भारत में बढ़े सांसों की घातक बीमारी के मरीज, क्यों COPD बना देश का दूसरा सबसे बड़ा मौत का कारण?

भारत में इस समय सांसों की घातक बीमारी के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. अब डेटा करोड़ों में है और हालात चौंकाने वाले हैं. 1990 में ये बीमारी मौतों के कारणों की लिस्ट में 8वें स्थान पर थी लेकिन अब दिल की बीमारी के बाद ये देश में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन चुकी है. जान‍िए- इसके पीछे की मुख्य वजह क्या है?

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30 साल में COPD भारत का No. 2 किलर बना (Photo courtesy: Getty) 30 साल में COPD भारत का No. 2 किलर बना (Photo courtesy: Getty)

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 20 नवंबर 2025,
  • अपडेटेड 9:29 PM IST

भारत में हवा इतनी जहरीली हो चुकी है कि अब फेफड़ों की बीमारियों का खतरा सि‍र्फ स्मोकर्स तक सीमित नहीं रहा. भारत में करीब 5.5 करोड़ लोग COPD (Chronic Obstructive Pulmonary Disease) से पीड़ित हैं, ये दुनिया में सबसे ज्यादा है.

1990 में ये बीमारी मौतों के कारणों की लिस्ट में 8वें स्थान पर थी लेकिन अब दिल की बीमारी के बाद ये देश में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन चुकी है. इस बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण पिछले तीन दशकों में लगातार बिगड़ती हवा की गुणवत्ता है. पहले जहां COPD को धूम्रपान से जुड़ी बीमारी माना जाता था, अब इसका बड़ा कारण प्रदूषित हवा और पर्यावरण से होने वाला एक्सपोजर बन गया है.

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भारत पर सबसे ज्यादा बोझ

2019 में भारत में 3.78 करोड़ COPD मरीज थे जो दुनिया के कुल मामलों का 17.8% है. लेकिन मौतों में भारत की हिस्सेदारी 27.3%  यानी होने वाली कुल मौतों के अनुपात से कहीं अधिक है. एक नए अध्ययन के अनुसार भारत में COPD के करीब 5.5 करोड़ केस हो सकते हैं.

अब जोखिम सिर्फ स्मोकर्स तक सीमित नहीं

अब इस बीमारी का खतरा महिलाओं, नॉन-स्मोकर्स और यहां तक कि बच्चों तक पहुंच चुका है. सच कहा जाए तो 30 साल से ऊपर वालों में COPD का प्रचलन लगभग 7% है.

क्या हैं इसके पीछे के कारण

बायोमास ईंधन का धुआं
बाहर और घर के अंदर का प्रदूषण
फैक्ट्रियों की धूल
पर्यावरणीय तंबाकू धुआं
गाड़ियों का धुआं

WHO की चेतावनी

WHO के अनुसार COPD मरीजों में अचानक गंभीर सांस फूलना, खांसी बढ़ जाना जैसे फ्लेयर-अप्स कई दिन तक रह सकते हैं और इन पर तुरंत इलाज की जरूरत पड़ती है. COPD से जूझ रहे लोग फ्लू, निमोनिया, दिल की बीमारी, फेफड़ों का कैंसर, मांसपेशियों की कमजोरी और मानसिक तनाव जैसी समस्याओं के ज्यादा शिकार होते हैं.

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प्रदूषण बना सबसे बड़ा ट्रिगर

जहरीली हवा COPD के मरीजों में अचानक खतरनाक स्थिति पैदा कर देती है जिससे उन्हें अस्पताल तक ले जाना पड़ता है. डॉक्टर सलाह देते हैं कि जब AQI 150 से ऊपर चला जाए तो लोगों को बाहर जाने से बचना चाहिए क्योंकि हवा बेहद खतरनाक हो जाती है. PM2.5, PM10, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और ओज़ोन जैसे प्रदूषक फेफड़ों में गहराई तक जाकर सूजन और स्थायी नुकसान पैदा करते हैं.

अब लो-रिस्क भी हाई-रिस्क

डॉक्टर बता रहे हैं कि अब वे महिलाएं और लोग भी COPD का शिकार बन रहे हैं जो कभी धूम्रपान नहीं करते थे. इसका सबसे बड़ा कारण लगातार बढ़ता हवा का प्रदूषण है. डॉक्टरों के अनुसार अब बच्चों में भी क्रॉनिक ब्रोंकाइटिस और एम्फ़ायसेमा जैसी स्थितियां देखी जा रही हैं. 

भारत के सामने गहराता हुआ हेल्थ इमरजेंसी का खतरा

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत अब फेफड़ों से जुड़ी एक बड़ी स्वास्थ्य आपातस्थिति की ओर बढ़ रहा है.
डॉक्टरों ने जोर देकर कहा है कि बढ़ते प्रदूषण और COPD को रोकने के लिए  कठोर क्लीन-एयर पॉलिसी, समय पर स्क्रीनिंग और जल्दी इलाज बहुत जरूरी है ताकि फेफड़ों की स्थायी खराबी और मौतों को रोका जा सके.

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