Aajtak Health Summit 2025: आजतक हेल्थ समिट 2025 के सेशन 'उम्र 70 की, भार 80 का' में अलग ही नजारा देखने को मिला. इस सेशन में पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा. सलवार-सूट पहने 75 साल की रोशनी सांगवान मंच पर पहुंचीं और पहले 70 किलो का वजन उठाया. फिर बोलीं कि 10 किलो और बढ़ाओ. इस तरह उन्होंने 80 किलो भी उठा लिया और हॉल तालियों से गूंजने लगा. इसके बाद जब कहा गया कि और वजन जोड़ें तो उन्होंने हंसते हुए चुनौती दी कि अब 100 किलो कर दो, और देखते ही देखते 100 किलो भी उठा लिया. इसके बाद तो जैसे तालियों का सैलाब आ गया.
बेटा बना मां का ट्रेनर
रोशनी ने बताया कि कुछ साल पहले उनके घुटनों और पैरों में दर्द रहने लगा था. डॉक्टर ने कहा था झुककर काम न करें. अब आपकी उम्र हो गई और दर्द बढ़ता ही जाएगा. उस बीच बेटे ने जिम चलने की सलाह दी तो पहले तो वो टालती रहीं. फिर जब गई तो पहले उन्हें शर्म आती थी लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने वर्कआउट को अपनाया. उन्होंने बताया कि पहले बेटा पैर दबाता था, फिर धीरे-धीरे वेट उठाना सिखाया. अब 105-110 किलो तक आराम से उठा लेती हूं. सूट में ही जिम जाना अच्छा लगता है, ड्रेसिंग स्टाइल बदला नहीं.
हेल्थ प्रॉब्लम से फिटनेस तक
रोशनी को दो साल पहले नी-आर्थराइटिस और हिप जॉइंट की समस्या हो गई थी. लेकिन आज हालत ये है कि न सिर्फ जिम जाती हैं बल्कि घर का काम भी निपटाती हैं. बेटे का कहना है कि डॉक्टरों ने कहा था उम्र हो गई है, लेकिन अब मम्मी पहले से ज्यादा जवान हो गई हैं.
क्या खाती हैं?
बेटे अजय सांगवान ने बताया कि मम्मी का खाना पूरी तरह घर पर आधारित है. खाने में वो टोफू, पनीर, सीड्स से लेकर बेसन और मूंग दाल का चीला लेती है. कुल मिलाकर वो बैलेंस्ड डाइट और प्रोटीन लेती हैं. मैं मां का वेट लॉस नहीं, फैट लॉस किया है. असली हेल्थ साइज से नहीं, स्ट्रेंथ से आती है.
बेटे ने शेयर की मां-बेटे की जर्नी
बेटे अजय सांगवान ने बताया कि मैंने 2019 में फिटनेस ट्रेनर का कोर्स किया था, सिर्फ खुद को फिट करने के लिए. तब पता नहीं था कि एक दिन ये मेरी मां के लिए सबसे बड़ा काम आएगा. जब उनकी तबीयत बिगड़ी तो मैंने अपना बिज़नेस छोड़कर फुल टाइम उनका ट्रेनर बनना शुरू किया. कई लोगों ने ताना मारा कि इसकी क्या ज़रूरत थी, लेकिन बेटा मां की सेवा ना करे तो कौन करेगा? आज गर्व है कि लोग मेरी मां से इंस्पिरेशन ले रहे हैं. यहां तक कि बाहर के डॉक्टर और साइंटिस्ट भी कहते हैं कि लॉन्गिविटी के लिए मसल्स मजबूत होना ज़रूरी है. बोन डेंसिटी तभी स्ट्रॉन्ग होगी जब मसल्स स्ट्रॉन्ग होंगी.
उन्होंने आगे कहा कि अब मेरी मां घर का सारा काम खुद करती हैं, दो घंटे स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, फिर कार्डियो, फिर सत्संग. पब्लिक ट्रांसपोर्ट पकड़कर खुद ही जाती हैं, किसी पर डिपेंड नहीं. यही असली जीत है. आज लोग टीवी देखते-देखते वक्त बिताते हैं, लेकिन मेरी मां के पास टाइम ही नहीं है क्योंकि वो एक्टिव हो गई हैं.
मंच पर डॉक्टर ने भी उठाया वेट
इवेंट में मौजूद डॉ. मुक्ता जोशी भी रोशनी से मिलीं और खुद वेट उठाकर दिखाया. उन्होंने कहा कि महिलाओं को किसी भी उम्र में पीछे नहीं रहना चाहिए. बता दें कि रोशनी सांगवान की कहानी हर किसी को एक मैसेज देती है कि हेल्थ का मतलब कैलोरी गिनना नहीं, स्ट्रेंथ बढ़ाना है. उम्र कोई बहाना नहीं, हर उम्र में फिट रहा जा सकता है. कसरत को आदत बनाओ तो बढ़ती उम्र भी जवां लगने लगे.
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