फैक्ट चेक: बेरहमी से पिटाई कर रही पुलिस का वीडियो गलत दावे के साथ वायरल

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) पाया कि वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है. यह घटना तेलंगाना के खम्मम जिले की है और जिन लोगों की पुलिस ने पिटाई की, वे सभी स्थानीय थे.

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आजतक फैक्ट चेक

दावा
लॉकडाउन के दौरान बिहार के मजदूरों की पिटाई करती पुलिस का वीडियो.
सच्चाई
वायरल वीडियो तेलंगाना के खम्मम का है. लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर तीन स्थानीय मजदूरों को पुलिस ने बेरहमी से पीटा था.

अर्जुन डियोडिया

  • नई दिल्ली,
  • 12 मई 2020,
  • अपडेटेड 6:14 PM IST

भारत में लॉकडाउन की सबसे भयानक मार प्रवासी मजदूरों पर पड़ी है. अधिकांश फैक्ट्रियां बंद होने के चलते मजदूरों के पास पैसे से लेकर खाने तक की तंगी हो गई है और वे शहरों से गांवों की तरफ लौटने को मजबूर हैं. अधिकांश मजदूर बिना किसी परिवहन सुविधा के पैदल ही अपने घर की ओर भाग रहे हैं. इसके अलावा, ऐसी भी खबरें आती रही हैं कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने पर पुलिस लोगों को सजा दे रही है.

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इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें तीन लोग घुटने टेक कर बैठे हैं और पुलिस उनकी पिटाई कर रही है. इस वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि लॉकडाउन के दौरान बिहार के मजदूरों से इस तरह का व्यवहार किया जा रहा है. वीडियो में दिख रहे तीनों व्यक्ति दर्द से कराहते हैं और पुलिस से नहीं मारने की अपील करते नजर आते हैं.

इंडिया टुडे के एंटी फेक न्यूज वॉर रूम (AFWA) पाया कि वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है. यह घटना तेलंगाना के खम्मम जिले की है और जिन लोगों की पुलिस ने पिटाई की, वे सभी स्थानीय थे.

फेसबुक पेज “ऑल इण्डिया निषाद समाज” ने 29 अप्रैल को यह वीडियो अपलोड करते हुए लिखा है, “लॉकडाउन में बिहारी मजदूर का क्या हाल है. प्रवासी मजदूरों के साथ ये क्या हो रहा है. ये अंग्रेजों से भी बदतर हाल है मजदूरों के साथ.”

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स्टोरी लिखे जाने तक यह वीडियो 27,000 से ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं और 9 लाख से ज्यादा बार देखा चुका है. पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

इस भ्रामक दावे के साथ ही यह वीडियो फेसबुक पर वायरल है.

AFWA की पड़ताल

रिवर्स सर्च की मदद से हमें इस वायरल वीडियो से संबंधित “The News Minute” एक रिपोर्ट मिली. ये रिपोर्ट कहती है कि ये घटना 28 मार्च, 2020 को तेलंगाना के खम्मम जिले के वनमवारी कृष्णापुरम गांव में हुई थी.

रिपोर्ट के मुताबिक, सब-इंस्पेक्टर सतीश कुमार ने तीन लोगों की उनके परिजनों के सामने ही पिटाई की थी, क्योंकि वे तीनों लॉकडाउन के दौरान घर के बाहर ताश खेल रहे थे. तीनों एक स्थानीय फैक्ट्री में मजदूर हैं और कोई काम ना होने के चलते ताश खेलकर वक्त काट रहे थे.

वीडियो में एक अन्य पुलिसकर्मी पिटते हुए आदमियों के हाथों को अपने पैर से दबाते हुए दिखता है. पिट रहे तीनों लोग दर्द से कराह रहे हैं और पीछे से बच्चों के रोने की आवाज सुनी जा सकती है. फिर भी पुलिसकर्मियों की यह क्रूरता जारी रही.

वीडियो के साथ किये जा रहे दावे की सत्यता जांचने के लिए हमने खम्मम पुलिस कमिश्नर तफसीर इकबाल से संपर्क किया. इकबाल ने बताया कि वीडियो में दिख रहे तीनों लोग बिहार के प्रवासी नहीं, बल्कि वहीं के ग्रामीण हैं.

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इकबाल ने कहा कि इन लोगों ने कई बार लॉकडाउन का उल्लंघन किया था, जिसके चलते सब-इंस्पेक्टर सतीश कुमार नाराज हो गए और उन्होंने इन तीनों की पिटाई कर दी. हालांकि, कमिश्नर ने कहा कि यह कार्रवाई अमानवीय थी और हमने सतीश कुमार के खिलाफ कार्रवाई की है.

इस तरह स्पष्ट है कि वायरल वीडियो में पुलिस के हाथों मार खा रहे लोग बिहार के मजदूर नहीं हैं, बल्कि तेलंगाना के स्थानीय लोग हैं.

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