शादी से पहले Blood Group देखना जरूरी? गलत कॉम्बिनेशन से क्या होगी दिक्कत

कई एक्सपर्ट्स आजकल शादी से पहले पार्टनर के ब्लड ग्रुप टेस्ट कराने की सलाह दे रहे हैं. मेडिकल साइंस के अनुसार, ब्लड ग्रुप का शादी की खुशी, प्यार या रिश्ते की मजबूती से कोई सीधा संबंध नहीं हैं, हालांकि प्रेग्नेंसी के दौरान Rh फैक्टर महत्वपूर्ण होता है.

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 पति-पत्नी का अलग ब्लड ग्रुप होने के नुकसान क्या है.(PHOTO:ITG) पति-पत्नी का अलग ब्लड ग्रुप होने के नुकसान क्या है.(PHOTO:ITG)

आजतक लाइफस्टाइल डेस्क

  • नई दिल्ली,
  • 17 दिसंबर 2025,
  • अपडेटेड 3:10 PM IST

Blood Type Marriage Compatibility: शादी सिर्फ दो लोगों का रिश्ता नहीं होती, बल्कि दो दिलों, दो परिवारों और दो जिंदगियों का मिलन होता है. जब भी शादी की बात आती है, तो लोग कुंडली, ग्रह-नक्षत्र, गोत्र तक मिलाने लगते हैं. कई बार यह सवाल उठता है क्या अलग ब्लड ग्रुप होने से भी शादी में परेशानी आ सकती है? क्या इससे पति-पत्नी की समझ, प्यार या भविष्य पर कोई असर पड़ता है? क्या ब्लड ग्रुप की वजह से प्रेग्नेंसी में दिक्कत हो सकती है?

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मेडिकल साइंस के अनुसार, ब्लड ग्रुप का शादी की खुशी, प्यार या रिश्ते की मजबूती से कोई सीधा संबंध नहीं है.हालांकि प्रेग्नेंसी के समय ब्लड ग्रुप, खासकर Rh फैक्टर, की भूमिका जरूर होती है. 

ब्लड ग्रुप क्या होते हैं?

हर इंसान का ब्लड ग्रुप जन्म से तय होता है. इसे बदला नहीं जा सकता. मुख्य तौर से 4 ब्लड ग्रुप होते हैं.

  • A
  • B
  • O
  • AB

इनके साथ एक और चीज जुड़ी होती है, जिसे Rh फैक्टर कहते हैं:

  • Rh पॉजिटिव (+)
  • Rh नेगेटिव (–)

इस तरह कुल 8 ब्लड ग्रुप बनते हैं:

A+, A-, B+, B-, O+, O-, AB+, AB-

शादी की कम्पैटबिलटी में ब्लड ग्रुप का रोल

शादी और रिश्ते की समझ, प्यार, भरोसा और आपसी सम्मान पर ब्लड ग्रुप का कोई असर नहीं पड़ता.अगर दो लोग एक-दूसरे को समझते हैं, तो अलग ब्लड ग्रुप होने के बावजूद शादी पूरी तरह सक्सेसफुल हो सकती है.

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प्रेग्नेंसी में ब्लड ग्रुप क्यों अहम है?

प्रेग्नेंसी में ब्लड ग्रुप इसलिए जरूरी होता है क्योंकि इससे मां और बच्चे की सेहत की सुरक्षा की जाती है. अगर मां का ब्लड ग्रुप Rh नेगेटिव हो और गर्भ में पल रहा बच्चा Rh पॉजिटिव हो, तो मां का शरीर बच्चे के खून को बाहरी खतरा समझ सकता है. इससे मां के शरीर में एंटीबॉडी बन सकती हैं. प्रेग्नेंसी में कई बार मां को खून देने की जरूरत होती है, अगर ऐसे में पति का ब्लड ग्रुप अलग हो, तो अपनी वाइफ को खून भी नहीं दे सकता है. 

पहली प्रेग्नेंसी में इसका असर कम होता है, लेकिन अगली प्रेग्नेंसी में ये एंटीबॉडी बच्चे को नुकसान पहुंचा सकती हैं. सही समय पर दिया जाने वाला Anti-D इंजेक्शन इस समस्या से बचाव करता है और मां-बच्चे दोनों को सुरक्षित रखता है. इससे बच्चे में एनीमिया या पीलिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं. समय पर जांच और एंटी-डी इंजेक्शन लगाने से इस खतरे को आसानी से टाला जा सकता है.

क्या Rh का ये कॉम्बिनेशन खतरनाक है?

Rh अयोग्यता खतरनाक नहीं होती है, आजकल मेडिकल सुविधा इतनी एडवांस है कि यह समस्या पहले से जांच में पकड़ ली जाती है. डॉक्टर जरूरत पड़ने पर RhoGAM इंजेक्शन देते हैं. इससे मां और बच्चे दोनों सुरक्षित रहते हैं और स्वस्थ बच्चे का जन्म संभव होता है.

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क्या पति-पत्नी एक-दूसरे को खून दे सकते हैं?

यह कई लोगों के मन में सवाल आता है कि क्या पति-पत्नी एक दूसरे को खून दे सकते हैं, लेकिन इसका शादी से कोई कनेक्शन नहीं होता है. यह दोनों के ब्लड ग्रुप पर निर्भर करता है.

  • O- ब्लड ग्रुप वाले लोग किसी को भी खून दे सकते हैं, इसलिए उनको यूनिवर्सल डोनर कहा जाता है. 
  • AB+ ब्लड ग्रुप वाले किसी से भी खून ले सकते हैं,इसलिए इन्हें यूनिवर्सल रिसीवर कहा जाता है.

इमरजेंसी में यह जानकारी फायदेमंद हो सकती है, लेकिन इसे शादी की शर्त नहीं बनाना चाहिए.

क्या ब्लड ग्रुप से स्वभाव और रिश्ता तय होता है?

जापान में एक धारणा है कि ब्लड ग्रुप से इंसान का स्वभाव पता चलता है, जैसे:

  • A: व्यवस्थित
  • B: अपने मन का
  • O: पॉजिटिव
  • AB: अलग सोच वाला

लेकिन इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है.रिसर्च के अनुसार, ब्लड ग्रुप और पर्सनैलिटी या शादी की कम्पैटबिलटी का कोई सीधा संबंध नहीं है.
 

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