरूरी

दीपिका कक्कड़ ने अपनी पोस्ट में फैंस से दुआओं की अपील की है. उनके पति शोएब इब्राहिम ने भी एक व्लॉग में बताया कि सर्जरी अगले हफ्ते हो सकती है क्योंकि दीपिका को अभी सर्दी और कफ की समस्या है. डॉ. नितिन कहते हैं कैंसर का इलाज सिर्फ दवाइयों से नहीं बल्कि मरीज की हिम्मत और पॉजिटिव सोच से भी होता है. दीपिका का केस शुरुआती स्टेज में पकड़ा गया है जो एक अच्छी बात है. सही इलाज और परिवार के सपोर्ट से वो जल्द ठीक हो सकती हैं. 

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